छह गोलियों से छलनी युवक को गोरखपुर एम्स में मिला नया जीवन, घंटों चला ऑपरेशन, 15 दिनों तक निगरानी
गोली लगने से घायल युवक के क्षतिग्रस्त चेहरे की सर्जरी कर एम्स गोरखपुर के दंत रोग विभाग ने उसे नई जिंदगी दी है। छह गोलियां लगने से युवक का गाल, नाक-कान, कंधे और हथेली बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी। सर्जरी में करीब तीन घंटे का समय लगा, तब जाकर युवक के चेहरे को दोबारा उसी तरह किया जा सका।

गोलियों से छलनी बिहार के गोपालगंज निवासी युवक को गोरखपुर एम्स में नया जीवन मिला है। डॉक्टरों की टीम ने घंटों ऑपरेशन कर युवक की जान बचाई। ऑपरेशन के बाद भी 15 दिनों तक गहन निगरानी में रखा। युवक का गाल, नाक-कान, कंधे और हथेली बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी। घंटों सर्जरी के बाद युवक के चेहरे को दोबारा उसी तरह किया जा सका।
एम्स के मुताबिक, बिहार के गोपालगंज में शादी समारोह के दौरान पार्किंग विवाद में 32 वर्षीय युवक पर कुछ लोगों ने जानलेवा हमला कर दिया था। उसे छह गोलियां मारी गई थीं, लेकिन उसकी जान बच गई। हालांकि, गोली लगने से उसका ऊपरी और निचला जबड़ा, जीभ, गाल, नाक-कान, कंधे और हथेली बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी। गंभीर स्थिति में युवक को पहले गोपालगंज सदर अस्पताल फिर बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर लाया गया।
हालत गंभीर होने पर एम्स रेफर कर दिया गया। दंत रोग विभाग के ओरल एवं मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉ. शैलेश कुमार ने मरीज की स्थिति को देखते हुए तत्काल सर्जरी का फैसला लिया। जटिल सर्जरी के दौरान गोली से बुरी तरह क्षतिग्रस्त चेहरे को दोबारा उसी तरह बनाया गया। इसके अलावा हड्डी रोग विभाग की टीम ने हथेली की टूटी हुई उंगलियों को जेस फिक्सेशन डिवाइस की मदद से जोड़ा। एम्स की कार्यकारी निदेशक सेवानिवृत्त मेजर जनरल डॉ. विभा दत्ता ने पूरी टीम को बधाई दी है।
15 दिन से की जा रही मरीज की निगरानी
डॉ. शैलेश कुमार ने बताया कि यह सर्जरी करीब 15 दिन पहले की गई है। तभी से मरीज मैक्सिलोफेशियल वार्ड में डॉक्टरों की गहन निगरानी में है। उसके स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है। चेहरे के घाव भी तेजी से सूख रहे हैं। इसके अलावा जहां-जहां गोली के छर्रे लगे थे, वहां का निशान भी जा रहा है। नई तकनीक से चेहरे को पुराना रूप दिया गया है।
सर्जरी में इनका रहा विशेष योगदान
युवक के इलाज में डॉ. शैलेश कुमार, दंत रोग विभाग के सीनियर रेजिडेंट डॉ. प्रवीण सिंह, जूनियर रेजिडेंट डॉ. प्रियंका त्रिपाठी, एनेस्थीसिया के डॉ. भूपिंदर सिंह, डॉ. शफाक, डॉ. रिया. हड्डी रोग विभाग के डॉ. राजनंद कुमार, डॉ. शशांक प्रकाश, डॉ. रूपम बरुआ, ओटी नर्सिंग टीम की ध्रुवी, दिव्या, प्रतिभा का योगदान रहा।