आमी नदी में सीधे गिर रहा नाले का गंदा पानी
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर के खलीलाबाद में जनसंख्या वृद्धि के साथ गंदे पानी की समस्या बढ़ रही है। लगभग 6 लाख लीटर गंदा पानी प्रतिदिन आमी नदी में गिराया जा रहा है, जिससे नदी का जल प्रदूषित हो रहा है। नगर विकास...

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले के खलीलाबाद शहर की तरफ आबादी तेजी से बढ़ रही है लेकिन नगर में उस प्रकार की सुविधा की व्यवस्था नहीं हो सकी है। यही कारण है कि शहरों से निकलने वाला गंदा पानी सीधे तौर पर नदियों में मिला दिया जा रहा है। इसकी वजह से नदी की आत्मा मर रही है और स्थानीय स्तर पर लोगों की लाइफ लाइन कहीं जाने वाली आमी नदी भी दम तोड़ रही है। अब तो आसपास के गांव के लोग अपने पशुओं को इस नदी में पानी तक पिलाना पसंद नहीं करते हैं। उन्हें डर है कि पानी पीने के बाद उनके मवेशी कहीं बीमार न हो जाएं।
आंकड़ों की माने तो खलीलाबाद और मगहर नगर पंचायत से लगभग 6 लाख लीटर गंदा पानी प्रतिदिन आमी नदी में उड़ेल दिया जाता है। शासन की मंशा है कि नदियां पूरी तरीके से स्वच्छ होकर पुन: जीवनदायिनी बनें। इसके लिए शहरों से निकलने वाला गंदे पानी को सीधे तौर पर नदी में न मिलाया जाए। नगर विकास मंत्रालय ने नदी में पानी मिलाने से पहले उसे सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से जल शोधित करने का निर्देश दिया है लेकिन कहीं जमीन की कमी तो कहीं अधिकारियों की दकियानूसी के चलते एसटीपी नहीं बन पा रही है। 6 लाख लीटर प्रतिदिन निकल रहा शहर में गंदा पानी खलीलाबाद शहर में 1 लाख 20 हजार की आबादी है और शहर का एक व्यक्ति प्रतिदिन कम से कम 5 लीटर ही गंदा पानी नालियों में गिरा रहा है तो लगभग 6 लाख लीटर पानी सीधे आमी नदी में मिल जा रहा है। ऐसे ही मगहर नगर पंचायत के लोग भी बड़े पैमाने पर दूषित पानी आमी नदी में मिला रहे हैं। हालांकि कोई देखता नहीं है कि कितना पानी नदी में जा रहा लेकिन कई बार नदी का पानी ज्यादा प्रदूषित होने की वजह से जलीय जीव जन्तु की मौत होने लगती है तो मछलियां मारकर ऊपर उतराती नजर आती है। नदी का प्रदूषण बढ़ने पर एनजीटी भी सख्त रख अपना चुकी है। इसके लिए खलीलाबाद नगर पालिका व मगहर नगर पंचायत को सख्त लहजे में चेतावनी दी है। फिर भी अभी तक एसटीपी नहीं बन पाई है। शासन से नहीं मिली वित्तीय मंजूरी वर्ष 2018 से ही सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की पत्रावली दौड़ रही है। एसटीपी बनने की जिम्मेदारी जल निगम को सौंप गई थी। जल निगम ने 27 करोड़ का प्रोजेक्ट बनाकर वित्तीय मंजूरी के लिए शासन में पत्रावली भेज दिया था। कार्यालय संस्था ने जो प्रोजेक्ट तैयार किया था उसके तहत शहर का गंदा पानी नदी तट पर निकट चक पिहानी के पास साफ किया जाएगा। वहीं पर एसटीपी लगाई जानी थी। इसके लिए 7 एकड़ जमीन भी अधिग्रहीत कर ली गई थी। जल निगम में प्रोजेक्ट तैयार कर नगर विकास मंत्रालय को भेज दिया था। उसके बाद सारी पत्रावली ठंडे बस्ती में चली गई। आज तक सीवर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित नहीं हो पाया है और आमी नदी में वर्तमान में भी गंदा पानी सीधे गिराया जा रहा है। खुले हैं शहर के नाले उठ रही दुर्गंध नदी में प्रदूषण के स्तर का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शहर में खुले हुए नालों से उठती दुर्गंध लोगों को परेशान कर रही है। नाला के आसपास जिस किसी का मकान है उनका दुर्गंध से जीना मुश्किल हो गया है। शहर की नाली भी ढकी हुई नहीं है। इसकी वजह से आसपास की गंदगी भी इसी नाले में गिर रही है। स्थानीय नागरिक कूड़ा करकट भी नाली में फेंकते रहे हैं। इसकी वजह से सड़न और दुर्गंध दोनों में इजाफा हो रहा है। पालिका के जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी इस पर सुधि नहीं ले रहे हैं। इसकी वजह से लोगों की मुसीबतें भी बढ़ती जा रही है। आस्था ही नहीं जीवन दायनी भी है आमी हिंदू धर्म में नदियों को पूजा जाता है। नदी के प्रति लोगों की आस्था अपार है स्नान दान करने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। लगभग चार दशक पहले जब संसाधन इतने उन्नत नहीं थे तो इन्हीं नदियों से खेतों की सिंचाई की जाती थी। नदी में बाढ़ आने की स्थिति में धान की फसल और बेहतर हो जाती थी। नदी अपने साथ उपजाऊ मिट्टी भी लेकर आती थी। इसकी वजह से आसपास के खेतों में अनाज भी बेहतर पैदा होते थे। नदी के किनारे के गांव के लोग अपने आप को बहुत ही समृद्धिशाली मानते थे। पशुधन उन्नत किस्म के हुआ करते थे। पशुओं को पानी पीने के लिए नदी सबसे बेहतर स्रोत माना जाता है। लोग अपने जानवरों को चराई के लिए नदी के किनारे छोड़ देते हैं और गोधूलि बेला में जानवर पानी पीकर अपने घर लौट आते थे। अब यह बीते दिनों की बात हो गई है। पशुपालक गर्मियों में नदी के किनारे अपने पशुओं को जाने नहीं देते हैं बल्कि उनकी कोशिश रहती है उनका जानवर घर पर पानी पिए नदी में कतई नहीं। गर्मी में नदी का जलस्तर बहुत ही काम हो जाता है। बहाव की गति धीमी होने की वजह से पानी पूरी तरीके से प्रदूषित होता है। यही कारण है कि लोग आमी नदी से दूरी बना रहे हैं। कभी मगहर में संतगण आमी में करते थे स्नान आमी नदी मगहर के कबीरचौरा के बगल से होकर बहती है। इस नदी का जल स्वच्छ होने से कबीरचौरा आने वाले संतगण इसमें स्नान करते थे। आमी नदी को जिले के ग्रामीण क्षेत्र की जीवन दायिनी के रूप में जाना जाता था। इसका जल इतना स्वच्छ होता था कि स्नान से लेकर भोजन पकाने तक लोग प्रयोग करते थे। लेकिन नालों का गंदा पानी जाने से नदी का जल दूषित व विषाक्त हो गया है। इसे स्वच्छ बनाने के लिए एसटीपी बनाने की जरूरत है। नगर पालिका खलीलाबाद के ईओ अवधेश कुमार भारती ने कहा कि सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के लिए जल निगम को जिम्मेदारी सौंप गई थी। प्रस्ताव बनाकर शासन में भेजा गया था किन्हीं कारण से शासन से बजट अवमुक्त नहीं हो पाया। इसके चलते एसटीपी नहीं बन पाई है। इसके लिए दोबारा प्रयास किया जाएगा ताकि नदी में स्वच्छ जल ही प्रवाहित हो। नगर पालिका खलीलाबाद के अध्यक्ष जगत जायसवाल आमी नदी को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए बेहतर प्रयास किया जाएगा। इसके लिए शासन में मांग उठाई जाएगी, ताकि आमी नदी पूरी तरीके से निर्मल हो सके। इसे स्वच्छ गंगा अभियान के तहत स्वच्छ करने का प्रयास हो रहा है।
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