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बोले हरिद्वार : सप्तसरोवर मार्ग की डेढ़ किलोमीटर लंबी सड़क की अधिकारियों ने नहीं ली सुध

सप्तसरोवर मार्ग की 1.5 किलोमीटर लंबी सड़क पिछले 12 वर्षों से टूटी पड़ी है। लोक निर्माण विभाग ने अब तक इसकी मरम्मत नहीं की है, जिससे स्थानीय लोग और व्यापारी परेशान हैं। विधायक और डीएम को कई बार शिकायत...

Newswrap हिन्दुस्तान, हरिद्वारSat, 26 April 2025 08:47 PM
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बोले हरिद्वार : सप्तसरोवर मार्ग की डेढ़ किलोमीटर लंबी सड़क की अधिकारियों ने नहीं ली सुध

वर्ष 2010 में कुंभ मेला राशि से बनी सप्तसरोवर मार्ग की डेढ़ किलोमीटर लंबी सड़क की लोक निर्माण विभाग ने आज तक सुध नहीं ली। निर्माण के दो साल बाद ही सड़क टूट गई थी। संत बाहुल्य सप्तसरोवर की यह मुख्य सड़क निर्माण की बाट जोह रही है। करीब एक हजार परिवार, 225 से ज्यादा व्यापारी और 200 से अधिक आश्रम, होटल कारोबारी इस समस्या से जूझ रहे हैं। हरिद्वार से प्रवीण कुमार पेगवाल की रिपोर्ट...

आगामी समय में चारधाम यात्रा भी आरंम्भ होने वाली है। स्थानीय लोगों ने विधायक और डीएम तक शिकायत की इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इस सड़क पर आवाजाही करने वाले लोग टूटी सड़क के गड्ढों की चपेट में आने से चोटिल हो रहे हैं। वाहनों के मेंटीनेंस का खर्च अलग उठाना पड़ता है। सप्तसरोवर मार्ग हरिद्वार के धार्मिक प्रमुख स्थलों में से एक है। एक हजार से ज्यादा आबादी वाले इस मुख्य बाजार की सड़क 12 वर्षों से टूटी पड़ी है। 13 अप्रैल को सीएम धामी के हरिद्वार दौरे के दौरान लोनिवि ने आधी-अधूरी सड़क पर पेचर्वक कर अपनी इतिश्री कर ली। आधी सड़क अधर में छोड़ दी।

इस सड़क से महाविद्यालय, शांतिकुंज, गायत्री, शांतिपीठ, परमारर्थ आश्रम, भारत माता मंदिर, इंडिया टेंपल, तुलसी मानस मंदिर, वैष्णो माता मंदिर, भूमानिकेतन आदि क्षेत्र में प्रतिदिन पांच हजार से अधिक छोटे-बड़े वाहनों और पैदल लोगों का आवागमन होता है। यात्रा सीजन में इनकी संख्या बढ़कर प्रतिदिन 10 हजार से ज्यादा पहुंच जाती है। टूटी सड़क के कारण यहां के व्यापारी और संतगण आक्रोश जता चुके हैं। उनका कहना है कि सड़क ठीक कराने के नाम पर जनप्रतिनिधि और लोनिवि के अधिकारी कोरा आश्वासन देते आ रहे हैं। सड़क कब ठीक होगी इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

व्यापारी वर्ग का कहना है कि पिछले 12 वर्ष से न तो ये सड़क दोबारा बनी और न ही मरम्मत हुई है। सड़क टूटी होने के कारण सड़क पर धूल उड़ने और बारिश के दौरान गड्ढों में पानी भरने से लोगों को परेशानी होती है। प्रतिदिन कोई न कोई वाहन चालक या पैदल यात्री गड्ढे में गिरकर चोटिल हो जाता है। सप्तसरोवर मार्ग की हालत इतनी ज्यादा खराब है कि दोपहिया वाहनों के अनियंत्रित होने की आशंका रहती है। इसका असर कारोबार भी काफी पड़ता है। श्रद्धालु टूटी सड़क के कारण यहां आना पसंद नहीं करते हैं।

