Yogi cabinet approves 13 proposals including data center policy settlement deed no stamp duty on registry डाटा सेंटर, डिजिटल मीडिया नीति समेत 12 प्रस्तावों पर योगी कैबिनेट की मुहर, जानिए अन्य फैसले, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
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डाटा सेंटर, डिजिटल मीडिया नीति समेत 12 प्रस्तावों पर योगी कैबिनेट की मुहर, जानिए अन्य फैसले

  • यूपी की योगी कैबिनेट ने मंगलवार को डाटा सेंटर संशोधन नीति, सेटलमेंट डीड समेत 13 प्रस्तावों पर मुहर लगा दी है। अब इस डीड की रजिस्ट्री पर स्टांप शुल्क नहीं लगेगा। संस्कृत छात्रों की स्कॉलशिप भी बढ़ा दी गई है।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तानTue, 27 Aug 2024 08:59 PM
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डाटा सेंटर, डिजिटल मीडिया नीति समेत 12 प्रस्तावों पर योगी कैबिनेट की मुहर, जानिए अन्य फैसले

यूपी की योगी कैबिनेट ने मंगलवार को डाटा सेंटर संशोधन नीति, डिजिटल मीडिया नीति समेत12 प्रस्तावों पर मुहर लगा दी। डाटा सेंटर संशोधन नीति से अब डिजिटल में ज्यादा मौके मिल सकेंगे। युवाओं को इससे काफी फायदा होगा। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप पेयजल आपूर्ति के लिए रखरखाव नीति को मंजूरी दी गई है। देशी विदेशी पर्यटकों की सुविधा के लिए संविदा पर राज्य पर्यटन निगम के गेस्ट हाउस देने को भी मंजूरी मिली है।

प्रदेश में आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को बेहतर आवासीय एवं खान-पान की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए यूपी राज्य पर्यटन विकास निगम लिमिटेड द्वारा संचालित पर्यटक आवास गृहों को प्रबन्धकीय संविदा के आधार पर निजी उद्यमियों के माध्यम से 30 साल के लिए लीज पर संचालित कराये जाएंगे। प्रदेश में कुल 87 पर्यटक गृह है। संस्कृत छात्रों की स्कॉलशिप भी बढ़ा दी गई है।सरकारी संस्कृत विद्यालय के छात्रों की छात्रवृति बढ़ाने की मंजूरी का लाभ हर आय वर्ग को होगा।

डाटा सेन्टर क्षेत्र की महत्ता को देखते हुए राज्य सरकार ने इसकी नीतियों में बदलाव किया है। इससे पहले जनवरी 2021 में डाटा सेन्टर नीति बनाई गई थी। राज्य में 900 मेगा वॉट डाटा सेन्टर उ‌द्योग विकसित किये जाने, 30,000 करोड़ के निवेश और कम से कम 8 अत्याधुनिक निजी डाटा सेन्टर पार्क्स स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। 

नीति के अन्तर्गत डाटा सेन्टर पार्क्स और डाटा सेन्टर इकाइयों को पूंजी उपादान, ब्याज उपादान, भूमि के क्रय/पट्ट पर स्टाम्प ड्यूटी में छूट और ऊर्जा से सम्बन्धित वित्तीय प्रोत्साहनों के अतिरिक्त विभिन्न गैर वित्तीय प्रोत्साहनों दिए जाएंगे। बुन्देलखण्ड तथा पूर्वांचल क्षेत्रों के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहनों की व्यवस्था की गई है।

डाटा सेंटर पार्क्स/इकाइयों की स्थापना और औ‌द्योगीकरण से प्रदेश में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त होगा। इससे इसके साथ ही प्रदेश में इस क्षेत्र की दूसरी इकाइयां भी आएंगी। प्रतिस्पधा के कारण प्रदेश में इस क्षेत्र में नए Innovation को भी बढ़ावा मिलेगा। आने वाले समय में नई प्रौ‌द्योगिकी का भी विकास होगा।

डिजिटल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री देने पर होगी कार्रवाई

