आवास विकास: पानी, सुरक्षा और सुविधाओं का चौतरफा संकट
- वार्ड नंबर चार में समस्याओं से जूझते हैं सैकड़ों लोग - असामाजिक तत्वों और

कॉमन इंट्रो आवास विकास क्षेत्र के निवासी लंबे समय से कई गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिससे उनका दैनिक जीवन अत्यंत कठिन हो गया है। यह क्षेत्र, जो कभी एक व्यवस्थित और आरामदायक जीवन का वादा करता था, आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। हल्की सी बारिश भी यहाँ के लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन जाती है, जब मुख्य सड़कें तालाब में तब्दील हो जाती हैं और आवागमन लगभग ठप पड़ जाता है। इसके अलावा, आधुनिक सुविधाओं का अभाव भी यहाँ की एक बड़ी समस्या है। जहाँ शहर के अन्य हिस्सों में गैस पाइपलाइन का काम हो गया है, वहीं इस क्षेत्र में अभी तक इसका काम शुरू नहीं हो सका है।
इन समस्याओं के साथ-साथ, शाम ढलते ही असामाजिक तत्वों और नशेड़ियों का बढ़ता आतंक लोगों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है। इन विकट परिस्थितियों ने निवासियों के मन में प्रशासन के प्रति गहरा रोष और निराशा भर दी है। जब बोले हल्द्वानी की टीम ने वहां के लोगों से बात की तो उन्होंने अपनी समस्याएं बताई और सुझाव भी दिए। मुख्य खबर नगर निगम के वार्ड नंबर 4 आवास विकास क्षेत्र में रहने वाले सैकड़ों निवासी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या पानी की किल्लत है, जिससे लोग परेशान हो चुके हैं। लागों का आरोप है कि सरकारी टैंकरों से की जाने वाली आपूर्ति अपर्याप्त है, जिसके कारण उन्हें हर महीने अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा निजी पानी के टैंकरों पर खर्च करना पड़ता है। लोगों ने कहा हमारी आधी तनख्वाह तो पानी खरीदने में ही चली जाती है। शिकायत करने पर भी कोई सुनवाई नहीं होती। एक तरफ पानी की कमी है, तो दूसरी तरफ नालियों का पानी सड़कों पर बहता रहता है। पानी की समस्या के अलावा, कॉलोनी में कुछ पेड़ ऐसे हैं जिनकी डालियां खतरनाक रूप से बिजली के तारों से उलझी हुई हैं। स्थानीय लोगों को डर है कि अगर मानसून की बारिश और तेज हवाओं से पहले इन पेड़ों की लॉपिंग का काम पूरा नहीं हुआ, तो कोई बड़ा हादसा हो सकता है। तारों पर पेड़ की डालियां गिरने से करंट फैलने या आग लगने का खतरा बना हुआ है। इसके लवा लोगों ने बताया कि शाम होते ही इलाके में नशेड़ियों और असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लग जाता है, जिससे महिलाओं और बच्चों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। इसके अतिरिक्त, क्षेत्र में लगने वाला साप्ताहिक हाट बाजार भी अव्यवस्थित है, जिससे महिलाओं को खरीदारी के दौरान काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मानसून से पहले हो जाए लॉपिंग का काम हल्द्वानी । मानसून की दस्तक के साथ ही आवास विकास क्षेत्र के निवासी एक बड़े और अनदेखे खतरे के साये में जीने को मजबूर हैं। क्षेत्र में कई पेड़ अनियंत्रित रूप से बढ़कर बिजली की हाईटेंशन तारों से जा उलझे हैं, जिससे इलाके में कभी भी करंट फैलने का गंभीर खतरा बना हुआ है। स्थानीय लोगों द्वारा इस समस्या के बारे में नगर निगम को कई बार सूचित किया जा चुका है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। लोगों ने बताया कि कई पेड़ इतने बड़े हो गए हैं कि उनकी टहनियाँ और पत्ते बिजली के नंगे तारों को पूरी तरह से छू रहे हैं। हल्की हवा चलने पर भी टहनियों और तारों के बीच स्पार्किंग होती देखी जा सकती है। लोगों का डर इस बात को लेकर है कि मानसून की पहली तेज बारिश होते ही गीली टहनियाँ बिजली की सुचालक बन जाएंगी और करंट पूरे पेड़ में उतर सकता है। इससे न केवल किसी इंसान