बोले रुद्रपुर : शुद्ध पेयजल के दावों को पानी पिला रहे संजय नगर के हाल
रुद्रपुर के वार्ड-11 में मूलभूत सुविधाओं की कमी है। बसंती देवी मंदिर क्षेत्र के निवासी शुद्ध पेयजल, सड़कों की मरम्मत और सामुदायिक भवन की मांग कर रहे हैं। वे स्थानीय प्रशासन से समस्याओं का स्थायी...
महानगर में कई वार्डों में मूलभूत सुविधाओं के यह हाल हैं कि कहीं से भी नहीं लगता है कि यह क्षेत्र नगर निगम में शामिल है। शुद्ध पेयजल जैसी बुनियादी जरूरत कई वार्डों में पूरी होती नहीं दिख रही है। सुविधाओं के अभाव में लोगों की रोजमर्रा की जिदंगी कठिनाइयों से भरी है। नगर निगम के वार्ड-11 संजय नगर के बसंती देवी मंदिर क्षेत्र में भी ऐसी ही समस्याओं का अंबार है। ‘हिन्दुस्तान के विशेष अभियान ‘बोले रुद्रपुर के तहत जब टीम ने बसंती देवी मंदिर परिसर के आसपास बसे लोगों से बातचीत की तो उनकी उपेक्षा का दर्द खुलकर सामने आया।
साथ ही उनकी मांगों को एक आवाज मिलने की उम्मीद भी उनकी आंखों में झलकी। बातचीत में साफ हो गया कि लंबे समय से समस्याओं की अनदेखी से अब लोग त्रस्त हो चुके हैं। उन्हें उम्मीद है कि समस्याओं को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों और विभागों की अब नींद टूटेगी और उनको राहत मिलेगी। वार्ड-11 में बसंती देवी मंदिर परिसर के आसपास के लोगों की समस्याओं की लंबी फेहरिस्त है। संजय नगर का यह क्षेत्र बसंती देवी मंदिर जैसे प्रमुख धार्मिक स्थल के निकट है। विगत कई वर्षों से यह क्षेत्र मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। लोगों का कहना है कि यह क्षेत्र धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। साथ ही सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों का भी केंद्र है। इसके बावजूद मूलभूत सुविधाओं की कमी से क्षेत्र विकास में पिछड़ रहा है। लोगों का कहना है कि सभी समस्याओं का स्थाई समाधान निकाला जाना चाहिए। उनका कहना था कि कई बार समस्याओं को मुखर तरीके से उठाया जा चुका है, लेकिन समस्याओं के समाधान की जगह या तो सिर्फ कोरे आश्वासन मिलते हैं या फिर फौरी तौर पर समस्या का समाधान कर स्थाई समाधान से जिम्मेदार महकमे मुंह फेर लेते हैं। जनप्रतिनिधियों के सामने भी क्षेत्र की समस्याओं को कई बार उठाया जा चुका है, लेकिन अब तक यहां के वाशिंदों को राहत नहीं मिली है। सड़कों ही हालत में सुधार, शुद्ध पेयजल की दरकार, नालों की सफाई नहीं होना, सार्वजनिक नलों और पेयजल लाइनों की उचित रखरखाव नहीं होना जैसी समस्याओं का यहां के लोग स्थाई समाधान चाहते हैं। लोगों का कहना है कि एक-एक कर भी इन समस्याओं के समाधान की ओर ध्यान दिया गया होता, तो इस क्षेत्र में विकास की गति नहीं ठहरती। स्थानीय लोगों का कहना था कि वर्षों से जर्जर पड़ी सड़कों की मरम्मत नहीं हो रही है। क्षतिग्रस्त हो चुके नलों की मरम्मत या इनको बदले जाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। बच्चों के लिए सुरक्षित खेलने के लिए बेहतर हालत में मैदान या पार्क जैसी जरूरी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं। लोगों ने बसंती देवी मंदिर के मुख्य द्वार को लेकर भी सुझाव दिए कि इसे बसंती देवी के नाम से चिह्नित किया जाए, ताकि आने-जाने वाले लोगों को मंदिर की पहचान की जानकारी मिल सके। वहीं बड़ी आबादी होने के बाद भी सामुदायिक भवन की कमी यहां के लोगों को अखर रही है। उनका कहना था कि सामुदायिक भवन होने से यहां शादी समारोह समेत अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों के संचालन में मदद मिलती। सार्वजनिक नलों के सहारे लोग, अधिकांश में नहीं टपक रहा पानी : वार्ड-11 के बसंती देवी मंदिर के आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि क्षेत्र में पेजयल की किल्लत बड़ी समस्या है। यहां सार्वजनिक नलों की कमी है। जो सार्वजनिक नल लगे हुए हैं, उनकी हालत भी खराब है। अधिकांश या तो खराब हैं या इनसे पानी नहीं आता है। क्षेत्र में वर्तमान में 21 सार्वजनिक नल लगे हैं। इसमें से सिर्फ तीन से ही पानी की आपूर्ति हो रही है। बाकी नल इतनी जर्जर हालत में पहुंच चुके हैं कि इनकी मरम्मत तक संभव नहीं है। ऐसे में इनकी जगह नए सार्वजनिक नलों को लगाया जाना चाहिए। गर्मियों में यहां पेजयल की समस्या और भी विकराल रूप ले लेती है। स्थानीय नागरिकों की मांग है कि क्षेत्र में एक पानी की टंकी बनाई जाए, जिससे नियमित और स्वच्छ जलापूर्ति सुनिश्चित हो सके। प्रशासन से आग्रह किया गया है कि इस बुनियादी जरूरत को प्राथमिकता दी जाए और पूरे वार्ड में नए, टिकाऊ और पर्याप्त संख्या में पेयजल के सार्वजनिक नल स्थापित किए जाएं। मानसून में बैगुल उफनाई तो नुकसान तय, सुरक्षा इंतजाम नहीं : बसंती देवी मंदिर के आसपास के लोगों के लिए बैगुल नदी एक बड़ी चिंता का विषय है। बरसात के मौसम में यह नदी उफान पर आ जाती है और आसपास के इलाकों में जलभराव की स्थिति बन जाती है। जलभराव के चलते कई बार लोगों की संपत्ति को नुकसान पहुंचता है और जनहानि का भी खतरा बना रहता है। स्थानीय नागरिकों ने मांग की है कि नदी के दोनों ओर पक्की दीवार बनाई जाए, ताकि बारिश के दिनों में नदी का पानी कॉलोनी में न घुसे। साथ ही यह दीवार नदी के तटों को भी स्थिर बनाएगी। इससे भू-कटाव जैसी समस्या भी नहीं आएगी। लोगों ने प्रशासन को चेताया है कि अगर समय रहते यह सुरक्षा दीवार और बाढ़ सुरक्षा कार्य नहीं हुए तो आने वाले मानसून में क्षेत्र में बड़े नुकसान की आशंका रहेगी। बसंती देवी मंदिर परिसर में पंखे लगाने की मांग : बसंती देवी मंदिर क्षेत्र का धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है, लेकिन यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मंदिर परिसर में सुविधाओं की कमी है। मंदिर परिसर में विवाह समारोह और कथा जैसे कार्यक्रमों के लिए बैठने की जगह तो है, लेकिन गर्मी के मौसम में वहां पंखों की भारी कमी महसूस होती है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं और विवाह समारोह आदि में जुटने वाले लोगों की संख्या के लिहाज से 20 पंखों की दरकार है। जबकि वर्तमान में यहां केवल 7 पंखे ही हैं। इनमें से भी कुछ खराब हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि शादियों या किसी आयोजन के समय मंदिर समिति के लोग समारोह के बदले 2100 रुपये में एक पंखा मंगाते हैं। इससे संबंधित पक्षों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता है। लोगों की मांग है कि मंदिर में पर्याप्त संख्या में पंखे लगवाए जाएं। धार्मिक स्थल होने के नाते इसके लिए स्थानीय निकाय या अन्य माध्यमों से मदद की जानी चाहिए। दो दशकों से जर्जर पड़ी हैं सड़कें, कोई सुधलेवा नहीं : क्षेत्र के लोगों की सबसे बड़ी समस्याओं में एक यहां की खस्ताहाल सड़कें हैं। इनकी मरम्मत पिछले दो दशकों से नहीं हुई है। वहीं नई सड़कों की भी दरकार है। क्षेत्र के निवासियों का कहना है कि सड़कों की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि इनमें वाहन के साथ पैदल चलने तक में दिक्कतें आती हैं। गड्ढों से भरी सड़कें बारिश के मौसम में कीचड़ और जलभराव का कारण बनती हैं। जबकि गर्मियों में धूल उड़ती रहती है। इन सड़कों पर दोपहिया और चोपहिया वाहन चलाना जोखिम भरा हो गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्र की सड़कों की मरम्मत और नई सड़कों के प्रस्ताव बनाने के लिए वह कई बार मांग उठा चुके हैं, लेकिन समस्या के समाधान की जगह सिर्फ कोरे आश्वासन मिलते हैं। इन जर्जर सड़कों के चलते कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। सड़कों की जर्जर स्थिति के चलते सबसे अधिक बुजुर्ग और बच्चे प्रभावित होते हैं। संकरी गलियों में गड्ढे होने से पैदल चलने वाले लोगों के लिए भी खतरा बना रहता है। कुछ स्थानों पर सड़क दिखती ही नहीं हैं। यहां सिर्फ मिट्टी रह गयी है। इसके चलते हल्की बरसात में भी यहां फिसलन की समस्या बनी रहती है। लोगों की मांग है कि पूरी कॉलोनी की सड़कों का तत्काल निरीक्षण कर इनकी मरम्मत और नए सिरे से सड़कों का निर्माण किया जाना चाहिए। सामुदायिक भवन की मांग लंबे समय से अधूरी : क्षेत्र में सामुदायिक भवन की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन अब तक इस मांग को लेकर सकारात्मक उम्मीद नहीं जगी है। क्षेत्र में तीन प्रमुख मंदिर हैं, जहां धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, लेकिन बड़े आयोजन के लिए सामुदायिक भवन जैसी व्यवस्था नहीं होने से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। शादियों, नामकरण संस्कार, हवन, कथा या अन्य आयोजनों के लिए कोई ऐसा स्थान नहीं है, जहां बड़ी संख्या में एक साथ लोग जुट सकें और उचित सुविधा के साथ ऐसे आयोजन संपन्न हो सकें। स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब भी कोई आयोजन होता है तो टेंट, कुर्सियां, जनरेटर, पंडाल आदि की व्यवस्था करनी पड़ती है। खुले मैदान या सड़क किनारे अस्थायी तौर पर टेंट आदि लगाकर कार्यक्रम किए जाते हैं। इससे आयोजन के संचालन में कठिनाई होती है। साथ ही यातायात व्यवस्था और स्थानीय लोगों को भी आवागमन में परेशानी होती है। बरसात के मौसम में ऐसे आयोजन लगभग असंभव हो जाते हैं। लोगों की मांग है कि क्षेत्र में एक ऐसा सामुदायिक भवन बनाया जाए, जिसमें दो कमरे, एक बड़ा हॉल, एक रसोईघर और शौचालय की सुविधाएं हों। लोगों ने जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से लें और नगर निगम के बजट में इसे प्राथमिकता से शामिल कराएं। इसके अलावा, क्षेत्र में खेलकूद के लिए केवल एक ही मैदान है, लेकिन इसकी स्थिति भी बेहद दयनीय है। मांग है कि खेल मैदान में समतल करने के लिए मिट्टी डलवाई जाए और इसे बेहतर रूप दिया जाए। वार्ड-11 के बसंती देवी मंदिर के पास स्थित सब्जी बाजार भी लोगों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन गया है। यहां प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोग सब्जी आदि खरीदने आते हैं, लेकिन व्यवस्थित बाजार नहीं होने से पूरे क्षेत्र में ट्रैफिक जाम, गंदगी और अराजकता की स्थिति बन जाती है। और शिकायतें 1-वार्ड में लगे 21 नलों में से केवल तीन से ही पेयजल आपूर्ति सुचारू है। बाकी नल पूरी तरह से खराब हो चुके हैं, जिससे लोगों दिक्कत होती है। 2-नगर की सड़कें 20 वर्षों से जर्जर पड़ी हैं। गड्ढों और क्षतिग्रस्त सड़कों के कारण आए दिन हादसे होते हैं। इनको जल्द सही कराया जाए। 3-वार्ड में एकमात्र खेल मैदान असमतल और जलभराव से ग्रस्त है। बारिश न होने पर भी वहां पानी जमा रहता है। इससे बच्चे खेलने से वंचित हो जाते हैं। 4-बसंती देवी मंदिर परिसर में बैठने की जगह तो है पर पंखों की भारी कमी है। गर्मियों में आयोजन के दौरान लोग असुविधा का सामना करते हैं। 5-नदी के दोनों ओर कोई पक्की सुरक्षा दीवार नहीं है। बरसात के समय नदी का जलस्तर बढ़ने से कॉलोनी में पानी घुसने और जानमाल के नुकसान का खतरा रहता है। सुझाव 1-स्थायी समाधान के तौर पर वार्ड में एक सरकारी पेयजल टंकी लगवाई जाए, जिससे हर घर को नियमित और स्वच्छ पानी मिल सके। 2-सड़कों की मरम्मत के नाम पर केवल गड्ढे का भरान न किया जाए। पूरी तरह से नए सिरे से सड़कें बनाई जाएं, जिससे आवागमन सुरक्षित और सुगम हो। 