Waste Disposal Crisis in Satpuli Environmental and Health Concerns बोले गढ़वाल : सतपुली के पोस्ट ऑफिस मोहल्ले में नयार किनारे डंप हो रहा कचरा, Pauri Hindi News - Hindustan
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बोले गढ़वाल : सतपुली के पोस्ट ऑफिस मोहल्ले में नयार किनारे डंप हो रहा कचरा

नगर पंचायत सतपुली में कूड़ा निस्तारण एक गंभीर समस्या बन गई है। यहां कचरे के उचित निस्तारण के लिए डंपिंग जोन की कमी है, जिससे नयार नदी के किनारे कचरा डंप किया जा रहा है। यह पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य...

Newswrap हिन्दुस्तान, हरिद्वारTue, 3 June 2025 11:44 PM
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बोले गढ़वाल : सतपुली के पोस्ट ऑफिस मोहल्ले में नयार किनारे डंप हो रहा कचरा

शहरी क्षेत्रों के साथ पर्वतीय क्षेत्रों में भी कूड़ा निस्तारण एक बड़ी समस्या बन गया है। इसी का उदाहरण देखने को मिल रहा है नगर पंचायत सतपुली में, जहां कचरे के उचित निस्तारण तो दूर डंपिंग जोन के लिए भी सुरक्षित स्थान नहीं ढूंढा जा सका है। यही वजह है कि पोस्ट ऑफिस मोहल्ला क्षेत्र में हाईवे किनारे और नयार नदी के तट को ही फिलहाल लंबे समय से कूड़ा डंपिंग जोन के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। इस वजह से पर्यावरण को तो नुकसान पहुंच ही रहा है, वहीं जलीय जीवों के साथ मानव स्वास्थ्य के लिए भी यह ठीक नहीं है। सतपुली से यतेन्द्र रावत की रिपोर्ट...

मेरठ-पौड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग और पश्चिमी एवं पूर्वी नयार नदियों के संगम पर बसे सतपुली में कचरा निस्तारण एक बड़ी समस्या बन गया है जो नगरपंचायत, स्थानीय प्रशासन और क्षेत्रवासियों के लिए भी एक चिंता का विषय बना हुआ है। यही कारण है कि नगर में आबादी क्षेत्र से सुरक्षित दूरी पर पर्यावरणीय नियमों के अनुकूल कूड़ा डम्पिंग जोन के लिए जमीन की तलाश पूरी होने के बावजूद विभिन्न वजहों से ये मामला अब तक सिरे नहीं चढ़ सका है जिस कारण नयार नदी के किनारे नगर का कूड़ा डम्प किया जा रहा है। वार्ड 3 के अंतर्गत व लगभग 900 की आबादी वाले पोस्टआफिस मोहल्ला क्षेत्र अंतर्गत ही ये अस्थायी कूड़ा डम्पिंग जोन बनाया गया है। क्षेत्र में इसके अलावा भी कई समस्याएं हैं जिनमें संकरी तंग व क्षतिग्रस्त नालियों ने भी लोगों को परेशान किया हुआ है। नियमित सफाई के अभाव में चोक रहने वाली नालियों की स्थिति जरा सी बारिश होते ही खराब हो जाती है। बरसाती पानी की निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण बारिश होते ही मुख्य सड़क एवं सम्पर्क मार्गों की स्थिति कीचड़युक्त हो जाती है जिस पर आवाजाही के दौरान क्षेत्रवासियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

पूरे क्षेत्र में सीवर निस्तारण भी एक समस्या है और आज तक इसे सीवरलाइन से नहीं जोड़ा जा सका है। पूरे क्षेत्र में कूड़ेदानों की कोई व्यवस्था नहीं होने से इधर उधर बिखरे कचरे के ढेर भी लोगों को परेशान तो करते ही हैं लेकिन डोर टू डोर कचरा उठान सुविधा के नहीं होने की वजह से भी लोगों को दिक्कतें होती हैं। हालांकि नगर पंचायत का कूड़ा वाहन तो क्षेत्र में पहुंचता है लेकिन मुख्य सड़क तक ही उसकी पहुंच होने और अंदर गलियों में नहीं पहुंच पाने के कारण लोगों को उसका लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। पूरे आबादीक्षेत्र में एक शौचालय तो है लेकिन काफी दूर नदी किनारे होने के कारण उसका लाभ भी आम जनता को नहीं मिल पा रहा है। सार्वजनिक पेयजल सुविधा के नाम पर क्षेत्र में कोई इंतजाम नहीं होने से भी आम जनता को मुश्किलें उठानी पड़ती हैं। लावारिस पशुओं की मौजूदगी भी क्षेत्र में समस्या का कारण बना हुआ है। वहीं गुलदार जैसे जंगली जानवरों के आबादी क्षेत्र में शाम होते ही पहुंचने से लोग खौफजदा हैं। कटखने बंदरों के आतंक ने भी लोगों का जीना मुहाल किया हुआ है। लोगों का कहना है कि नगर पंचायत, स्थानीय प्रशासन और वनविभाग को मिलकर इस समस्या का समाधान करना चाहिए जिससे लोगों को परेशान न होना पड़े।

