राम कथा भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शक्ति : चंपत राय
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि श्रीराम कथा में भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शक्ति है। उन्होंने कहा कि यह कथा मानव जीवन के हर पक्ष को दिशा देने वाली एक जीवंत...

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि श्रीराम कथा में भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शक्ति है। कथा में आने वाले हर व्यक्ति के हृदय में अगर श्रीराम का मूल संदेश उतर जाए, तो यह भारत भूमि पुनः रामराज्य बन सकती है। सोमवार को यह बात उन्होंने परमार्थ निकेतन में आयोजित 34 दिवसीय श्रीराम कथा में कही। चंपत राय ने कहा कि श्रीराम मन्दिर भगवान के जन्मस्थान का मंदिर है। यह 500 वर्षों के इतंजार और 40 वर्षों तक पूज्य संतों के अखंड जागरण करने का परिणाम है। श्रीराम मंदिर में विराजमान प्रतिमा पांच वर्ष के भगवान की है।
विगत 1000 वर्षों में उत्तर भारत में ऐसा कोई मन्दिर नहीं बना है। श्रीराम मंदिर में आदिगुरु शंकराचार्य की पंचायतन की कल्पना को साकार किया गया है। उन्होंने कहा कि श्रीराम का कार्य केवल मंदिर निर्माण तक सीमित नहीं है। यह जन-जन में मर्यादा, सेवा और धर्म के मूल्यों को स्थापित करने का प्रयास है। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि चंपत राय वास्तव में ‘रामकाज में रत एक कर्मयोगी हैं। कहा कि श्रीराम का जीवन केवल एक दिव्य कथा नहीं, बल्कि मानव जीवन के हर पक्ष को दिशा देने वाली एक जीवंत पाठशाला है। छठे दिन कथा वाचक संत मुरलीधर ने कहा कि श्रीरामकथा का सार जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाना है। रामकथा आज के समय में सांस्कृतिक पुनर्जागरण की एक सशक्त धारा है, जो युवाओं को नैतिकता और आध्यात्म की ओर लौटाती है। श्रीराम नाम ही हमारा जीवन मंत्र है।
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