या जानवर की जान को खतरा है, बल्कि इलाके की बिजली आपूर्ति भी ठप हो सकती है। जलभराव से परेशान लोग हल्द्वानी। लोगों ने कहा कि आवास विकास में जलभराव की समस्या इतनी विकराल हो चुकी है कि हल्की सी बारिश में यह तलाब बन जाता है। मुख्य सड़क से लेकर कॉलोनी की अंदरूनी गलियों तक, हर जगह पानी भर जाता है, जिससे लोगों का जीवन नारकीय हो गया है। प्रशासन की अनदेखी के कारण यह समस्या साल-दर-साल और गंभीर होती जा रही है। लोगों ने बताया कि यह कोई नई समस्या नहीं है, बल्कि सालों पुराना एक ऐसा नासूर है जिसे हर साल नजरअंदाज कर दिया जाता है। स्थिति यह है कि मुख्य सड़क पर पानी भरने से यातायात तो प्रभावित होता ही है, साथ ही कॉलोनी के अंदर पैदल चलना भी दूभर हो जाता है। स्कूल जाते बच्चे, दफ्तर जाने वाले कर्मचारी और विशेषकर बुजुर्गों को गंदे पानी से होकर गुजरने को मजबूर होना पड़ता है। गड्ढों में समाई सड़क, हर कदम पर हादसे का डर हल्द्वानी। लोगों ने कहा कि लगातार जलभराव ने सड़कों की सूरत बिगाड़ कर रख दी है। पानी भरने से सड़क की ऊपरी परत उखड़ चुकी है और जगह-जगह जानलेवा गड्ढे बन गए हैं। लोगों ने बताया बारिश के बाद जब पानी उतरता है, तो पीछे सिर्फ कीचड़ और गड्ढे रह जाते हैं। इन गड्ढों में अक्सर दोपहिया वाहन चालक गिरकर चोटिल हो जाते हैं। रात के अंधेरे में तो यह खतरा और भी बढ़ जाता है। लोगों में नगर निगम और स्थानीय प्रशासन के प्रति भारी आक्रोश है। उनका आरोप है कि जल निकासी व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है। जिसकी वजह से यह परेशान हो रही है। लोगों ने कहा कि जलभराव सिर्फ आवाजाही में ही बाधा नहीं डाल रहा, बल्कि यह अपने साथ बीमारियों का खतरा भी लेकर आया है। जगह-जगह जमा गंदे पानी में मच्छर पनप रहे हैं, जिससे डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी गंभीर बीमारियों के फैलने की आशंका बढ़ गई है। महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर लगा ग्रहण हल्द्वानी। स्थानीय निवासियों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि शाम होते ही इलाके का माहौल पूरी तरह बदल जाता है। झुंड बनाकर बैठे नशेड़ी न केवल सरेआम नशा करते हैं। उनकी आपत्तिजनक हरकतों और गाली-गलौज के कारण शरीफ लोगों का सड़क से गुजरना तक मुश्किल हो जाता है। सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को उठानी पड़ती है। लोगों ने कहा कि पहले हम शाम को टहलने या जरूरी सामान लेने के लिए बाजार निकल जाते थे, लेकिन अब डर लगता है। इन लोगों की मौजूदगी से असुरक्षा का माहौल इतना बढ़ गया है कि हम शाम 6 बजे के बाद घर से कदम बाहर रखने से भी कतराते हैं।” ----------- पांच समस्याएं - हल्की सी बरसात में हो जाता है जलभराव - अव्यवस्थित हाट बाजार से परेशान महिलाएं - आए दिन बना रहता है पानी का संकट - क्षेत्र में नहीं हुए लॉपिंग का काम - निकासी न होने के कारण पंचेश्वर मंदिर में भर जाता है पानी पांच सुझाव - पानी की निकासी के लिए व्यवस्था की जाए - हाट बाजार को व्यवस्थित किया जाए - जल संस्थान की ओर से दोनों पाइप लाइन में दिया जाए पानी - मॉनसून से पहले लॉपिंग का काम किया जाए - पंचेश्वर मंदिर में पानी के निकासी की व्यवस्था की जाए ------------ बोले लोग::::: हमारा तो आधा बजट पानी खरीदने में ही खत्म हो जाता है। सरकारी टैंकर आता है तो इतना कम पानी देता है कि दो दिन भी नहीं चलता। फिर 500-600 रुपये देकर प्राइवेट टैंकर मंगवाना पड़ता है। - प्रेमा रावत इस महंगाई में हम घर चलाएं या पानी खरीदते रहें। अभी तक क्षेत्र में गैस पाइपलाइन का काम भी शुरू नहीं हुआ है, हर कामों के लिए अलग भाग-दौड़ करो। कोई सुनने वाला नहीं है हमारी। - भगवती नागरकोटी हाट बाजार महिलाओं के