यूसीसी को चुनौती देती याचिकाओं पर अब मई में होगी हाईकोर्ट में सुनवाई
हाईकोर्ट :: - सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ऑनलाइन हुए शामिल - कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं से एक तिथि नियत कर बताने को कहा -

नैनीताल, संवाददाता। राज्य सरकार द्वारा लागू की गई समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर अब हाईकोर्ट में मई अंतिम सप्ताह में सुनवाई होगी। यूसीसी के नियमों और प्रावधानों को चुनौती देती कई जनहित याचिकाओं सहित प्रभावित लोगों की तरफ से दायर याचिकाओं पर मंगलवार को एक साथ सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट से प्रार्थना की और कहा कि यह मामला नागरिकों के अधिकारों से जुड़ा हुआ है। इस पर विस्तार से सुनवाई होनी जरूरी है। ऐसे में अगली सुनवाई के लिए मई अंतिम सप्ताह की तिथि नियत की जाए। इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं से कहा है कि मामले की सुनवाई के लिए वे अपनी सहमति से एक तिथि नियत कर कोर्ट को अवगत कराएं।
मामले के अनुसार, यूसीसी को हाईकोर्ट में प्रभावित और अन्य समुदायों ने चुनौती दी है। पूर्व की सुनवाई पर कोर्ट ने जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश राज्य सरकार को दिए थे। राज्य सरकार ने अब इसमें अपना जवाब प्रस्तुत कर दिया है। अभी तक जो याचिकाएं दायर की गई हैं उनमें से अधिकतर मुस्लिम समुदाय और लिव इन रिलेशन में रह रहे लोग की तरफ से हैं। लिव इन में रह रहे लोगों का कहना है कि जो फॉर्म रजिस्ट्रेशन के लिए उनसे भरवाया जा रहा है, उसमें उनसे कई तरह की पूर्व की जानकारी मांगी गई है। यदि वे सभी जानकारी भरते हैं तो उन्हें जानमाल का खतरा भी हो सकता है। पुरानी जानकारी देना व्यक्तिगत गोपनीयता के खिलाफ है। इसे संशोधित किया जाए। पूर्व में भीमताल निवासी सुरेश सिंह नेगी ने यूसीसी के विभिन्न प्रावधानों को जनहित याचिका के रूप में चुनौती दी है। इसके अलावा मुस्लिम, पारसी आदि के वैवाहिक पद्धति की यूसीसी में अनदेखी किए जाने सहित कुछ अन्य प्रावधानों को भी चुनौती दी गई है। वहीं, देहरादून के एलमसुद्दीन सिद्दीकी ने रिट याचिका दायर कर यूसीसी 2025 के कई प्रावधानों को चुनौती दी है। इसमें कहा गया है कि अल्पसंख्यकों के रीति-रिवाजों को अनदेखा किया जा रहा है।
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