सब्जी मंडी में गंदगी का अम्बार, सुविधा नदारद
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर जिले के खलीलाबाद मंडी परिसर में प्रतिदिन लाखों का कारोबार होता है, लेकिन यहां की सफाई की स्थिति बेहद खराब है। गंदगी और जल जमाव के कारण बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। मंडी सचिव ने बताया कि...
संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले के किसानों व व्यापारियों की सुविधा के लिए खलीलाबाद शहर के पश्चिमी सिरे से प्रवेश करते ही हाइवे के किनारे नवीन मंडी परिसर स्थापित है। नवीन मंडी में प्रतिदिन लाखों का कारोबार किया जाता है। इसके बावजूद नवीन सब्जी परिसर बदहाली की हालत में पहुंच गया है। यहां पर व्यापार करने वाले कारोबारियों को मुकम्मल सुविधा नहीं मिल पा रही है। समूचे परिसर में गंदगी का अंबार लगा है। यहां प्रतिदिन फेंके जा रहे सब्जियों के कचरे से उठती हुई दुर्गंध लोगों को परेशान करती है। फिर भी हजारों लोग सुबह 5:00 से मंडी परिसर में डेरा डाल देते हैं। इसकी वजह है कि यहीं के रोजगार करने से उनके परिवार का पेट पलता है।
शहर की खलीलाबाद मंडी ई-मंडी की श्रेणी में आता है। मंडी में होने वाले कारोबार को ऑनलाइन कहीं से देखा जा सकता है। स्थानीय मंडी में किस दर से सब्जी और फल बिक रहे हैं, दूसरे प्रदेशों में बैठे कारोबारी भी इसे जान सकते हैं। हालांकि यहां की मंडी में गैर पप्रान्तों से फल और सब्जियों को मंगाकर बेचा जाता है। खलीलाबाद मंडी में अनार का फल गुजरात से आपूर्ति किया जा रहा है। संतरा के नागपुर से आ रहे हैं। बाराबंकी जिले से तरबूज की आवक हो रही है। इसके अलावा मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से भी तरबूज की सप्लाई की जा रही है। वहीं धनघटा क्षेत्र में पैदा हुआ तरबूज बाहर से आने वाले तरबूज को भी टक्कर दे रहा है। यही नहीं सब्जियों के उत्पादक भी अपने-अपने खेतों की उत्पादित सब्जियों को परिसर में जमीन पर बैठकर बेचते हैं। यहां कायदे से व्यापारियों को जो सुविधाएं मिलनी चाहिए वे नहीं मिल रही हैं। इतने बड़े कारोबार होने के बाद भी यहां की मंडी प्रशासनिक अपेक्षाओं का शिकार है। न तो लोगों के पीने के लिए पानी की मुकम्मल व्यवस्था है और न ही जल निकासी का समुचित इंतजाम। परिसर की सड़क बदहाली का शिकार है।
सफाई के लिए नगर पालिका लेती है 72 हजार रुपए महीने
नवीन मंडी परिसर के सफाई की जिम्मेदारी नगर पालिका है। मंडी परिषद भले ही अपने बदहाली पर आंसू बहा रही है पर परिसर की सफाई के लिए नवीन मंडी परिषद खलीलाबाद नगरपालिका को प्रति माह 72 हजार रुपया अदा करती है। नगर पालिका को इतनी धनराशि देने के बाद भी मंडी परिसर पूरी तरीके से गंदा नजर आ रहा है। ऐसा नहीं लगता कि यहां पर सफाई की जाती है। समूचे मंडी परिसर में जहां भी नजर डालिए वहीं पर कूड़े का ढेर नजर आता है। यहां से निकलने वाला कूड़ा शायद ही कभी परिसर के बाहर जाता हो। इसी के चलते यहां आने वाले खरीदार व व्यापारी दुर्गंध के बीच काम करने को मजबूर होते हैं।
वर्मी कंपोस्ट का प्लांट में डंप हो रहा कूड़ा
कूड़े के निस्तारण के लिए नगर पालिका ने वर्मी कंपोस्ट की योजना बनाई। इसके लिए मंडी परिषद के परिसर में पीछे की ओर नगर पालिका बड़े-बड़े गड्ढे को खुदवाए थे। शासन की मंशा थी की मंडी परिसर से निकलने वाला गीला कचरा खासकर सड़े-गले फलों का अवशेष व उनके डंठल को यहीं पर डंप कर सड़ाया जाएगा। इस कचरे से वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जाएगा। यहां के तैयार वर्मी कम्पोस्ट को स्थानीय किसानों के साथ-साथ शहर में किचन गार्डन के रूप में प्रयुक्त होने वाली जमीनों में आपूर्ति किए जाने की योजना थी। योजना धरातल पर नहीं उतर सकी। समूची कार्य योजना कागजों में सिमट कर रह गई है। अब यह वर्मी कंपोस्ट का बनाया गया गड्ढा कूड़ा डंपिंग साइट बनकर रह गया है।