यूपी सरकार ने डिजिटल मीडिया के लिए अपनी नीति तय कर दी है। इसके तहत फेसबुक, एक्स (पूर्व में ट्विटर), इंस्टाग्राम एवं यूट्यूब पर आपत्तिजनक कंटेंट अपलोड किये जाने की स्थिति में सम्बन्धित एजेंसी व फर्म के विरुद्ध नियमानुसार विधिक कार्यवाही की व्यवस्था की गयी है। किसी भी स्थिति में कंटेंट अभद्र, अश्लील एवं राष्ट्र विरोधी नहीं होना चाहिये।

कैबिनेट ने मंगलवार को सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की नीति को मंजूरी दे दी। इसके तहत डिजिटल माध्यम पर आधारित कंटेंट, वीडियो, ट्विट, पोस्ट, रील्स को प्रदर्शित किये जाने के लिये इनसे सम्बन्धित एजेंसी/फर्म को सूचीबद्ध कर विज्ञापन जारी करने के लिए प्रोत्साहन दिया जायेगा। एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम के अकाउण्ट होल्डर/संचालक/इन्फ्लूएंसर्स को भुगतान के लिये श्रेणीवार अधिकतम भुगतान की सीमा क्रमशः रू0 5.00 लाख, 4.00 लाख, 3.00 लाख एवं 2.00 लाख प्रतिमाह निर्धारित की गयी है। यूट्यूब पर वीडियो/शॉर्ट्स/पॉडकास्ट भुगतान के लिये श्रेणीवार अधिकतम भुगतान की सीमा क्रमशः रु० 8.00 लाख, 7.00 लाख, 6.00 लाख एवं 4.00 लाख प्रतिमाह निर्धारित की गयी है।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में विकास की विभिन्न विकासपरक, जन कल्याणकारी/लाभकारी योजनाओं/उपलब्धियों की जानकारी एवं उससे होने वाले लाभ को प्रदेश की जनता तक डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म्स एवं इसी प्रकार के अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स के माध्यम से पहुंचाए जाने के लिए यह नीति लाई गई है।

ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजना के रखरखाव पर 4485 करोड़ रुपये हर साल खर्च होंगे

उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल पाइप जलापूर्ति योजना के संचालन व रखरखाव के लिए 4485 करोड़ रुपये हर साल खर्च होंगे। इसमें 1553 करोड़ रुपये तो केवल बिजली पर बाकी अन्य मदों में खर्च होंगे।

कैबिनेट ने मंगलवार को “उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप पेयजल योजनाओं की संचालन एवं अनुरक्षण नीति-2024” को मंजूरी दे दी। मंगलवार को आयोजित कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूर कर दिया गया।

जलशक्ति विभाग के मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने बताया कि संचालन एवं अनुरक्षण नीति-2024 अब तक लागू रही संचालन एवं अनुरक्षण नीति-2015 के स्थान पर लाई गई है। जल जीवन मिशन के तहत संचालित पाइप पेयजल योजनाओं व पूर्व से उत्तर प्रदेश जल निगम (ग्रामीण) द्वारा संचालित एवं अनुरक्षित पाइप पेयजल योजनाओं के संचालन व अनुरक्षण के लिए अपेक्षित बजटीय व्यवस्था राज्य वित्त आयोग/राज्य बजट से कराया जाना भी प्रस्तावित है। इस प्रस्ताव को भी कैबिनेट ने मंजूर किया है।

शहरों में सड़क, सीवर व पेयजल आपूर्ति के कामों में आएगी तेजी

राज्य सरकार ने शहरों में सड़क, सीवर व पेयजल आपूर्ति की सुविधाओं के कामों में और तेजी लाने के लिए विकास शुल्क से मिले पैसों का बंटवारे की व्यवस्था बदल दी है। स्टांप एवं निबंधन विभाग के माध्यम से विकास प्राधिकरणों और निकायों को यह पैसा सीधे दिया जाएगा। अभी तक वित्त विभाग के माध्यम से यह पैसा दिया जा रहा था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ। स्टांप विभाग को हर साल विकास शुल्क के रूप में 1000 करोड़ रुपये से अधिक मिलते हैं।

