बोले देहरादून : खाद्य पदार्थों में मिलावट के खिलाफ सख्त कानून बनाया जाना चाहिए
बढ़ती जनसंख्या के साथ खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ रही है, लेकिन मिलावट की समस्या भी गंभीर हो रही है। लोग अधिक मुनाफे के लिए खाद्य पदार्थों में मिलावट कर रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।...

बढ़ती आबादी के साथ खाद्यान्न की मांग भी बढ़ती जा रही है। इसको पूरा करने के लिए पर्याप्त मैनपावर नहीं है। इसी का फायदा उठाकर कुछ लोग खाने में मिलावट कर उसकी गुणवत्ता को तो कम कर ही रहे हैं, साथ ही लोगों की जान से भी खिलवाड़ कर रहे हैं। वहीं बाजारों में उत्पादन को बढ़ाने के लिए अलग-अलग तरह के केमिकल आ रहे हैं, जो हानिकारक हैं। इनकी जांच होनी चाहिए, साथ ही जगह-जगह पर इस तरह के केमिकल पर प्रतिबंध लगना चाहिए और इसकी जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए। प्रस्तुत है कुमुद नौटियाल की रिपोर्ट... हर साल सात जून को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों को यह जागरूक करना है कि जो भोजन वे खा रहे हैं, वह सुरक्षित, शुद्ध और सेहतमंद है या नहीं।
आज के समय में खाद्य पदार्थों में मिलावट एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जो न केवल सेहत को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि समाज में खाद्य असुरक्षा भी पैदा करती है। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान के 'बोले देहरादून' अभियान के तहत ऐसे लोगों से बातचीत की गई जो पिछले 12 वर्षों से भोजन की बर्बादी रोकने और खाद्य सुरक्षा को लेकर जनजागरूकता फैलाने का कार्य कर रहे हैं। उनका मानना है कि खाद्य मिलावट तब पनपती है जब खाद्य सामग्री की कमी हो जाती है और यह कमी कहीं न कहीं हम खुद ही पैदा कर रहे हैं, जब जरूरत से ज्यादा खाना परोसते हैं और फिर उसे फेंक देते हैं। यह बर्बादी मिलावटखोरी को अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा देती है। सबसे ज्यादा मिलावट की शिकायतें दूध और उसके उत्पादों में पाई जाती हैं। अधिक मुनाफे के लालच में कुछ लोग अपने पशुओं को केमिकल युक्त दवाएं देते हैं, जिससे दूध की मात्रा तो बढ़ जाती है, लेकिन उसकी गुणवत्ता में भारी गिरावट आती है। इससे न केवल दूध पीने वालों की सेहत पर असर पड़ता है बल्कि पशुओं को भी खतरा होता है। यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है तुरंत लगाम लगाने की जरूरत है। सरकार को चाहिए कि वह ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई करे और खाद्य सुरक्षा नियमों को सख्ती से लागू करे। सरकार को आम जनता को भी इस विषय में जागरूक करना जरूरी है ताकि वे केवल शुद्ध और प्रमाणित खाद्य उत्पादों का ही सेवन करें। केमिकल के प्रयोग से खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता पर भी पड़ रहा है असर आज के समय में खाद्य पदार्थो की डिमांड बढ़ रही है, लेकिन उत्पादन उस हिसाब से नहीं हो पा रहा है। इस वजह से किसान और खाद्य पदार्थों की बिक्री करने वाले फसलों की मात्रा बढ़ाने के लिए केमिकल का प्रयोग कर रहे हैं। इससे मात्रा तो बढ़ रही है, लेकिन खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। खाने के पैष्टिक तत्व कम हो गए हैं। ऐसे ही लोग अपनी गायों का कई प्रकार के इंजेक्श देते है ताकि वह ज्यादा दूध दे सके। इससे न केवल दूध की गुणवत्ता पर असर पड़ता है बल्कि गाय की सेहत पर भी बूरा असर पड़ता है। इसलिए सरकार को सख्त खाद्य सुरक्षा कानून बनाना चाहिए। केमिकल युक्त खाद्य पदार्थों को खाने से लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। कानून में बदलाव हो सख्त सजा दी जाए खाद्य पदार्थों में सबसे अधिक मिलावट दूध और दूध से बने उत्पादों में की जाती है। इसके लिए खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से समय-समय पर जांच की जाती है। जांच के बाद सेंपल को लैब भेजा जाता है। इसके बाद दोषियों को छह माह तक की सजा और 1 लाख रूपये तक का जुर्माना लगाया जाता है। इसमें कानूनी बदलाव किया जाना चाहिए। दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। सरकार जागरूकता अभियान चलाए खाद्य सुरक्षा एक बढ़ी समस्या बनाता जा रहा है। आए दिन कई लोग भूखमरी से और गलत खान-पान की वजह से अपनी जान गंवाह रहे है। इन सबको रोकने के लिए सरकार को आम नागरिको से जुड़ने की जरूरत है। उनसे जुड़कर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। शादी-समारोह और पार्टियों में भोजन की बर्बादी को अब रोकने की दरकार जहां एक तरफ लोग भूखे मर रहे हैं वहीं दूसरी ओर लोग इसी भोजन को बर्बाद कर रहे है। लोगों को अंदाजा भी नहीं है कि उनकी प्लेट में परोसे जाने वाला भोजन कितने पड़ावों से गुजर कर आता है। उसको बनाने में कितने लोगों की मेहनत लगती है। ज्यादातर भोजन शादियों में बर्बाद होता है। लोग बहुत ज्यादा भोजन लेकरउसेछोड़ देते हैं। लोग अगर भोजन बर्बाद