Threatened in the name of Gorakhpur Math called officials 135 times shocking revelations गोरखपुर मठ का नाम लेकर धमकाया, अधिकारियों को किए 135 बार फोन, चौंकाने वाले खुलासे, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
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गोरखपुर मठ का नाम लेकर धमकाया, अधिकारियों को किए 135 बार फोन, चौंकाने वाले खुलासे

गोरखपुर मठ का नाम लेकर धमकाने वाले गिरोह के तीन सदस्यों को संभल पुलिस पुलिस ने अरेस्ट किया। कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। अधिकारियों के सीयूजी नंबरों पर 135 बार फोन कर चुका है। आरोपियों ने खुद को गोरखपुर मठ से जुड़ा बताकर दबाव बनाने की कोशिश की थी।

Deep Pandey लाइव हिन्दुस्तानMon, 28 April 2025 10:17 AM
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गोरखपुर मठ का नाम लेकर धमकाया, अधिकारियों को किए 135 बार फोन, चौंकाने वाले खुलासे

गोरखपुर मठ का नाम लेकर प्रदेशभर में अधिकारियों और व्यापारियों को धमकाने वाले गिरोह का संभल पुलिस ने भंडाफोड़ कर दिया। सदर कोतवाली पुलिस ने बाराबंकी निवासी नागेंद्र, सुधीर कुमार मिश्रा और रामपुर के पटवाई निवासी राजू को गिरफ्तार कर रविवार को जेल भेज दिया। पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। सामने आया कि इन तीनों ने शहर के व्यवसायी विपुल गुप्ता से धमकी देने के एवज में कपिल सिंघल से 30 हजार रुपये एडवांस में लिए थे। सौदा तय हुआ था कि धमकी देने के बाद बाकी रकम भी ली जाएगी। जांच में पता चला कि बीते एक महीने में यह गैंग प्रदेशभर के 33 राजस्व अफसरों और 36 पुलिस अधिकारियों को उनके सीयूजी नंबरों पर 135 बार फोन कर चुका है। आरोपियों ने खुद को गोरखपुर मठ से जुड़ा बताकर दबाव बनाने की कोशिश की थी।

संभल के पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया कि गिरोह के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि इन आरोपियों ने और किन-किन लोगों को निशाना बनाया था। पुलिस को उम्मीद है कि जल्द ही इस नेटवर्क से जुड़े अन्य चेहरों का भी खुलासा होगा।

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दरअसल, गिरोह के सदस्य जनता से जमीन से जुड़े विवादों के प्रार्थना पत्र जुटाते थे। फिर इंटरनेट से मुख्यमंत्री जनता दर्शन के असली पत्रों की मुहर और हस्ताक्षर की नकल कर नए पत्र तैयार करते थे। राजू शिकायतकर्ता की भूमिका निभाता था, सुधीर फर्जी दस्तावेज तैयार करता और नागेंद्र अधिकारी से संपर्क कर गोरखपुर मठ का नाम लेकर काम कराने का दबाव बनाता था। काम निकलवाने के बदले में शिकायतकर्ता से 20 से 50 हजार रुपये तक वसूले जाते थे