स्टांप एवं पंजीकरण मंत्री रवींद्र जायसवाल ने बताया कि उत्तर प्रदेश में संपत्तियों की रजिस्ट्री पर महिलाओं से चार व पुरुषों से पांच फीसदी स्टांप शुल्क लिया जाता है। शहरी क्षेत्रों में दो फीसदी विकास शुल्क का अतिरिक्त लिया जाता है। इस शुल्क से संबंधित इलाके में सड़क, सीवर, पानी आदि की सुविधाएं दी जाती हैं। स्टांप विभाग पहले विकास शुल्क वसूल कर ये पैसा सीधे प्राधिकरणों और निकायों को जारी करता था, लेकिन वर्ष 2013 में सपा सरकार में इस व्यवस्था को बदलते हुए यह अधिकार वित्त विभाग को दे दिया।

उन्होंने बताया कि इसके पीछे मंशा ये थी कि विकास शुल्क की मद में जारी धनराशि का इस्तेमाल अन्य योजनाओं में कर लिया जाए। इस वजह से प्राधिकरणों और स्थानीय निकायों में आने वाले इलाकों में विकास बाधित होने लगा। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में पुन: स्टांप विभाग को सीधे पैसा जारी करने के अधिकार दे दिए। इस फैसले से विकास प्राधिकरणों और निकायों को सीधे पैसे मिलेगा व देरी भी नहीं होगी।

कैबिनेट संस्कृत छात्रों की छात्रवृत्ति बढ़ाने का फैसला

कैबिनेट ने प्रदेश के संस्कृत विद्यालयों व महाविद्यालयों में अध्ययन करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए वर्ष 2001 से लागू वर्तमान छात्रवृत्ति दरों में वृद्धि के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। प्रदेश के संस्कृत विद्यालयों में लगभग 1.38 लाख विद्यार्थी हैं। संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए सरकार विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दे रही है।

प्रदेश की माध्यमिक शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी ने बताया कि प्रथमा (कक्षा छह एवं सात) के लिए 50 रुपये, मध्यमा (कक्षा आठ) के लिए 75 रुपये, पूर्व मध्यमा (कक्षा नौ व 10) के लिए 100 रुपये, उत्तर मध्यमा (कक्षा 11 व 12) के लिए 150 रुपये, शास्त्री के लिए 200 रुपये और आचार्य के लिए 250 रुपये प्रति माह की दर से छात्रवृत्ति दिए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। कैबिनेट में इसका प्रस्ताव माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से प्रस्तुत किया गया था। वर्तमान में प्रदेश में एक सरकारी संस्कृत विद्यालय एवं महाविद्यालय संचालित है। इसके अलावा 570 माध्यमिक एवं 403 सरकारी सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में संस्कृत पढ़ाई जा रही है। छात्रवृत्ति से लाभान्वित होने वालों में 1073 छात्र छात्राएं हैं।

जेवर एयरपोर्ट, नोएडा व यमुना अथॉरिटी लिए 4795 हेक्टर भूमि और ली जाएगी

राज्य सरकार ने गौतमबुद्धनगर में जेवर एयरपोर्ट और न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) व यमुना विकास प्राधिकरण की योजनाओं के लिए पांच फीसदी से अधिक लेने का प्रतिबंध हटाते हुए 4795 हेक्टेयर भूमि लेने की अनुमति दे दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ। यह प्रतिबंध केवल गौतमबुद्धनगर के लिए हटाया गया है।

भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर व पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम में दी गई व्यवस्था के तहत योजनाओं के लिए पांच फीसदी तक ही भूमि का अधिग्रहण किया जा सकता है। राजस्व विभाग ने इसके लिए वर्ष 2015 में शासनदेश जारी किया था।