स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि परेशान लोग कई बार विधायक के दरबार में जा चुके हैं। लेकिन न तो जनप्रतिनिधि और न ही अधिकारी तक भी कोई जवाब देने को तैयार है। कहा कि शिकायतों का अधिकारियों पर कोई असर नहीं होता है। लोनिवि मुख्य बाजार और धार्मिक स्थलों के होने के बाउजूद भी उनकी समस्यायों से निजात नहीं मिल रही हैं। टूटी सड़क से उड़ती धूल से लोग बीमार हो रहे हैं। इससे वाहनों के आवागमन में दिक्कत होती है। सुविधाओं की कमी से लोग लगातार जूझ रहे हैं। इससे उन्हें समस्या से छुटकारा नहीं मिल रहा है।

सुझाव

1. लोक निर्माण के अधिकारी सड़क का सर्वे करें जहां लोग सड़क टूटी होने की शिकायत कर रहे हैं।

2. सर्वे के बाद सड़कों का एस्टीमेट बनाकर शासन को भेजें ताकि बजट आने पर सड़कों को बनाया जाए।

3. अधिकारी मौके पर आएंगे तो लोगों में अधिकारी के प्रति विश्वास बनेगा, आपसी तालमेल बिठा सड़क की पैमाइश कर उनको बनाने में आसानी होगी।

4. स्थानीय जनप्रतिनिधि अपनी निधि खर्च कर सड़कों का कायाकल्प कर सकते हैं।

5. सड़क बनने के बाद लोगों को राहत मिलेगी और घरों में कैद छोटे-छोटे बच्चे भी घरों से बाहर निकलकर खेल सकेंगे।

शिकायतें

1. लोग लंबे समय से सड़क बनवाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन कोई उनकी मांग सुनने वाला नहीं है।

2. सड़क की मरम्मत तक न होने के कारण लोगों को टूटी फूटी सड़क से परेशानी उठानी पड़ रही है।

3. इस सड़क पर महाविद्यालय, शांतिकुंज, गायत्री, शांतिपीठ, परमारर्थ आश्रम आदि एवं स्थानीय लोगों का बड़े स्तर पर आवागमन होता है।

4. पिछले 12 सालों में चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधि सड़क बनवाने के दावे करते हैं। लेकिन कोई काम नहीं हो रहा है।

5. सड़क की समस्या एक व्यक्ति की नहीं है। लोगों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है।

13 अप्रैल को मुख्यमंत्री के आने पर किया था पैचवर्क

सप्तसरोवर मार्ग पर स्थित एक मंदिर में दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहुंचे थे। यहां पर लोक निर्माण विभाग ने आनन-फानन में टूटी सड़क में बजरिया डालकर ऊपर से तारकोल भरा था। लेकिन भारत माता मंदिर की तरफ पैचवर्क नहीं किया गया। इससे व्यापारियों में भारी रोष व्याप्त है। सप्तसरोवर से शांतिकुंज और अन्य संस्थानों को जोड़ने वाली सबसे महत्वपूर्ण और दबाव वाली यह सड़क अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है। सड़क जगह-जगह से टूटने और गड्ढों के कारण यहां पांच हजार से अधिक की आबादी के साथ ही प्रतिदिन पांच हजार से अधिक आवागमन करने वाले राहगीर एवं श्रद्धालु भी परेशान हैं। गड्ढों के कारण आए दिन दोपहिया वाहन चालक गिरकर चोटिल हो रहे हैं। बारिश के दिनों में तो यह रोड और ज्यादा समस्या खड़ी कर देती है। इस पर गाड़ी चलाना मुश्किल हो जाता है। इसके बावजूद न तो लोक निर्माण विभाग और न ही जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

