Rabies Threat in Santkabir Nagar New Immunoglobulin Treatment Introduced इम्युनोग्लोबुलिन तकनीकि से मारे जाएंगे रेबीज के वायरस, Santkabir-nagar Hindi News - Hindustan
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इम्युनोग्लोबुलिन तकनीकि से मारे जाएंगे रेबीज के वायरस

Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर जिले में रेबीज वाले जानवरों की संख्या लाखों में है, और प्रतिदिन सौ से अधिक लोग इनसे काटे जा रहे हैं। गहरे जख्म वाले मरीजों के लिए रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन (आरआईजी) इलाज शुरू किया जाएगा। यह...

Newswrap हिन्दुस्तान, संतकबीरनगरSun, 1 June 2025 09:36 AM
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इम्युनोग्लोबुलिन तकनीकि से मारे जाएंगे रेबीज के वायरस

हिन्दुस्तान टीम, संतकबीरनगर। जिले में रेबीज वाले जानवरों की तादाद लाखों में है। जिले में प्रतिदिन सौ से अधिक लोगों को ये जानवर काट लेते हैं। जिन व्यक्तियों को ये जानवर अपना शिकार बनाते हैं। उन्हें एंटी रेबीज का वैक्सीन लगाया जाता है। बंदर और कुत्ता कभी गहरे जख्म दे देते हैं। ऐसे लोगों में रेबीज का वायरस तेजी से फैलने की आशंका होती है। शरीर के अंदर मौजूद रेबीज नर्व के माध्यम से मस्तिष्क में पहुंचता है और संक्रमित व्यक्ति में पागलपन का शिकार हो जाता है। पीड़ित व्यक्ति को बचाने के लिए रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन तकनीकि से इलाज किया जाएगा।

यह प्रणाली वायरस को फौरी तौर पर मार देगी। जिले में पायलेट प्रोजेक्ट के तहत जिला चिकित्सालय में इसे लगाया जाएगा। इसके लिए मंडल मुख्यालय पर चिकित्सक को एक दिन का प्रशिक्षण भी दिया गया है। रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन (आरआईजी) उन्हीं मरीजों को लगाया जाएगा, जिन मरीजों को जिला अस्पताल के सीएमएस संस्तुति करेंगे। प्रथम चरण में जिला अस्पताल में 50 वायल वैक्सीन आ चुकी है। गहरे जख्म वाले मरीजों को आरआईजी कुत्ता और बंदर यदि मस्तिष्क के नजदीक काटते हैं और गहरा जख्म हो जाता है तो उन मरीजों को प्राथमिकता के आधार पर लगाया जाएगा। ऐसे मरीजों को कैटेगरी थर्ड में रखा गया है। मस्तिष्क के निकट काटने पर मरीज को जब तक एंटी रेबीज का टीका लगता है और उनके शरीर में इस वायरस के प्रति प्रतिरक्षण शक्ति तैयार होती है तब तक देर हो चुकी होती है। कई बार तो टीका लगने के दौरान ही वायरस का अटैक हो चुका है। यही कारण है कि इस प्रणाली के माध्यम से वायरस को तत्काल मार देना है। एक दिन में दो मिमी की यात्रा करता है वायरस रेबीज वायरस रक्त के माध्यम से नहीं जाता है, अपितु नर्व के मध्यम से मस्तिष्क तक पहुंचता है। एक दिन में दो मिमी की यात्रा करता है। रेबीज का टीका तीन से पांच लगाया जाता है। कभी- कभी टीका लगता रहता और इस दौरान वायरस मस्तिष्क पर अटैक कर देता है। यही कारण है कि मस्तिष्क के निकट काटने वाले मरीजों को ही यह आरआईजी का प्रयोग किया जाएगा। ‘आरआईजी लगाए जाने की पूरी तैयार कर ली गई है। जिला अस्पताल में 50 वायल वैक्सीन उपलब्ध हो गई है। यह प्रयोग सफल रहा तो अगले चरण में सभी सीएचसी पर भी इसे लगाने की व्यवस्था की जाएगी। डॉ मुबारक अली महामारी रोग विशेषज्ञ

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