3-बच्चों की खेल गतिविधियों के लिए मैदान को समतल कर उसमें मिट्टी डाली जाए। साथ ही जल निकासी की समुचित व्यवस्था की जाए। 4-बसंती मंदिर परिसर के पंखों को ठीक कर और पंखे लगाए जाएं, जिससे विवाह और अन्य कार्यक्रमों में आने वाले लोगों को राहत मिल सके। 5-नदी के किनारों पर मजबूत और ऊंची सुरक्षा दीवार बनाई जाए, जिससे जलभराव या बाढ़ जैसी आपदा की स्थिति से लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। साझा किया दर्द हमारे क्षेत्र में पिछले 20 साल से किसी भी नई सड़क का निर्माण नहीं हुआ। जर्जर सड़कों में गड्ढों में रोजाना वाहन चालक रपटते हैं। बच्चों और बुजुर्गों के लिए चलना तक मुश्किल हो गया है। -तपस सरकार पानी की सबसे ज्यादा परेशानी है। सरकारी सार्वजनिक नलों में से तीन ही चल रहे हैं, बाकी खराब हैं। गर्मियों में पेयजल समस्या के कारण हाल और बुरा हो जाता है। पानी की सार्वजनिक टंकी लगनी चाहिए। -सुशांत खेलने के लिए केवल एक मैदान है, लेकिन वह भी गड्ढों और कीचड़ से भरा रहता है। मैदान को समतल करने के लिए मिट्टी डालनी चाहिए, ताकि बच्चे ठीक से खेल सकें। -विधान मंडल मंदिर परिसर में पंखों की भारी कमी है। शादी या अन्य आयोजनों में लोग गर्मी से परेशान हो जाते हैं। पंखों की संख्या बढ़ाने के साथ मंदिर के सौंदर्यीकरण के कार्य किए जाएं। -मुकेश सड़कों की हालत इतनी जर्जर है कि बड़े वाहन को छोड़ दें, दोपहिया वाहनों के संचालन तक में दिक्कत आती है। कई बार जर्जर सड़क के कारण हादसे होते हैं। यह स्थिति चिंताजनक है। -मिथुन दास सब्जी बाजार बहुत अव्यवस्थित हो चुका है। ट्रैफिक जाम और गंदगी आम समस्या है। इसे वेडिंग जोन के रूप में विकसित किया जाना चाहिए, जिससे लोगों को राहत मिले। -विश्वजीत हालदार बच्चों को खेलने के लिए स्वस्थ माहौल नहीं मिल रहा है। बेहतर मैदान की सुविधा हो तो उनका मानसिक और शारीरिक विकास हो सकेगा। इसके अभाव में बच्चे मोबाइल और टीवी देखने में अधिक समय बिता रहे हैं। -मनोज विश्वास मंदिर के द्वार पर मां बसंती देवी का नाम अंकित होना चाहिए, ताकि बाहर से आने वाले लोगों को मंदिर की पहचान आसानी से हो सके। मंदिर के सौंदर्यकरण के कार्य भी होने चाहिए। -बलाई विश्वास यहां सामुदायिक भवन न होने से हर कार्यक्रम खुले मैदान या सड़क पर करने पड़ते हैं। महिलाओं को विशेषकर काफी परेशानी होती है। एक स्थायी भवन बनना बहुत ज़रूरी है। -जमुना विश्वास हमने कई बार लिखित शिकायतें दीं है, मगर कोई जवाब नहीं मिला। अधिकारियों को क्षेत्र में आकर खुद स्थिति देखनी चाहिए, तभी उन्हें हमारी तकलीफ समझ में आएगी। -उर्मिला हम युवाओं को खेलों में आगे बढ़ना देखना चाहते हैं, लेकिन बेहतर मैदान और सुविधाओं के अभाव में यह सपना पूरा नहीं हो पा रहा है। खेल मैदान में बेहतर सुविधाओं का विकास किया जाना चाहिए। -बलवीर सिंह खेल मैदान में मिट्टी भरकर इसे समतल किया जाना चाहिए। इससे बच्चों को एक बेहतर खेल मैदान मिल सकेगा। खेल मैदान में अन्य सुविधाओं का विकास भी होना चाहिए। -अनिता विश्वास बोले पार्षद प्रतिनिधि नदी के किनारे पक्की सुरक्षा दीवार न होने से हर बारिश में बाढ़ जैसा खतरा बना रहता है। कई बार पानी घरों तक आ जाता है। इससे पहले कि जानमाल का नुकसान हो, समस्या का स्थायी समाधान किया जाना चाहिए। - मानवेंद्र राय, पार्षद प्रतिनिधि बोले नगर आयुक्त वर्तमान में बैगुल और कल्याणी दोनों नदियों की सफाई की जा रही है। पहले चरण में शहर के 200 सार्वजनिक हैंडपंपों की मरम्मत की जा चुकी है। जल्द ही अन्य हैंडपंपों को भी सही किया जाएगा। -नरेश चंद दुर्गपाल, नगर आयुक्त, रुद्रपुर
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