सफाई नहीं होने से नाला अक्सर होता है ओवरफ्लो

वार्ड क्षेत्र में नगर पंचायत द्वारा 8 वर्ष पूर्व बनाया गया नाला भी जगह-जगह क्षतिग्रस्त तो है ही लेकिन उसकी नियमित सफाई नहीं होने से इसमें अकसर कूड़ा जमा रहता है। पुलिस चौकी के पास ही कई बार कूड़े का अम्बार लगा रहता है। क्षतिग्रस्त और संकरी तंग नालियां भी लोगों के लिये सरदर्द बनी हुई हैं। नियमित सफाई के अभाव में वो फंसते कचरे की वजह से ओवरफ्लो होने लगती हैं और उनसे निकलता पानी रास्तों पर फैलने लगता है। इस दौरान दुर्घटनाओं की आशंका भी बनी रहती है। बरसात में तो स्थितियां बेहद खराब हो जाती हैं। दूसरी तरफ नालियों से गुजर रही पेजयल लाइनों के मकड़जाल ने भी क्षेत्रवासियों को परेशान किया हुआ है। दरअसल कई स्थानों पर लीक हो रही पेयजल लाइनों के कारण उनसे गंदे पानी के पेयजल लाइनों से होते हुए घरों तक पहुंचने की आशंका हमेशा बनी रहती है।

बोले जिम्मेदार

नालियों में ब्लिचिंग करवा रहे हैं और नालियों को कवर करने के लिए प्रस्ताव रखा गया है। अन्य समस्याओं के निस्तारण की दिशा में भी हम आवश्यक कदम उठा रहे हैं। बंदरों की समस्या की जहां तक बात है तो यह वाइल्ड लाइफ से संबंधित है, जिसमें हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते। लेकिन इस संबंध में वन विभाग से पत्राचार किया गया है। -पूनम, ईओ नगर पंचायत, सतपुली

वार्ड में मौजूद समस्याओं को लेकर क्षेत्र वासियों से भी जानकारी ली जा रही है और उनके समाधान के प्रति भी मैं प्रयासरत हूं। बोर्ड बैठक में समस्याओं के समाधान को लेकर भी कोशिशें की जा रही हैं। अभी निर्वाचित हुए ज्यादा समय नहीं हुआ है। इसलिये मेरी कोशिश है कि निर्धारित कार्यकाल में चरणबद्ध तरीके से समस्याओं का हल निकाला जा सके। -दीपिका मियां, सभासद, नगर पंचायत

नगर पंचायत में कचरा निस्तारण बड़ी समस्या

चार वार्डों वाली नगर पंचायत सतपुली में कचरा निस्तारण व्यवस्था हमेशा से एक बड़ी मुसीबत रहा है। स्थानीय प्रशासन के सहयोग से नगर पंचायत ने रैतपुर गांव के पास डम्पिंग जोन के लिए भूमि चिन्हित भी की थी जिस पर कार्यवाही कुछ समय तक चलने के बाद ऐसी ठहरी की आज तक उस पर सिवाय कागजी कार्यवाही के कुछ नहीं हो सका है। नगरपंचायत प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार मधु गंगा से कुछ दूरी पर उपलब्ध चिन्हित भूमि पर भारत सरकार से सैद्धांतिक स्वीकृति तो मिल चुकी है लेकिन विधिक स्वीकृति का इंतजार किया जा रहा है। उनके अनुसार डम्पिंग जोन के लिए चिन्हित भूमि पर मामला फारेस्ट क्लियरेंस नहीं होने के कारण आगे नहीं बढ़ सका है और इस पर हो रही देरी ही इसका मुख्य कारण है। उनका कहना है कि इस मामले पर जनसुनवाई भी हो चुकी है और आपत्तियों का निस्तारण भी हो चुका है और प्रस्तावित कूड़ा डम्पिंग जोन निर्माण की आवश्यक प्रक्रियाओं के लिए फंड उपलब्ध तो है, लेकिन फारेस्ट क्लियरेंस फिलहाल इसमें बड़ी बाधा है। 2019-20 से अटके इस मामले में स्वीकृति मिलते ही साइट डैवलपमेंट कार्य के बाद डम्पिंग जोन बनाया जा सकेगा।

