पहाड़ के जल, जंगल, जमीन पर लोकगीत और नृत्य पेश किए
हल्द्वानी में आयोजित ऑडिशन के अंतिम दिन 21 सांस्कृतिक दलों ने भाग लिया। मां बाराही लोक संस्कृति दल ने जल, जंगल, जमीन पर आधारित लोकगीत और नृत्य प्रस्तुत किया। समिति के कलाकारों ने पारंपरिक वेशभूषा में...

हल्द्वानी, संवाददाता। सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग की ओर से एमबीपीजी कॉलेज सभागार में आयोजित ऑडिशन में अंतिम दिन पंजीकृत सांस्कृतिक दलों का साक्षात्कार हुआ। जिसमें 21 दलों ने हिस्सा लिया। अंतिम दिन मां बाराही लोक संस्कृति दल हल्द्वानी ने पहाड़ के जल, जंगल, जमीन पर लोकगीत और नृत्य पेश कर रिझाया। ऑडिशन के दौरान समिति के कलाकारों ने पारंपरिक वेशभूषा में ढोल, नगाड़ा और हुड़का जैसे वाद्य यंत्रों की धुन पर प्रभावशाली लोकगीत और नृत्य प्रस्तुत किए। समूह के लोकगायक और निर्देशक गिरीश सिंह धर्मला के नेतृत्व में प्रस्तुत गीत ने श्रोताओं को गढ़वाल-कुमाऊं की सांस्कृतिक के रंगों से रूबरू कराया।
टीम में रुद्राक्ष, रेखा बर्गली, राजेन्द्र, प्रकाश, सूरज, विनोद, दिव्याशी और दीपा सहित अन्य कलाकार शामिल रहे। समिति की अध्यक्ष रेखा बर्गली ने बताया कि संस्था वर्ष 2002 से लगातार उत्तराखण्ड की लोकसंस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्यरत है। सांस्कृतिक गतिविधियों को सराहा गया निर्णायकों ने कलाकारों की प्रस्तुति की सराहना करते हुए कहा कि ऐसी सांस्कृतिक गतिविधियां राज्य की पारंपरिक विरासत को नई पीढ़ी से जोड़ने का कार्य कर रही हैं। इस अवसर पर संयुक्त निदेशक केएस चौहान, जिला सूचना अधिकारी प्रियंका जोशी आदि उपस्थित रहे।
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