बोले हल्द्वानी: जनऔषधि केंद्र 24 घंटे नहीं खुलता, कैसे मिले सस्ती दवा
हल्द्वानी के डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल में जनऔषधि केंद्र के सीमित समय के कारण मरीजों को सस्ती दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। केंद्र ओपीडी समाप्त होने के बाद जल्दी बंद हो जाता है, जिससे भर्ती मरीजों और...

हल्द्वानी। डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल के बाहर संचालित जनऔषधि केंद्र के खुलने का समय सीमित होने से लोगों को कई बार जरूरत पर सस्ती दवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। मरीजों को सस्ती और जेनेरिक दवा लेने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। अस्पताल में सामान्य तौर हर दिन लगभग 1200 की ओपीडी और 250 की आईपीडी होती है। इसके अलावा आपातकाल में दुर्घटनाग्रस्त और अचानक तबीयत बिगड़ने के औसतन 45 से 60 मरीज पहुंचते हैं। जन औषधि केंद्र संचालकों के अनुसार केंद्र में 300 से अधिक प्रकार की दवाइयां उपलब्ध हैं, वहीं लोगों का कहना है कि दवाएं पर्याप्त नहीं मिल पा रही हैं।
डॉक्टर की ओर से लिखी गई दवाएं केंद्र बंद होने या केंद्र में नहीं मिलने से मरीजों और उनके तीमारदारों को मजबूरन महंगी दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ती हैं। दवा खरीदने के केंद्र पर दो काउंटर मौजूद हैं, लेकिन स्टाफ कम होने से दवा मिलने में घंटों लग जाते हैं। बुजुर्गों और महिलाओं के लिए अलग काउंटर की व्यवस्था भी नहीं है। इन अव्यवस्थाओं के चलते जनऔषधि योजना का लाभ आमजन तक सही रूप से नहीं पहुंच पा रहा है। मरीजों और तीमारदारों ने केंद्र का संचालन समय बढ़ाने, स्टाफ की संख्या बढ़ाने और दवाओं की नियमित उपलब्धता सुनिश्चित करने की मांग की है। डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल में पहाड़ और मैदान से आने वाले गरीब तबके के मरीजों को सस्ती और जेनेरिक दवा उपलब्ध कराने के लिए खोला गया जन औषधि केंद्र ओपीडी खत्म होते ही बंद हो जाता है। इससे 750 बेड के अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों को दोपहर के बाद से अगली सुबह केंद्र के दोबारा खुलने तक सस्ते दामों में दवा नहीं मिल पाती है। चार साल पहले इस केंद्र को भारत सरकार और जिला प्रशासन की पहल से शुरू कराया गया था। इसके लिए तत्कालीन जिलाधिकारी ने भी प्रयास किए थे। इस केंद्र से मरीजों को 24 घंटे सस्ते दामों में दवाइयां अस्पताल परिसर में ही उपलब्ध कराने के प्रयास थे लेकिन वर्तमान में संचालित केंद्र से मरीजों को पर्याप्त राहत नहीं मिल पा रही है। संचालन का समय 6 बजे तक लिखा होने के बाद भी केंद्र समय से पहले ही बंद कर दिया जाता है। इसके कारण मरीज और उनके तीमारदार बाहरी मेडिकल स्टोरों से दवा लेने के लिए परेशान होते हैं। उनका कहना है कि केंद्र बंद होने के बाद उन्हें रातभर दवाओं के लिए भटकना पड़ता है। मजबूरी में महंगी दवाएं खरीदनी पड़ती हैं। समय सारणी के अनुसार नहीं होता संचालन: एसटीएच में संचालित जन औषधि केंद्र के सीमित समय तक खुलने से लोगों को परेशानी हो रही है। केंद्र के संचालन की समय सारणी लगाई गई है जिसमें सोमवार से शुक्रवार केंद्र खुलने का समय सुबह 8.30 से शाम 6.15 बजे, शनिवार को सुबह 8 से शाम पांच और रविवार को सुबह 8.30 से दोपहर दो बजे तक रखा गया है। लेकिन यह केंद्र ओपीडी के बंद होने के कुछ समय बाद ही बंद हो जाता है। इसके बाद अस्पताल में भर्ती मरीजों की दवाइयों