बोले काशी- नवाबगंज- समस्याएं ही बनीं ‘नवाब, दुश्वारियां बेहिसाब
Varanasi News - वाराणसी के नवाबगंज मोहल्ले की स्थितियां बहुत खराब हैं। स्थानीय निवासी गंदे पानी और सीवर ओवरफ्लो की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। सफाई कर्मियों की लापरवाही से सफाई नहीं हो रही है। बारिश में हालात और भी...
वाराणसी। नवाबों के नाम पर बसे मोहल्ले में कभी नगरीय व्यवस्था दुरुस्त थी। दुर्गाकुंड से सटे इस मोहल्ले में सीवर और ड्रेनेज के बेहतर इंतजाम थे, लेकिन आज यहां की स्थितियां बदल हो गई हैं। बुनियादी सुविधाएं तो हैं लेकिन सभी दुर्दशाग्रस्त। यहां के नागरिकों का कहना है कि बस नाम का ही नवाबगंज है, यहां हमारा सुकून गायब हो गया है। किसी तरह से जीवन जी रहे हैं। पीने के लिए बाजार से पानी खरीदना पड़ता है क्योंकि नलों का पानी बदबूदार रहता है। सीवर ओवरफ्लो भी परेशान करता है। नवाबगंज मोहल्ले में ‘असुविधाओं की दुश्वारियां झेलते लोग सुबह से रात तक कुढ़ते रहते हैं।
कभी पेयजल के लिए जलालत तो कभी सीवर ओवरफ्लो का दंश। बरसात में हालात खराब हो जाते हैं। मोहल्ले में पंचायती चबूतरे पर जुटे निवासियों ने ‘हिन्दुस्तान से न सिर्फ अपनी पीड़ा साझा की बल्कि घूम-घूमकर समस्याएं भी दिखाईं। फैयाज और अब्दुल कलाम ने कहा कि सुबह से शाम तक सीवर ओवरफ्लो करता रहता है। कभी सफाई कर्मी आते भी हैं तो सफाई ठीक से नहीं करते। न तो चैंबर से पूरा कचरा निकालते हैं और न पूरी लाइन को साफ करते हैं। सफाई के बाद कुछ देर बाद सीवर फिर ओवरफ्लो करने लगता है। सूरज मौर्य, इम्तियाज, मोहम्मद अहमद ने कहा कि समस्याओं की कई बार शिकायत हुई लेकिन समाधान आज तक नहीं मिला। कभी कभी सीवर के पानी के बीच से होकर लोगों को आना-जाना पड़ता है। जब हालात बहुत खराब हो जाते हैं तो खुद के खर्च से सीवर की सफाई करानी पड़ती है। कहा कि इस मोहल्ले में सीवर की नियमित और बेहतर तरीके से सफाई होनी चाहिए। यह भी बताया कि खुद के खर्चे पर मोहल्ले के लोगों को गलियों में चौका लगवाना पड़ा है। कहा कि अभी बरसात का मौसम नहीं आया है, इसलिए कुछ गनीमत है। बरसात हो गई तो इस मोहल्ले में कहीं भी पानी से होकर ही जाना पड़ता है। अभी सीवर समस्या का समाधान हो जाए तो इसका लाभ बरसात में मिलेगा, जलनिकासी भी होगी। बढ़ी दूषित जलापूर्ति की शिकायत मोहल्ले में प्रदूषित जलापूर्ति की पुरानी शिकायत है, यह कुछ माह के दौरान बढ़ी है। खास यह कि इस समस्या को भीषण गर्मी में भी दूर नहीं किया जा रहा है। सुषमा गुप्ता, निर्मला देवी, इंद्रावती ने कहा कि नल से बदबूदार गंदा पानी आता है। कभी कभी पीने के लिए पानी खरीदकर मंगाना पड़ता है। अन्य कार्यों के लिए इसी गंदे पानी में फिटकरी डालकर छोड़ना पड़ता है। गंदगी बैठ जाती है, तब इसका इस्तेमाल करते हैं। कहा, प्रशासन को यहां पीने के शुद्ध पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। काफी समय से गंदा पानी आने के कारण जलजनित बीमारियों के फैलने का अंदेशा बना रहता है। हर मोड़ पर कचरा मुख्य मार्ग से मोहल्ले में प्रवेश के साथ ही गंदगी दिखती है। मोहल्ले की लगभग हर गली के मोड़ पर कूड़ा पड़ा रहता है। नियमित सफाई नहीं होती। मोहम्मद अहमद, लाल बाबा कैलाश, राजेश कुमार गुप्ता ने कहा कि ठीक से झाड़ू भी नहीं लगती। झाड़ू लगी तो कूड़े का उठान नहीं हुआ। न तो इस मोहल्ले में नियमित सफाई होती है और न ही कूड़ा उठान की समुचित व्यवस्था है। कभी-कभी ठेले पर कूड़ा भरकर यहीं छोड़ दिया जाता है। कूड़ा फेंकने के लिए कोई स्थान निर्धारित नहीं है और कहीं डस्टबिन भी नहीं दिखता। राजेश गुप्ता बोले, नाम के अनुसार मोहल्ले में सुविधाएं नहीं हैं। गंदगी से कभी कभी घिन आने लगती है। समझ में नहीं आता, किससे इसकी शिकायत की जाए क्योंकि हम लोगों की शिकायतें सुनीं नहीं जातीं। तारों का जाल, बंदरों से बेहाल खंभों पर तारों का जाल है। ब्राडबैंड के तार देखने से ही लगता है कि विभाग का