सार्वजनिक शौचालय नहीं होने से लोग परेशान

वार्ड- 3 के तहत नयारपुल से बांघाट रोड, थाना मोहल्ला, कन्या विद्यालय, पोस्ट आफिस, राधाकृष्ण मंदिर और एसबीआई मोहल्ला आता है लेकिन पूरे वार्ड की सबसे बड़ी समस्याओं में सार्वजनिक शौचालय की उपलब्धता भी एक बड़ी समस्या है। आबादी क्षेत्र में जहां 1 भी शौचालय नहीं है तो दूसरी तरफ जो 1 शौचालय है भी तो वो आबादीक्षेत्र से काफी दूर नदी किनारे होने की वजह से उसका इस्तेमाल ही नहीं हो पाता है। आम जनता, व्यापारियों को भी वहां तक पहुंचने में दूरी की वजह से दिक्कतें आती हैं। दूसरी तरफ पूरे वार्ड क्षेत्र में सीवरलाइन नहीं होने की वजह से भी लोगों को दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। कहीं कहीं इस कारण सीवर खुले में बहने की शिकायतें भी मिलती रहती हैं। क्षेत्रवासियों का कहना है कि सीवरलाइन नहीं होने के कारण उनके शौचालय के पिट भरने पर उन्हें खाली कराने के नाम पर भारी धनराशि खर्च करनी पड़ती है। वहीं दूसरी तरफ क्षेत्र में कटखने बंदरों के आतंक ने भी लोगों को परेशान किया हुआ है।

क्षेत्र में पार्किंग नहीं होने के कारण होती है दिक्कत

इलाके में पार्किंग सुविधा नहीं होने से भी लोगों को परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। रास्तों पर ही वाहनों के खड़े होने से बार बार लगता जाम और उसमें फंसते लोगों को दिक्कतें उठानी पड़ती हैं। मेरठ-पौड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग पर ही बाजार क्षेत्र में बड़े छोटे व्यावसायिक वाहन और निजी वाहन खड़े रहते हैं और अस्थायी बस अड्डा भी हाईवे पर ही होने की वजह से ट्रैफिक जाम आम समस्या है। इसके लिये यदि नगर पंचायत भूमि चिन्हित कर ले तो पार्किंग की समस्या से निजात मिल सकती है। राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़े इस इलाके में सार्वजनिक पेयजल सुविधा के नाम पर भी कोई व्यवस्था नहीं होने से लोगों को मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं। हालांकि बस अड्डे पर एक बार सार्वजनिक पेयजल सुविधा के नाम पर व्यवस्था की तो गई थी लेकिन उसे ज्यादा समय तक सुचारू नहीं रखा जा सका। बताते चलें कि रोज बड़ी संख्या में यात्री वाहन इसी क्षेत्र से गुजरते, लेकिन सार्वजनिक पेयजल सुविधा नहीं होने की वजह से उन्हें दिक्कतें होती हैं।

सुझाव

1. क्षेत्र को सीवरलाइन व्यवस्था से जोड़ा जाय और नयार नदी के किनारे से कूड़े के ढेरों को जल्द हटाया जाए।

2. क्षतिग्रस्त नालियों की मरम्मत हो व चोक नालियों को खोलकर गंदे पानी की निकासी की जाए।

3. इलाके में पार्किंग सुविधा का विकास हो व लावारिस पशुओं की व्यवस्था हो।

4. कूड़ेदानों के साथ डोर टू डोर कूड़ा उठान की व्यवस्था के साथ नियमित तौर पर सफाई हो।

5. संकरी तंग नालियों से पेयजल लाइनों का मकड़जाल हटाया जाए और लीकेज लाइनों को ठीक किया जाए।

शिकायतें

1. क्षेत्र में सीवरलाइन नहीं होने से शौचालयों के पिटों को खाली करने पर आर्थिक बोझ पड़ता है।