के लिए तीमारदारों को भटकना पड़ता है। इससे न केवल उनके समय की बर्बादी होती है, बल्कि आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है। लोगों ने मांग की है कि केंद्र के खुलने के समय में बढ़ोतरी की जाए, ताकि उन्हें अपनी जरूरत की दवाइयां आसानी से मिल सकें। पूरी दवाएं नहीं मिलतीं: एसटीएच परिसर में संचालित जन औषधि केंद्र में पूरी दवाइयां नहीं होने से भी मरीजों को दिक्कत हो रही है। दवा लेने पहुंचे लोगों ने कहा कि केंद्र में सभी दवाएं होने का दावा किया जाता है लेकिन जब खरीदने पहुंचते हैं तो मौके पर दवा खत्म होने का हवाला मिलता है। भर्ती होने वाले मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी: एसटीएच में भर्ती होने वाले मरीजों को केंद्र के जल्दी बंद होने के कारण सस्ती और जेनेरिक दवाओं की सुविधा नहीं मिल पाती है। यहां भर्ती मरीजों के तीमारदारों ने बताया कि केंद्र ओपीडी के समय संचालित होता है तब सुबह से ही केंद्र के बाहर दवा लेने वाले लोगों की लाइन लग जाती है। इसके बाद शाम को बंद हो जाता है ऐसे में भर्ती मरीजों को सस्ती दवाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। केंद्र में स्टाफ की कमी: सुशीला तिवारी अस्पताल परिसर में संचालित जन औषधि केंद्र में दवा देने और मैनेजमेंट को संभालने के लिए दो ही लोगों का स्टाफ वर्तमान में कार्यरत है जिसके कारण दवा लेने के लिए आने वाले मरीज और तीमारदार पूरे दिन जूझते हैं। ओपीडी बढ़ने और आईपीडी में भी अधिक मरीज होने पर कई बार लोगों को सस्ती दवाई नहीं मिल पाती है। केंद्र से दवा लेने वालों की पांच समस्याएं 1. केंद्र के खुलने का समय कम होने से परेशान हैं मरीज और तीमारदार 2. दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता नहीं होना। 3. डॉक्टर की ओर से लिखी दवाई केंद्र पर नहीं मिलती। 4. स्टाफ की कमी से दवा मिलने में लग जाता है समय। 5. बुजुर्गों और महिलाओं के लिए नहीं हैं अलग काउंटर। मरीजों और तीमारदारों के पांच सुझाव 1. केंद्र संचालन का समय बढ़ाया जाए। 2. दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। 3. दवाओं की सूची और रेट लिस्ट लगाई जाए। 4. केंद्र में दवा वितरण के लिए स्टाफ बढ़ाया जाए। 5. बुजुर्ग और दिव्यांगों के लिए बने अलग काउंटर। इनकी सुनिए एक तो जन औषधि केंद्र जल्दी बंद हो जाता है, वहीं कई बार डॉक्टर जो दवा लिखते हैं, वह केंद्र में उपलब्ध ही नहीं होती। मजबूरी में हमें बाहर से महंगे दामों पर दवा खरीदनी पड़ती है, जिससे आर्थिक बोझ और बढ़ जाता है। तोशिब अहमद, बरेली रोड यहां हम महिलाएं और बुजुर्ग घंटों कतार में खड़े रहते हैं, लेकिन हमारे लिए कोई बैठने की सुविधा नहीं है। बुजुर्गों के लिए तो अलग काउंटर की भी सुविधा नहीं है। भीड़ के बीच धक्का-मुक्की में दवा लेना बेहद मुश्किल होता है। महमूना फैजिया, बरेली रोड पर्ची जमा करने के बाद दवा मिलने में बहुत समय लग जाता है। एक ही कर्मचारी दोनों काउंटर संभाल रहा होता है, जिससे मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। केंद्र में हर दिन के ग्राहकों के आधार पर स्टाफ बढ़ना चाहिए। संजीव शर्मा, कुसुमखेड़ा जनऔषधि केंद्र में हर बार कोई न कोई जरूरी दवा नहीं मिलती। अस्पताल में हमारा मरीज एडमिट है तो फिर महंगी दवा लेने ही जाना पड़ता है। यह योजना तो गरीबों को सस्ती दवा पहुंचाने के उद्देश्य से चलाई गई है। सतीश कुमार, कुसुमखेड़ा जनऔषधि केंद्र के संचालन का समय बहुत सीमित है। जो मरीज