ध्यान पर है ही नहीं। हर खंभा तारों से उलझा पड़ा है। लालजी गुप्ता, कमला प्रसाद ने कहा कि मोहल्ले में शायद ही कोई खंभा हो जहां बेतरतीब तार न हों। बिजली के कनेक्शन बॉक्सों में ढक्कन ही नहीं हैं। किसी कारणवश शार्ट सर्किट हुआ तो स्थिति गंभीर हो जाएगी। बोले, विभाग को यह स्थिति दुरुस्त करानी चाहिए ताकि कोई अनहोनी न हो सके। उमी साव, अनवार खान समस्याओं का निराकरण न होने से खफा दिखे। कहा कि समस्याओं के समाधान के लिए कोई आगे नहीं आता। चहुंओर गंदगी है। कुछ जगहों पर बंदरों का भी आतंक है। स्ट्रीट लाइटें खराब मोहल्ले में स्ट्रीट लाइटें हैं लेकिन ज्यादातर जलती नहीं हैं। उमी साह और अमन ने बताया कि स्ट्रीट लाइटों के न जलने से आवागमन में काफी परेशानी होती है। घरों में जलते बल्बों की रोशनी के सहारे लोग आते-जाते हैं। ज्यादातर लाइटें या तो खराब पड़ी हैं या जलती ही नहीं हैं। किसी का ध्यान नहीं है कि इस मोहल्ले में रोशनी की व्यवस्था दुरुस्त कर दी जाए। अगर यह व्यवस्था सुधर जाए तो लोगों को आने जाने में काफी राहत मिलेगी। हमारी पीड़ा सुनें दुश्वारियां झेलते सुबह से रात तक खुद को कोसते रहते हैं, आखिर क्यों इस हाल में जी रहे हैं। -फैयाज कभी पानी की किल्लत, कभी सीवर ओवरफ्लो। बारिश में हालात भयावह हो जाते हैं। -अब्दुल कलाम सफाई के लिए कर्मी आते हैं तो सफाई ठीक से नहीं करते। न पूरा कचरा निकालते हैं। -सूरज मौर्य सफाई के बाद कुछ देर बाद फिर ओवरफ्लो होने लगता है। शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं होती। -इम्तियाज कभी-कभी सीवर के बीच से होकर गुजरना पड़ता है। अपने खर्च पर सफाई करानी पड़ती है। -मोहम्मद अहमद प्रदूषित जलापूर्ति की समस्या कुछ माह से बढ़ी है। शिकायत के बाद भी समाधान नहीं हो रहा। -सुषमा गुप्ता पीने के लिए पानी खरीदना पड़ता है। अन्य कार्यों के लिए गंदे पानी में फिटकरी डालते हैं। -निर्मला देवी पीने के शुद्ध पानी की शीघ्र व्यवस्था की जाए। काफी समय से गंदा पानी आ रहा है। -इंद्रावती मोहल्ले में पहुंचते ही गंदगी दिखती है। गलियों के मोड़ पर कूड़ा रहता है। नियमित सफाई नहीं होती है। -लाल बाबा कैलाश इस मोहल्ले में कूड़ा फेंकने के लिए कोई स्थान तय नहीं है। कहीं डस्टबिन भी नहीं है। -राजेश कुमार गुप्ता खंभों पर तारों का जंजाल मोहल्ले में शायद ही कोई खंभा हो जहां तारों का जाल न हो। बिजली के बक्से में ढक्कन ही नहीं हैं। -लालजी गुप्ता समस्या समाधान के लिए कोई आगे नहीं आता। चहुंओर गंदगी, खंभों पर तारों का जाल है। बंदरों का भी आतंक है। -कमला प्रसाद सुझाव -मोहल्ले में पीने के शुद्ध पानी की व्यवस्था शीघ्र होनी चाहिए। इससे रोगों के फैलने की आशंका नहीं रहेगी। -सफाईकर्मियों को सीवर की ठीक से सफाई के लिए निर्देशित किया जाए। वे पूरा कचरा निकालें, पूरी लाइन साफ करें। -मोहल्ले में सफाई व्यवस्था दुरुस्त हो। नियमित झाड़ू लगाने के साथ ही कूड़ा उठान भी होना चाहिए। -कूड़ा फेंकने के लिए स्थान निर्धारित होना जरूरी है। मोहल्ले में जगह-जगह डस्टबिन भी रखवाए जाएं। -शार्ट सर्किट जैसी समस्या न हो, इसके लिए खंभों से तारों का जाल हटाया जाए। इससे दुर्घटना की आशंका नहीं रहेगी। शिकायतें -समस्याएं पुरानी हैं। कभी दूषित जल की आपूर्ति तो कभी सीवर ओवरफ्लो। बारिश में यहां के हालात भयावह हो जाते हैं। -सफाई के बाद कुछ देर बाद सीवर ही ओवरफ्लो करने लगता है। अधिकारियों से शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं होती। -मोहल्ले में सफाई व्यवस्था दुरुस्त नहीं है। गलियों के मोड़ पर कूड़़ा पड़ा रहता है। नियमित कूड़ा उठान भी नहीं है। -कूड़ा फेंकने के लिए कोई स्थान तय नहीं है। कूड़ा रखने के लिए कहीं डस्टबिन भी नहीं दिखते हैं। -मोहल्ले में लगभग हर खंभे पर तारों का जाल है। शार्ट सर्किट का अंदेशा रहता है। बिजली के बाक्सों में ढक्कन नहीं लगे हैं।
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