सड़क और नालियां टूटी हुई
मंडी परिषद के पश्चिमी और गेट से निकलने वाली सड़क पूरी तरीके से क्षतिग्रस्त है। यह सड़क की गिट्टियां उखड़कर गायब हो गई हैं। वाहनों के चलने पर धूल उड़ती है। बाहर से देखने से यह लगता ही नहीं कि यह मंडी परिषद की सड़क है। समूची सड़क पर कूड़ा कचरा और गंदगी ही नजर आती है। देखने से ऐसा लगता है कि यह गांव की कच्ची सड़कों जैसी ही है। यह सड़क परिसर से नीचे होने की वजह से बरसात के समय में जल भराव भी यहीं पर होता है।
बारिश में होता है हर तरफ कीचड़
मंडी परिसर में पानी निकासी के लिए बनी नालियां पूरी तरीके से भठ गई हैं। देखने से लगता है कि इनकी कभी सफाई ही नहीं होती है। इसका खामियाजा बारिश के दिनों में देखने को मिलता है। परिसर से पानी की निकासी नहीं हो पाती है तो जल भराव होता है। परिसर की सड़कों के बीच में कीचड़ हो जाता है। इसी कीचड़ के बीच से होकर लोग कारोबार करने को मजबूर होते हैं। गंदगी व कीचड़ के बीच सब्जियां सड़कर दुर्गंध फैलाती हैं।
जल जमाव से बीमारियों की रहती है आशंका
नवीन मंडी में कारोबार के प्रतिदिन एक हजार कारोबारी प्रतिदिन आते हैं। कम से कम पांच सौ नागरिक इसी मंडी से ताजी सब्जी खरीद कर ले जाते हैं। मंडी परिसर में गंदगी और पानी जमा होने की वजह से मच्छर और जल जनित दोनों बीमारियों का प्रकोप बहुत तेजी से पनपता है। यहां पर आने वाले लोगों को डायरिया का संक्रमण होने की आशंका अधिक रहती है। इसके अलावा मच्छर जनित बीमारियां भी तेजी से पांव पसारती है। इन दो बीमारियां के फैलने का मुख्य काक पानी का भराव माना जाता है।
90 लाख की लगत से बनेगी सड़क
आने वाले दिनों में मंडी समिति के अंदर की सड़क अब पूरी तरह से चकाचक नजर आएगी। सड़क और नाली व्यवस्थित होंगी। मंडी परिसर के अंदर अब कचरा जमा नहीं होने पाएगा। पानी डंप नहीं होने पर मच्छरों के प्रकोप पर भी विराम लगेगा। यहां के व्यापारियों को अब इन समस्याओं से निजात मिल जाएगी। मंडी सचिव शिव निवास यादव ने बताया कि मंडी परिसर के अंदर पश्चिमी छोर की सड़क के निर्माण के लिए शासन से अनुमति मिल गई है। लगभग 90 लाख की लागत से सड़क और नाली का निर्माण कराया जाएगा। इसके निर्माण की जिम्मेदारी निर्माण इकाई मंडी परिषद बस्ती को सौंपी गई है। निर्माण इकाई सर्वे कर जा चुकी है। एक सप्ताह के अदंर ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। उसके बाद मंडी परिसर का नजारा पूरी तरह से बदल जाएगा
मंडी सचिव शिव निवास यादव ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट से खाद तैयार करने की योजना नगर पालिका खलीलाबाद की थी। नगर पालिका अपने कर्मचारियों से न तो खाद बनवा रही है और ना ही हटवा रही है। ऐसे में वह क्या करें। इसके बारे में नगर पालिका को पत्र लिखा जा चुका है।
ईओ अवधेश कुमार भारती ने बताया कि मंडी परिषद की सफाई के लिए नियमित रूप से नगर पालिका से कर्मचारी लगाए जाते हैं और वहां पर सफाई की जाती है। यदि मंडी परिसर की सफाई नहीं हो रही है। उसकी जांच कराई जाएगी और दोषी कर्मचारियों को दंडित किया जाएगा।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।