दूर-दराज से आते हैं, उन्हें समय पर दवा नहीं मिल पाती, बाहर से दवा लेने को मजबूर होना पड़ता है। ऐसे में गरीबों को इसकी सुविधा मिल ही नहीं रही। रशीद, वनभूलपुरा काउंटर दो होने के बावजूद एक ही कर्मचारी दवा बांटता है, जिससे लंबी लाइनें लगती हैं। कई बार बीमार मरीजों को लाइन में खड़े रहना पड़ता है। गर्मी में लंबी लाइन में लगने के बाद भी कई बार पूरी दवाएं नहीं मिलती हैं। अंकुर, रुद्रपुर भीड़ के बीच धक्का-मुक्की में दवा लेना एक कठिन अनुभव बन जाता है, जो कि जनसेवा की भावना के खिलाफ है। गरीबों के लिए संचालित इस केंद्र में दवा ले सकें इसके लिए इसका 24 घंटे खुले रहना जरूरी है। हरजीता, रुद्रपुर यहां डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाएं अक्सर उपलब्ध नहीं होतीं। इससे मरीजों को बार-बार केंद्र के चक्कर लगाने पड़ते हैं या फिर बाजार से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ती हैं। केंद्र शाम को जल्दी बंद हो जाता है इससे भी परेशानी होती है। अंजना, काशीपुर केंद्र ओपीडी तक ही खुलता है ऐसे में जो मरीज भर्ती हैं उनके लिए तो महंगी दवा खरीदना मजबूरी है। हमारा यही कहना है कि केंद्र को 24 घंटे खोले जाने की व्यवस्था होनी चाहिए। तभी सरकार का सस्ती दवा उपलब्ध कराने का प्रयास सफल होगा। भाविका, ब्लॉक इतने बड़े अस्पताल में कई मरीज भर्ती होते हैं। इसे देखते हुए केंद्र की दवाओं का स्टाक बहुत ही कम है। कई बार मरीजों को एक ही दवा के लिए दो-तीन बार केंद्र पर आना पड़ता है, जिससे समय और पैसे दोनों की बर्बादी होती है। पूजा, ब्लॉक सरकार की मंशा व्यवस्थाओं के ठीक नहीं होने से पूरी नहीं हो पा रही। अस्पताल में इतने मरीज आ रहे हैं लेकिन सबको सस्ती दवा तो मिल ही नहीं पाती है। केंद्र सुबह खुलता है शाम को जल्दी बंद हो जाता है। योगिता, दमुवाढूंगा महिला होने के बावजूद जनऔषधि केंद्र में कोई विशेष सुविधा नहीं मिलती। गर्भवती महिलाएं भी दवा लेने आती हैं लेकिन बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। लंबी लाइन होने के कारण परेशान होना पड़ता है। पंखे आदि की व्यवस्था होनी चाहिए। रोशनी, श्रीवास्तव जनऔषधि केंद्र में घंटों लाइन में लगना पड़ता है। इतनी भीड़ होती है कि कई बार लोग बिना दवा लिए ही लौट जाते हैं। स्टाफ बढ़ना चाहिए। केंद्र खुलने का समय बढ़ना चाहिए। व्यवस्था अच्छी होगी तो ही मरीज को सही और सस्ता इलाज मिलेगा। कृष्णा, ज्योलीकोट सरकार की मंशा तो अच्छी है लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि जनऔषधि केंद्र पर कर्मचारियों और संचालन का समय कम होने की समस्या है ऐसे में केंद्र जल्दी बंद हो जाता है। इसके संचालन को 24 घंटे खुलने का रखना चाहिए। शिल्पी, ज्योलीकोट बोले जिम्मेदार केंद्र को 24 घंटे खोलने के लिए पत्र लिखा गया था। इसके बाद कुछ दिन आठ बजे तक केंद्र खुला भी लेकिन नियमित रूप से संचालन नहीं किया जा रहा है। केंद्र का अगस्त तक नया टेंडर होना है। प्रयास है कि नवीनीकरण के दौरान इसे 24 घंटे संचालन के लिए प्रस्ताव रखा जाएगा। डॉ अरुण जोशी, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज, हल्द्वानी। अगर जनऔषधि केंद्र का संचालन शर्तों के अनुसार नहीं हो पा रहा है तो जांच की जाएगी। यदि जांच में समय से पहले केंद्र बंद करने जैसी समस्याएं मिलती हैं तो तय समय के आधार पर खोलने के लिए निर्देशित किया जाएगा । दीपक रावत, कुमाऊं कमिश्नर।
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