लोगों को केवल वोट भर समझते हैं

स्थानीय लोगों का कहना है कि निकाय चुनाव से लेकर विधायक और लोकसभा तक लोगों को विश्वास में लेकर सड़क बनाने का आश्वासन देते हैं। प्रत्येक दलों के प्रत्याशियों और नेताओं का चुनावी मुद्दा भी केवल सड़क बनाना ही होता है। लेकिन चुनाव जीतने के बाद न तो नेता दिखाई देते हैं और न ही प्रत्याशी ही उनके बीच आते हैं। उन लोगों को केवल वोट लेने की मशीन बनाकर रख दिया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसा कोई दिन नहीं होता जब सड़क के इस 1.5 किलोमीटर सड़क के हिस्से में बने गड्ढों में आकर राहगीर चोटिल नहीं होते हैं। पीडब्ल्यूडी कार्यालय के चक्कर काटकर लोग थक चुके हैं। लेकिन एक भी शिकायत पर अधिकारियों ने संज्ञान नहीं लिया है। मानों अधिकारी एक दम मौन बन चुके हैं।

अधिकारी संज्ञान लेने को तैयार नहीं

स्थानीय लोगों का कहना है कि तंग सड़क और ऊपर से रास्ते पर वाहनों का भारी दबाव बन जाता है। सड़क की मरम्मत या निर्माण कार्य होता है तो कहीं न कहीं लोगों को जाम की समस्या के साथ टूटी सड़क से भी छुटकारा मिल सकता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि टूटी सड़क दुर्घटना का कारण बनी हुई है। अधिकारी संज्ञान लेने को तैयार नहीं है और विभाग के वास इतना बजट नहीं है कि वह इस 1.5 किलो मीटर के बड़े हिस्से को निर्माण कर सकें। अधिकारियों ने लिए यह टूटी सड़क एक प्रकार से आईना दिखाना भी है। लेकिन उसके बाद भी पीडब्ल्यूडी के अधिकारी इसमें संज्ञान लेते हैं।

लोक निर्माण विभाग के चक्कर लगाकर थके

जनप्रतिनिधियों के कार्यालयों और लोक निर्माण विभाग के चक्कर लगा थक चुके हैं। लेकिन किसी तरफ से सड़क बनाने के लिए प्रयास तक नहीं हो रहे हैं। ऐसे में टूटी सड़क राहगीरों के लिए दुर्घटना का सबब बन गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि दुपहिया या कार चालक सड़क के गड्ढ़े बचाने के फेर में एक्सीडेंट हो जाते हैं। लोग इस समस्या से निजात पाने के लिए आज भी बाट जोह रहे हैं।

सड़क न बनने से लोनिवि जिम्मेदार

मुख्य बाजार में सड़क निर्माण और मरम्मत समेत देखभाल के लिए लोक निर्माण विभाग की जिम्मेदारी है। विभाग अन्य सड़क निर्माण और मरम्मत कार्यों पर सलाना करोड़ों रुपये खर्च कर रहा है। इसके बाद भी सप्तसरोवर मार्ग से गुजरने वाले लोगों को गड्ढों में ही सड़क मिल रही है। अब यह गड्ढे वाहनों के लिए स्पीड ब्रेकर के रूप में काम कर रहे हैं। मुख्य सड़क टूटी और जर्जर है, जहां रोज छोटी-छोटी सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं। जबकि पिछले 12 साल से लोग सड़क बनवाने का प्रयास कर रहे हैं। बावजूद इसके अनेकों बार शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

वर्ष 2023 में हुआ था सड़क का चौड़ीकरण

सप्त ऋषि व्यापार मंडल का कहना है कि वर्ष 2010 में कुंभ मेला राशि से बनी इस सड़क का चौड़ीकरण वर्ष 2023 में किया गया था। उस वक्त दुकानें हटी और अतिक्रमण हटाया गया। लेकिन सड़क नहीं बनाई गई। यह क्षेत्र धार्मिक स्थल होने के चलते प्रतिदिन 2-3 हजार श्रद्धालु पहुंचते हैं। अब सीजन की शुरुआत होने वाली है। यह संख्या बढ़कर प्रतिदिन 10 से ज्यादा पहुंच जाएगी। टूटी सड़क से श्रद्धालु भी परेशान होते हैं। इसका सीधा असर व्यापारियों पर पड़ता है। लोक निर्माण विभाग को शिकायत करने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं होती

