हरिद्वार कुंभ में कोविड जांच के नाम पर ऐसे हुई करोड़ों की ठगी, ईडी ने 14 के खिलाफ दाखिल की चार्जशीट
जुलाई 2021 में यह खुलासा हुआ कि कुंभ मेले के दौरान लाखों फर्जी कोविड टेस्ट किए गए, जिनके आधार पर निजी लैब्स ने सरकार से करोड़ों रुपये का भुगतान हासिल किया।

हरिद्वार में वर्ष 2021 के कुंभ मेले के दौरान कोविड-19 जांच में हुए बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी जांच पूरी कर ली है। इस मामले में मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज सहित 14 आरोपियों के खिलाफ देहरादून की विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल की गई है। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 24 जून की तारीख निर्धारित की है।
इस घोटाले ने सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया गया था। हरिद्वार कुंभ मेला-2021 एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक आयोजित हुआ था। कोविड महामारी के बीच आयोजित इस मेले में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए व्यापक स्तर पर रैपिड एंटीजन और आरटी-पीसीआर टेस्ट किए गए।
जुलाई 2021 में यह खुलासा हुआ कि कुंभ मेले के दौरान लाखों फर्जी कोविड टेस्ट किए गए, जिनके आधार पर निजी लैब्स ने सरकार से करोड़ों रुपये का भुगतान हासिल किया। इस घोटाले का पर्दाफाश तब हुआ, जब पंजाब के एक व्यक्ति ने शिकायत की कि उनके आधार और मोबाइल नंबर का उपयोग उनकी जानकारी के बिना ही हरिद्वार में कोविड टेस्ट के लिए कर लिया गया, जबकि वे वहां गए ही नहीं थे।
इस तरह हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
इस घोटाले का खुलासा तब हुआ, जब इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की वेबसाइट पर अपलोड किए गए डाटा की जांच में अनियमितताएं पाई गईं। कई मामलों में एक ही मोबाइल नंबर से अलग-अलग व्यक्तियों की टेस्ट रिपोर्ट दर्ज की गई थी। कुछ श्रद्धालुओं को उनके फोन पर कोविड टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव या निगेटिव होने के मैसेज आए, जबकि उनकी जांच हुई ही नहीं थी। जांच में यह भी सामने आया कि चेकपोस्ट पर श्रद्धालुओं के दस्तावेज तो लिए गए, लेकिन टेस्ट किए बिना फर्जी रिपोर्ट तैयार कर आईसीएमआर पोर्टल पर अपलोड कर दी गईं।
पुलिस की एसआईटी ने भी की थी पड़ताल
उत्तराखंड पुलिस ने एसआईटी का गठन किया था, जिसने नोएडा से शरद पंत, मलिका पंत को गिरफ्तार किया। इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 269, 270, 420, 467, 468, 471 एवं 120-बी, आपदा प्रबंधन अधिनियम और महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। इस मामले में पुलिस की कार्रवाई होने के बाद ईडी ने जांच शुरू की थी।
फर्जी टेस्ट रिपोर्ट तैयार करने का आरोप
ईडी की चार्जशीट में जिन 14 आरोपियों के नाम शामिल हैं, इनमें मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज के निदेशक शरद पंत और उनकी पत्नी मलिका पंत भी शामिल हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने वास्तविक टेस्ट किए बिना एक लाख से अधिक फर्जी कोविड टेस्ट की रिपोर्ट तैयार की। ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि इन लैब्स ने एक ही मोबाइल नंबर और पते का दुरुपयोग करके टेस्ट की संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया, जिससे सरकार को लगभग तीन से चार करोड़ रुपये तक का नुकसान हुआ।
दिल्ली तक पड़े थे छापे
ईडी ने पीएमएलए 2002 के तहत जांच शुरू की थी। इस दौरान दून, दिल्ली, हरिद्वार, नोएडा और हिसार में कई लैब्स और उनके निदेशकों के ठिकानों पर छापेमारी की गई। ईडी ने दस्तावेज, फर्जी बिल, लैपटॉप, फोन और 30.9 लाख रुपये जब्त किए। पता चला कि मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज, नोवस पैथ लैब्स, डीएनए लैब्स, डॉ. लाल चंदानी और नलवा लैबोरेटरीज जैसी लैब्स ने फर्जी रिपोर्ट तैयार कीं और सरकारी धन की लूट की।
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