राज्य सरकार गौतमबुद्धनगर में अंतर्राष्ट्रीय स्तर से जेवर एयरपोर्ट बना रही है। इसके साथ ही नोएडा और यमुना विकास प्राधिकरण द्वारा बहुत सरकारे विकास कार्य कराए जा रहे हैं। इसके लिए अभी तक 4.06 फीसदी भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है। इन योजनाओं के लिए अभी और भूमि की जरूरत है। इसीलिए गौतमबुद्धनगर से इस संबंध में राजस्व विभाग को प्रस्ताव भेजा गया था।

राजस्व विभाग ने प्रस्ताव का परीक्षण करने के बाद इसमें छूट देने की अनुमति के लिए कैबिनेट से मंजूरी को प्रस्ताव भेजा था। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। इसके मुताबिक अब 20 फीसदी जमीन इन योजनाओं के लिए ली जा सकेगी। जेवर एयरपोर्ट के लिए 3286 और नोएडा व यमुना विकास प्राधिकरण के लिए 1509 हेक्टेयर जमीन ली जाएगी।

अलग अलग स्थान पर निवेश करने पर भी मिलेगा पूरा लाभ

योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में निवेश करने वाले अल्ट्रा मेगा इकाईयों के लिए प्रोत्साहन का पिटारा खोले जाने का निर्णय लिया है। इसके तहत यदि कोई कम्पनी प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर 3000 करोड़ से अधिक का निवेश कर प्रोत्साहन चाहती है तो उसे कस्टमाइज पैकेज की सुविधाएं दी जाएंगी। जिसके तहत मेसर्स आवाडा इलेक्ट्रो प्राइवेट लिमिटेड को कस्टमाइज पैकेज का लाभ दिया जाएगा।

कैबिनेट बैठक के बाद मंत्री नन्दी ने बताया कि अवाडा इलेक्ट्रो प्राइवेट लिमिटेड द्वारा उत्तर प्रदेश में पांच गीगा वाट एकीकृत सौर विनिर्माण इकाई में सौर इनगॉट-वेफर, सोलर सेल एवं सौर मॉड्यूल का उत्पादन किया जाएगा। अवाडा इलेक्ट्रो प्राइवेट लिमिटेड को प्रस्तावित परियोजना में कुल 11,399 करोड़ के निवेश की पेशकश की गई है। परियोजना हेतु 150 एकड़ भूमि की आवश्यकता है। जिसमें 50 एकड़ ग्रेटर नोएडा (गौतमबुद्ध नगर एवं गाजियाबाद क्षेत्र) तथा 100 एकड़ हाथरस (पश्चिमांचल) में उपलब्ध है।

मेसर्स अवार्डा इलेक्ट्रो प्राइवेट लिमिटेड द्वारा ग्रेटर नोएडा एवं हाथरस में 11,399 करोड़ से अधिक का निवेश सोलर क्षेत्र में प्रस्तावित किया गया है। इस निवेश में पांच गीगा वाट एकीक्रृत सौर विनिर्माण इकाई स्थापित किया जाएगा। जिसमें सौर इन गॉट वेफर, सोलर सेल एवं सोलर मॉड्यूल का उत्पादन किया जाएगा। इसके लिए 50 एकड़ भूमि ग्रेटर नोएडा एवं 100 एकड़ भूमि हाथरस में उपलब्ध कराया जाएगा। दो चरणों की इस परियोजना में 4500 रोजगार सृजित होंगे। कम्पनी द्वारा बुन्देलख्ण्ड में सोलर पॉवर उत्पादन इकाई स्थापित की जाएगी।

आवेदक इकाई द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट में सौर ऊर्जा इकाई हेतु 3054 करोड़, उत्कृष्टता केंद्र हेतु 20 करोड़, इन हाउस अनुसंधान हेतु 40 करोड़ का अतिरिक्त निवेश किया गया है। चूंकि इकाई द्वारा भिन्न भिन्न स्थानों पर निवेश किया जा रहा है, इसलिए केस टू केस आधार पर इन परियोजनाओं को एक परियोजना मान कर ही मंत्री परिषद द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया है।