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बीमारी से पहले हुई दो बच्चों की मौत, अब वेंटिलेटर की कमी से फिर गई जुड़वा बच्चों की जान

यूपी के बदायूं में बेहद दर्दनाक घटना घटी। सीपैप और वेंटिलेटर सपोर्ट न मिलने से जिला महिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती चार नवजातों की 12 घंटे के भीतर मौत हो गई। डॉक्टरों का कहना है कि चारों बच्चे समय से पहले पैदा हुए थे।

Srishti Kunj संवादादात, बदायूंSun, 8 June 2025 10:11 AM
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बीमारी से पहले हुई दो बच्चों की मौत, अब वेंटिलेटर की कमी से फिर गई जुड़वा बच्चों की जान

यूपी के बदायूं में बेहद दर्दनाक घटना घटी। सीपैप और वेंटिलेटर सपोर्ट न मिलने से जिला महिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती चार नवजातों की 12 घंटे के भीतर मौत हो गई। डॉक्टरों का कहना है कि चारों बच्चे समय से पहले पैदा हुए थे। उन्हें सांस लेने में दिक्कत थी और वजन कम था। यही नवजातों की मौत का कारण बताया जा रहा है। अस्पताल में वेंटिलेटर सपोर्ट सिस्टम न होने के कारण बच्चों को रेफर किया गया था लेकिन परिवार खर्चा न कर पाने के कारण उन्हें नहीं ले जा पाए और बच्चों ने दम तोड़ दिया। इन चार में से दो जुड़वां बच्चे थे।

बताया जा रहा है कि दातागंज कोतवाली क्षेत्र के समरेर निवासी विपिन सागर ने प्रसव पीड़ा होने पर 23 वर्षीय पत्नी रेनू को पांच जून को समरेर सीएचसी पर भर्ती कराया था। जहां सामान्य प्रसव से जुड़वा बच्चे पैदा हुए। एक बच्चा एक किलो सौ ग्राम का व दूसरा एक किलो 350 ग्राम का था। इसके बाद दोनों नवजातों की हालत गंभीर होने पर उन्हें जिला महिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती करा दिया गया। यहां डॉक्टरों द्वारा जांच करने पर दोनो नवजात सांस रोग से ग्रसित निकले। साथ ही, प्री मेच्योर डिलीवरी के कारण दोनों का वजन भी काफी कम था। शनिवार को दोनों नवजातों ने दम तोड़ दिया।

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विपिन के दो बच्चों की पहले भी हो चुकी है मौत

दातागंज के गांव समरेर निवासी विपिन के दो जुड़वा बच्चों की मौत से परिजनों को गहरा सदमा लगा है। वजह है कि विपिन के एक बेटा व एक बेटी की मौत भी पहले बीमारी से हो चुकी है। बच्चों की मौत ने परिवार को झकझोर कर रख दिया है। कहां प्राइवेट में ले जाने की हैसियत नहीं थीं और सरकारी में व्यवस्था नहीं। डाक्टर ने पहले ही बताया था, हालत गंभीर है, वेटिलेटर की जरूरत है, पर कैसे ले जाते, वहां ले जाने व रुकने पर खर्चा होता।

नवजात की मौत पर मां हुई बेहोश

बच्ची की मौत होते ही उसके परिजन विलख पड़े। इस दौरान बच्ची की मां प्रेमलता बेहोश हो गई। परिजनों ने किसी तरह उसे संभाला। जबकि दोनों नवजातों के परिजन बच्चों को गोद में लेकर फूट-फूटकर रोते रहे। यह मंजर देख वहां मौजूद लोगों की आंखे नम हो गई। धर्मपाल ने कहा, डाक्टर ने तो अपना काम किया, जब अस्पताल में मशीनें ही नहीं है, जो डाक्टर कैसे उपचार देंगे। सैफई रेफर किया, धन के अभाव में वहां कैसे ले जाते।

सीएमएस जिला महिला अस्पताल, डॉ. इंदुकांत वर्मा ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि जुड़वा बच्चों को गंभीर हालत में एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया थी। वहीं एक नवजात का महिला अस्पताल में जन्म हुआ था। उसे भी गंभीर हालत में एसएनसीयू में भर्ती कराया गया था। चौथे नवजात को शनिवार को कादरचौक से लाकर भर्ती कराया गया था। सभी नवजात प्री मेच्योर होने के कारण उनका वजन काफी कम था। सांस व इंफेक्शन से ग्रसित थे।

डॉक्टर बोले, बच्चों को सपोर्ट की जरूरत थी

डॉ. संदीप वाष्र्णेय ने बताया कि एसएनसीयू में भर्ती दोनों जुड़वा बच्चे प्री मेच्योर डिलीवरी होने के कारण उनमें एक बच्चे का वजन स्वस्थ बच्चे के मुकाबले काफी कम था। दोनो बच्चे सांस रोग से ग्रसित थे। नवजात बच्ची इंफेक्शन के साथ सांस रोग से ग्रसित थी। कादरचौक से लाकर भर्ती किए गए बच्चे का ब्लड प्रेशर कम होने के साथ ही वह सांस रोग व इंफेक्शन से ग्रसित था। चारों बच्चों को सीपैप व वेंटिलेटर सपोर्ट सिस्टम की जरूरत थी। इसी वजह से तीनों को हायर सेंटर रेफर किया गया। परिजनों ने हायर सेंटर ले जाने में असमर्थता जाहिर की और नवजातों को वार्ड में रखे रहे। बाद में इन चारों की मौत हो गई।

हर माह तोड़ रहे 25-30 नवजात

सीपैप मशीन व वेंटिलेटर के अभाव में हर माह लगभग 25-30 नवजातों की मौत हो रही है। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे। एसएनसीयू में बेहद गंभीर बच्चे भर्ती किए जाते हैं। ऐसे में इन बच्चों को दवा के साथ-साथ वेंटिलेटर या सीपैप मशीन की आवश्यकता होती है।

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