अवैध खरीद फरोख्त वाली जमीन को राज्य सरकार में निहीत करने की मांग
पछुवादून के रसूलपुर में चाय बागान की जमीनों की अवैध खरीद-फरोख्त के मामले में शिकायतकर्ता ने जिलाधिकारी से कार्रवाई की मांग की है। शिकायत के अनुसार, चाय बागान की जमीन का क्रय-विक्रय बिना राज्य सरकार की...

पछुवादून के रसूलपुर में चाय बागान की जमीनों के अवैध खरीद फरोख्त वाले रकबे को राज्य सरकार में निहित करने की मांग शिकायतकर्ता ने जिलाधिकारी से की है। शिकायतकर्ता का कहना है कि देहरादून में कई बीघा जमीन को जिलाधिकारी ने राज्य सरकार में निहीत किया है, उसी तर्ज पर पछुवादून में भी कार्यवाही की जानी चाहिए। आरटीआई कार्यकर्ता सुमित कुमार ने बीती 15 मई को अपर जिलाधिकारी प्रशासन से शिकायत की थी कि वर्तमान ग्राम रसूलपुर (पूर्व एनफील्ड ग्रांट) में चाय बागान की जमीनों पर प्रशासन की ओर से खरीद फरोख्त पर लगी रोक के बाद भी चार रजिस्ट्रियों को उप निबंधक प्रथम एवं द्वितीय विकासनगर के माध्यम से कराया गया।
जिनमें से दो पर दाखिल खारिज भी कर दिया गया। मामले का तत्काल संज्ञान लेकर न्यायालय तहसीलदार विकासनगर ने उक्त हुए दोनों दाखिल खारिज को निरस्त होने योग्य मानते हुए अपने दाखिल खारिज के आदेश को निरस्त कर दिया था। शिकायतकर्ता ने अब उक्त रजिस्ट्रियों और दाखिल खारिज के संबंध में जिलाधिकारी देहरादून को ज्ञापन प्रेषित कर बताया कि 10-10-1975 के बाद चायबागन के रूप में प्रदान भूमि का किसी भी रूप में अंतरण बिना राज्य सरकार की अनुमति के नहीं हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति उक्त तिथि के बाद चाय बागान की भूमि का क्रय विक्रय करता है तो वह हस्तांतरण विलेख अवैध व शून्य समझा जाएगा तथा अंतरित करने वाले व अंतरण को स्वीकार करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध ग्रामीण सीलिंग की धारा 35 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। बताया कि सीएम पोर्टल के आदेश के बाद लेखपाल की जांच में भी स्पष्ट हुआ है कि चाय बागान भूमि के जिन पुराने खसरा नंबरों पर रोक लगाई गई थी उन्हीं खसरा नंबरों से बने नए नंबरों की यह रजिस्ट्री की गई है। उन्होंने जिलाधिकारी से चारों रजिस्ट्री की भूमि को तत्काल अवैध मानते हुए शून्य घोषित करने और उक्त भूमि को राज्य सरकार में निहित करने की मांग की है।
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