दिक्कत में लोग

सप्तसरोवर मार्ग मुख्य बाजार होने के बाद भी सड़क की दशा ऐसी है कि यहां चलना मुश्किल है। सड़क न बनने से काफी परेशानी हो रही है। अधिकारी उनकी एक भी सुनने को तैयार नहीं है। -हरीश शर्मा

सप्तसरोवर मार्ग की 1.5 किलोमीटर सड़क की लोक निर्माण विभाग ने 12 साल बीत जाने के बाद भी सुध नहीं ली। मुख्य सड़क पिछले 12 सालों से नवनिर्माण की बाट जोह रही है। -जय किशोर भट्ट

सड़क बनाने के संबंध में लोक निर्माण, स्थानीय जनप्रतिनिधि और विधायक से कई बार मिले चुके हैं। उनसे यहां तक कहा गया है कि यदि सड़क बनाने का बजट नहीं है। तो केवल पैचवर्क ही करा दें। -भुवनचंद शर्मा

सड़क की खस्ता हालत को देखकर अनेक लोग मुख्य बाजार में आने से ही कतराने लगे हैं। वह नेशनल हाईवे या हरिपुर कलां से होकर गुजरने लगे हैं। कारोबार में गिरावट भी आ गई है। -भूपेंद्र चौहान

सड़कों में गड्ढे बन गए हैं। इन सड़कों से गुजरने वाले हजारों वाहन चालकों को आवागमन में परेशानी होने लगी है। गड्ढे बचाने के चक्कर में जान जोखिम में डालकर वाहन चलाने को मजबूर हैं। -ललित मोहन

सप्तसरोवर मार्ग में मुख्य बाजार की सड़क क्षेत्र की गलियों को जोड़ती है। लेकिन सिस्टम की लाचारी और अधिकारियों का ढुलमुल रवैया लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर रहा है। -नारायण दत्त शर्मा

लोकसभा और विधानसभा से लेकर निकाय चुनाव तक सभी पार्टी के प्रत्याशी लोगों से इस सड़क को बनवाने के बड़े-बड़े वादे कर जाते हैं, लेकिन चुनाव के बाद कोई मुड़कर नहीं देखता। -मोनू विश्नोई

सड़क लोक निर्माण की है। लोग विभाग और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर जिला-प्रशासन एवं सीएम तक सड़क बनवाने की मांग कर चुके हैं, लेकिन समस्या जस की तस है। -विजय ट्रालिया

12 साल से सड़क निर्माण नहीं की गई है। सड़क की हालत खराब होने से श्रद्धालु से लेकर व्यापारी तक और राहगीरों का चलना दूभर हो गया है। बाजार की रौनक भी सड़क से होती है। -सुनील पुंडीर

225 से ज्यादा व्यापारी और पांच हजार से ज्यादा आबादी जनप्रतिनिधियों को केवल चुनाव के समय याद रहते हैं। उसके समस्याओं को सुनने के लिए उनके पास समय नहीं है। -जगदम्बा प्रशाद

पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को लोगों की समस्याओं को अनसुना नहीं करना चाहिए। आधिकारिक तौर पर क्षेत्र का सर्वे कराकर उस काम करना चाहिए। -सुनील कश्यप

कई बार लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा चुके हैं। लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अधिकारी लोगों की समस्याओं को समझें। -नवीन अग्रवाल

बोले जिम्मेदार

किसी भी शिकायत का अधिकारी को गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए। सप्तसरोवर की सड़क पर लंबे समय से पैचवर्क के साथ-साथ सड़क पर काम क्यों नहीं किया गया। इसकी जानकारी ली जाएगी। -डीपी सिंह, अधीक्षण अभियंता, लोनिवि

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