लिए सुविधा कम, असुविधा ज्यादा बन गया है। कोई तय जगह नहीं है, ठेले वाले रास्ते पर कहीं भी खड़े हो जाते हैं, जिससे चलने तक की जगह नहीं बचती। -गोपाल भट्ट मैं रोज शाम टहलने जाती थी, लेकिन अब शाम होते ही घर में कैद हो जाते है। हर कोने पर नशेड़ियों का जमघट लगा रहता है। ये लोग आते-जाते लोगों, खासकर बहू-बेटियों पर फब्तियां कसते हैं। - सुनिता सिंह हल्की सी बारिश में मुख्य सड़क पर पानी भर जाता है। लोगों को आने-जाने में काफी दिक्कते होती है। उचित निकासी वयवस्था न होने के कारण जलभराव होता है। - मिनाक्षी पार्क में जो पेड़ है, उसकी डालियां बिजली के तारों से ऐसी लिपटी हैं कि देखकर ही डर लगता है। कल को कोई तार टूटकर गिर गया तो किसकी ज़िम्मेदारी होगी। हर पल डर रहता है। - मुन्नी देवी हमारे टैक्स का पैसा आखिर जाता कहाँ है? न सड़कें ठीक हैं, न पानी की सुविधा, न सुरक्षा। ऐसा लगता है जैसे हम किसी पिछड़े हुए गांव में रह रहे हैं। प्रशासन को हमारी सुननी चाहिए। - लक्ष्मी देवी पानी की किल्लत सबसे बड़ी आफत है। बाल्टियां ढो-ढोकर हमारी कमर जवाब दे गई है। और ये जो पेड़ बिजली के तारों पर झुके हैं, इन्हें देखकर तो दिल बैठा जाता है। - पुष्पा हाट बाजार महिलाओं के लिए सुविधा कम, असुविधा ज्यादा बन गया है। कोई तय जगह नहीं है, ठेले वाले रास्ते पर कहीं भी खड़े हो जाते हैं, जिससे चलने तक की जगह नहीं बचती। - गंगा क्षेत्र में लगने वाली हाट बाजार को अगर व्यवस्थित कर दिया जाए तो लोगों को खासकर महिलाओं को बहुत राहत मिलेगी। बाजार में कई असमाजिक तत्व भी घुमते रहते है। - उमा पांडे कई बार समसयाओं को लेकर मेयर व नगर आयुक्त से मुलाकात व पत्राचार कर चुके है। अभी तक कोई कार्रवाही नहीं हुई है पर वे आश्वासन देते रहते हे। -नीमा जलभराव, पानी की कमी, पेड़ों का खतरा, ये समस्याएं आज की नहीं, सालों पुरानी हैं। अब तो हमारा व्यवस्था पर से विश्वास ही उठता जा रहा है। लगता है प्रशासन ने हमारे वार्ड को लावारिस छोड़ दिया है। - राधा हमारा तो सारा बजट ही पानी में बहा जा रहा है। महीने में तीन से चार हजार रुपये सिर्फ पानी के टैंकर पर खर्च हो जाते हैं। सरकारी टैंकरों से पानी की आपूर्ति पूरी होती नहीं है। - भावना शाम को टहलने निकलने में भी डर लगता है। हर कोने में नशेड़ी और आवारा लड़के बैठे रहते हैं। सुरक्षित महसुस नहीं होता है इसके अलावा पेड़ बिजली के तारों पर झुके हैं,जिन्हें देख डर लगता है। - चंपा शाम होते ही लोग मुख्य सड?क की ओर जाने से कतराते हैं। नशेड़ियों के आतंक के कारण लोग जल्दी घरों में घुस जाते हैं। नशेड़ियों के कारण महिलाओं ने घुमना भी कम कर दिया है। - चारू चंद्र जोशी ऐसा लगता है जैसे हम किसी पिछड़े हुए गांव में रह रहे हैं। न समय पर पानी है, न सड़कें ठीक हैं। हल्की बारिश में सड़कें नदी बन जाती हैं और काम से घर लौटना एक चुनौती बन जाता है। - धर्मनाथ गोस्वामी हमारी पार्षद ने कई बार नगर निगम में लिखित शिकायतें दी हैं, पर हर बार सिर्फ आश्वासन मिलता है। जलभराव, पेड़ों की लॉपिंग और नशेड़ियों की समस्या के लिए एक ठोस योजना की जरूरत है। - भुवन चंद्र भट्ट सुझाव तो हम कई बार दे चुके हैं। सबसे पहले तो पानी की आपूर्ति के लिए एक निश्चित समय और मात्रा तय की जाए। मानसून से पहले पेड़ों की लॉपिंग भी की जाए और बाजार के लिए एक व्यवस्थित जगह तय की जाए। - कमल सिंह -------------- बोले जिम्मेदार उक्त सभी समस्याओं को लेकर मेयर व नगर आयुक्त से चर्चा की गई है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि जल्द सभी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। -हेमा भट्ट, पार्षद वार्ड नंबर 4 प्रस्तुति - दीक्षा बिष्ट
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।