जिले में फिर बंद हुई हेपीटाइटिस सी की जांच, मरीज परेशान
Shamli News - जिला अस्पताल में हेपिटाइटिस-सी के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जबकि जांच के लिए आवश्यक कैमिकल खत्म हो गया है। जसाला सीएचसी में काला पीलिया की जांच बंद हो गई है और मरीजों के सैंपल मेरठ भेजे जा...

जिला अस्पताल में लगातार हेपीटाइटिस-सी के मरीज बढ रहें है। वही दूसरी ओर मरीजों की जांच के लिए प्रयोग में आने वाला कैमिकल खत्म हो गया है। जिस कारण जसाला सीएचसी में होने वाली काला पीलिया की जांच बंद हो गई है। जिसके चलते मरीजों के जांच सैम्पल फिर से मेरठ भेजे जा रहें है। जिससे अब मरीजों को जांच रिर्पोट लेने के लिए करीब एक माह का इंतजार करना पडेंगा। जिसकारण मरीजों को इंलाज कराने में परेशानियों का सामना करना पडेंगा। जिला अस्पताल में हेपिटाइटिस बी व सी के मरीजों की संख्या लगातार बढती जा रही है। यहां रोजाना 10 से 15 मरीजों को हेपिटाइटिस बी व सी पुष्टि हो रही है।
हेपिटाइटिस बी और सी (काला पीलिया) बीमारी तेजी से बढ़ रहे हैं। मई की एक तारीख से 25 तक काला पीलिया की जांच के लिए जिला अस्पताल में 300 से अधिक मरीज पहुंचे। जिनमें से 219 मरीजों को काला पीलिया की पुष्टी जांच के बाद हुई है। जिसमें हेपिटाइटिस बी के 33 और हेपिटाइटिस सी के 186 मरीजों चिन्हित हुए है। वही पहले से ही जिले में करीब 650 मरीजों का हेपिटाइटिस बी व सी का इलाज चल रहा है। अब जिले में नए व पूराने करीब 869 मरीजों का इलाज चल रहा है। चिकित्सकों का मानना है कि पुरूषों में अधिक काला पीलिया बीमारी का कारण दूषित खान पान व शराब पीने से लीवर खराब होना है। वही जिले में कैराना कांधला के करीब 40 फीसदी मरीज हेपिटाइटिस बी व सी से पीडित है। वही जिला अस्पताल में जिले भर से करीब पांच हजार मरीजों ने हेपिटाइटिस बी व सी का इलाज पूरा हो गया है। वही दूसरी ओर जासाला सीएचसी में होने वाली काला पीलिया की जांच, कैमिकल खत्म होने के कारण बंद हो गई है। जिसके चलते पिछले करीब एक सप्ताह से मरीजों के सैंपल मेरठ भेजे जा रहें है। जिस कारण मरीजों को इलाज कराने में असुविधाओं का सामना करना पड रहा है। क्योंकि मरीजों की मेरठ से जांच सैंपल रिर्पोट आने में करीब एक माह का समय लग जाता है। जिसके बाद ही मरीजों का इलाज शूरू हो पाता है। ये हैं लक्षण और बचाव पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, भूख कम लगना, बुखार आना, त्वचा और आंखों का पीला होना, मूत्र का रंग गहरा पीला हो जाना, अत्यधिक थकान, उल्टी आना काला पीलिया के लक्षण हैं। वहीं चिकित्सक बताते हैं कि हेपेटाइटिस से बचाव रखने के लिए टूथब्रश किसी से शेयर न करें, टैटू बनवाते समय उपकरणों को सैनिटाइज कराएं, असुरक्षित संभोग से परहेज बरतें, बीमारी के लक्षण दिखें तो इलाज कराएं। कोट जिला अस्पताल में अब तक हेपिटाइटिस बी व सी के करीब 5 हजार 800 मरीज पंजिकृत हुए है। जिनमें से करीब 5 हजार का कोर्स पूर हो चुका है। वही अभी भी 869 मरीजों का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है। हेपिटाइटिस बी व सी का इलाज तीन से छह माह में पूरा हो जाता है। सीएमएस - डा. किशोर आहुजा
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