2. वार्ड में मौजूद क्षतिग्रस्त नाले में गदंगी जमा है व चोक नालियों की वजह से गंदा पानी सड़कों पर बहकर उन्हें खराब कर रहा है।

3. पार्किंग सुविधा नहीं होने से हाईवे समेत सम्पर्क मार्गों पर पार्क वाहनों व लावारिस पशुओं से दिक्कतें।

4. न कूड़ेदान हैं और न ही डोर टू डोर कूड़ा की सुविधा है। कूड़ा वाहन के गलियों में न आने से दिक्कत होती है।

5. संकरी तंग नालियों से गुजरती पेयजल लाइनों के मकड़जाल से मुश्किलें।

बोले लोग-

टूटी नालियों मरम्मत हो जाय तो उनसे पानी बाहर नहीं निकलेगा, नहीं तो पानी इस कारण बाहर निकल कर रास्तों पर फैलने लगता है इसलिए क्षतिग्रस्त नालियों की मरम्मत कर उन्हें ठीक किया जाय। -ताजबर सिंह रौतेला

क्षेत्र में लावारिस पशुओं और कटखने बंदरो के आतंक से बहुत परेशान हैं। घर से निकलते ही किसी भी वक्त उनके हमलों की चिंता सताती रहती है। इसका समाधान किया जाना चाहिए। -दीपा देवी

पंचायत क्षेत्र में कई जगह नालियां ढक दी गई हैं, लेकिन हमारे वार्ड में नालियां खुली हुई हैं, जिनमें से दुर्गंध आती रहती है। इसके साथ मच्छर और मक्खियों की तादाद भी बढ़ती जा रही है। -विनोद धस्माना

क्षेत्र में सीवरलाइन व्यवस्था बेहद जरूरी है। इसके नहीं होने से हमें दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं। शौचालयों के पिट खाली करने पर भारी धनराशि खर्च करनी पड़ती है। यह सुविधा जल्द मिलनी चाहिए। -मनोज माहेश्वरी

बरसात में बाजार की नालियां चोक हो जाती हैं जिससे रास्तों पर कीचड़ फैल जाता है। इससे आवाजाही में दिक्कतें उठानी पड़ती हैं। बरसाती पानी के निकासी की उचित व्यवस्था बेहद जरूरी है। -धीरेंद्र नेगी

क्षेत्र में कूड़ेदानों की व्यवस्था की जानी चाहिए जिससे लोग निर्धारित स्थान पर अपनी सुविधा के अनुसार कूड़ा डाल सकें। इससे गदंगी भी नहीं होगी और सफाईकर्मियों को भी आसानी होगी। -रमेश कुमार

जल संस्थान को पर्याप्त पेयजल आपूर्ति का इंतजाम करना चाहिए जिससे पेयजल किल्लत का सामना नहीं करना पड़े। गर्मियों के शुरू होते ही परेशानियां होने लगती हैं। -मोहम्मद यूसुफ

क्षेत्र में मौजूद तंग संकरी नालियों को चौड़ा और गहरा किया जाना चाहिए जिससे उनकी जल संभरण क्षमता बढ़ सके और बरसात में भी दिक्कतें न हों। उनकी सफाई भी बेहद जरूरी है। -वीर सिंह

लावारिस पशुओं की व्यवस्था होनी बेहद जरूरी है। क्योंकि उनसे आवाजाही के दौरान बुजुर्गों और बच्चों को खतरा रहता है। उनकी वजह से जंगली जानवर आबादी क्षेत्र में पहुंचने लगते हैं। -नीरज लिंगवाल

कटखने बंदरों के आतंक से बहुत परेशान हैं। नगर पंचायत को स्थानीय प्रशासन और वन विभाग के सहयोग से बंदरों के झुंडों की धरपकड़ करनी चाहिए जिससे जनता में सुरक्षित माहौल बन सके। -विकास रावत

क्षेत्र में नियमित सफाई बेहद जरूरी है जिससे संक्रामक रोगों से बचा जा सके। नालियों से गुजरते पेयजल लाइनों के मकड़जाल को भी हटाया जाना चाहिए जिससे दूषित पानी घरों तक नहीं पहुंच सके। -मोहम्मद जाहिद

नयार नदी के किनारे से अस्थायी कूड़ा डंपिंग जोन हटाया जाना चाहिए जिससे पेयजल भी दूषित न हो और जलीय जीवों पर भी उसका प्रभाव न पड़े। डम्पिंग जोन के लिए चिन्हित भूमि पर जल्द कार्रवाई हो। -नरेंद्र कुमार

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