न करने का संकल्प लें और इस पर अमल करें तो काफी हद तक भोजनी की कमी को रोका जा सकता है। इसके साथ ही भोजन की मिलावट पर भी रोक लग सकती है। बोले जिम्मेदार विभाग द्वारा मिलावटी खाद्य पदार्थों की नियमित जांच की जाती है। हाल ही में दो स्थानों पर बड़ी मात्रा में मिलावटी पनीर पकड़ा गया, जिसे मौके पर ही नष्ट कर दिया गया। पुलिस ने इस मामले में पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। समय-समय पर लोगों को मिलावटी उत्पादों के प्रति जागरूक किया जाता है, ताकि वे अपनी सेहत के प्रति सजग रहें और मिलावटखोरों पर लगाम लगाई जा सके। विभाग का अभियान आगे भी लगातार जारी रहेगा। -रमेश सिंह, सीनियर फूड सेफ्टी ऑफिसर सुझाव 1. लोगों को खाना बचाने का भाव अपने आचरण में लाना चाहिए। 2. मिलावट करने को लेकर सख्त से सख्त कानून बनाए जाएं। 3. लोगों को शुद्ध सब्जियां उगाने के लिए प्रेरित किया जाए। 4. खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता बढ़ाने वाली दवाइयों के प्रयोग और बिक्री पर रोक लगनी चाहिए। 5. किसानों और आम लोगों को इन दवाओं के बारे में जागरूक करें। शिकायतें 1. लोग खाने को बचाने के प्रति जागरूक नहीं है। 2. मिलावट करने वालों के खिलाफ सख्त कानून नहीं है। 3. लोग शुद्ध खाद्य पदार्थ को उगाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। 4. बाजारों में कई तरह कि दवाइयां उपलब्ध होती हैं, जिससे खद्य पदार्थ में मिलावट की जाती है। 5. सरकार की ओर से दवाइयों पर भी रोक नहीं लगाई जा रही है। बोले लोग- थाली में परोसे जाने वाला अन्न बहुत कीमती है। अन्न की बर्बादी अन्नदाताओं का अपमान है जो दिन-रात मेहनत करके इसको उगाते हैं। इसलिए थाली में उतना ही भोजन लें, जितना खा सकें। - संदीप सरकार को मिलावट को लेकर जागरूकता अभियान चलाने चाहिए। घरों में ही लोग कैसे मिलावटीखाद्य पदार्थों का पता लगा सकें। सरकार की ओर से जागरूक किया जाए। - राजेंद्र सरकार की ओर से चलने वाले जागरूकता अभियान नियमित चलने चाहिए। इसमें आम लोगों को भी भागेदारी का अवसर दिया जाना चाहिए। शादी-पार्टियों में भोजन बर्बाद नहीं करना चाहिए। - मदन जोशी बाजारों में जानवरों को लगाई जाने वाली दवाएं खुले आम बिक रही हैं। लोग उन्हें ले भी रहे हैं। इससे जानवरों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है। लोगों को जागरूकता दिखानी चाहिए। -शांति प्रसाद बहुगुणा मिलावट करने वालों के खिलाफ कोई सख्त कानून नहीं है। इससे लोगों की हिम्मत बढ़ रही है और मिलावट कर रहे हैं। इस पर भी संबंधित विभाग को ध्यान देने की जरूरत है। -कुलदीप मेहता खाद्य पदार्थों में मिलावट करते हुए पकड़े जाने पर लोगों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। ताकि भविष्य में मिलावट न करें। लोगों को भी खरीदारी के वक्त जागरूकता दिखानी चाहिए। -प्रवीण सैनी दुकानों पर और जगह-जगह ऐसी दवाइयों के पोस्टर लगने चाहिए, जिनसे खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। सरकार की ओर से ऐसी दवाइयों पर रोक लगाई जानी चाहिए। - राजेश जायसवाल उन लोगों पर भी कार्रवाई कर चालान काटे जाने चाहिए, जो अपनी फसलों और पशुओ पर ज्यादा दूध के लालच में दवाई का प्रयोग करते हैं। इससे पशुओं की जान जोखिम में डालते हैं। -राजेंद्र रावत आज के समय सबसे ज्यादा मिलावट दूध और उससे बने हुए उत्पादों में देखी जाती है। त्योहार के दौरान मिठाइयों में सबसे ज्यादा मिलावट की जाती है। -खिलानंद उनियाल देश के भीतर खाद्य पदार्थों की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, लेकिन उसको पूरा करने के लिए हमारे पास न साधन है न ही हमारे पास मैनपॉवर है। - अरविंद अग्रवाल लोग अपनी दिनचर्या में खाना बचाने को लेकर कोई पालन नहीं करते हैं। जब तक वह खुद से संकल्प लेकर खाने की बर्बादी पर रोक नहीं लगा पाएंगे। -अशोक कश्यप अन्न राष्ट्रीय संपत्ति है। इसे उगाने में देश के संसाधन तो लगे ही हैं साथ ही अन्नदाता की मेहनत भी लगी है। हमें किसानों का सम्मान करना चाहिए। - नवीन आहूजा संबंधित विभाग को लोगों को केमिकल के प्रति जागरूक करना चाहिए। लोगों में खाद्य पदार्थों के प्रति जागरूकता आने से ही मिलावटखोरों पर शिकंजा कसेगा। -ललित शर्मा समय-समय पर खाद्य सुरक्षा को लेकर जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए। इन अभियानों से लोग जागरूक होंगे और दूसरों के लिए प्रेरणा बनेंगे। - कुलदीप नेगी आजकल लोग लालच में आकर ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में दूसरों के स्वास्थ्य को खतरे में डालने का काम कर रहे हैं ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जाए। - विनोद शर्मा लोग व्यस्त दिनचर्या के चलते खानपान पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। लोगों को खुद से ही अपनी दिनचर्या को बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए। -अरुण शर्मा
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।