Chaitra Navratri 2025 Timing: आज कलश स्थापना 6.13 बजे नहीं कर पाए तो यह भी है मुहूर्त
- Chaitra Navratri 2025: 30 मार्च को शुभ योग के साथ नवरात्रि सर्वार्थ सिद्धि योग, बुद्धआदित्य योग, शुक्रआदित्य योग, लक्ष्मीनारायण योग में नवरात्रि प्रारंभ होंगे। 30 मार्च को सुबह चैत्र शुक्ल प्रतिपदा उदय व्यापिनी है।

चैत्र नवरात्रि में रवि योग व सर्वार्थ सिद्धि योग का अद्भुत संयोग बन रहा है। महापर्व के दौरान चार दिन रवि योग व तीन दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग रहेगा। दोनों ही ज्योतिष में शुभ माने जाते हैं। इन योगों में किए गए काम सफल होते हैं। चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू हो रहे हैं। इस बार चैत्र नवरात्रि नौ नहीं बल्कि आठ दिन के होंगे, नवमी छह अप्रैल को होगी। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर धरती पर आएंगी। ज्योतिष में यह बहुत शुभ माना जाता है। सात अप्रैल को हाथी पर सवार होकर ही माता वापस जाएंगी। स्थानीय ज्योतिषाचार्य पंडित आशुतोष त्रिवेदी ने बताया कि इस बार चैत्र नवरात्रि आठ दिन के होंगे। चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त उदया तिथि के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 30 मार्च को है, घट स्थापना इसी दिन होगी।
कलश स्थापना के लिए शुभ समय
कलश स्थापना के लिए शुभ समय सुबह 6:13 से 10:22 बजे तक रहेगा। इसके अलावा दोपहर 12:01 से 12:50 बजे तक अभिजीत मुहूर्त भी है। इन दोनों मुहूर्तों में कलश स्थापना करना शुभ रहेगा। मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर धरती पर आएंगी। ज्योतिष में यह बहुत शुभ माना जाता है। इससे लोगों के धन में बढ़ोतरी होगी और देश की अर्थव्यवस्था अच्छी होगी। मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी और सात अप्रैल को हाथी पर सवार होकर ही वापस जाएंगी।
नवरात्रि सर्वार्थ सिद्धि योग
स्थानीय ज्योतिषाचार्य पंडित गौरव कौशिक ने बताया कि 30 मार्च को शुभ योग के साथ नवरात्रि सर्वार्थ सिद्धि योग, बुद्धआदित्य योग, शुक्रआदित्य योग, लक्ष्मीनारायण योग में नवरात्रि प्रारंभ होंगे। 30 मार्च को सुबह चैत्र शुक्ल प्रतिपदा उदय व्यापिनी है। इसलिए चैत्र नवरात्र 30 मार्च से शुरू हो रहे है। प्रतिपदा तिथि 29 मार्च को दोपहर 4:27 बजे प्रारंभ होगी। प्रतिपदा तिथि का समापन 30 मार्च को दोपहर 12:49 बजे होगा। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:12 बजे से शुरू होगा और सुबह 10:22 बजे समाप्त होगा। अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:09 से 12:49 बजे तक रहेगा।
यदि किसी कारणवश सुबह के मुहूर्त में घट स्थापना न हो सके तो अभिजित मुहूर्त में यह किया जा सकता है। कलश को तीर्थों का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में कलश स्थापना करने के साथ ही देवी देवताओं का आह्वान किया जाता है। कलश के अलग-अलग भागों में त्रिदेवों का वास होता है। कलश के मुख पर भगवान विष्णु, कंठ पर भगवान शिव और मूल में ब्रह्माजी का स्थान माना गया है। कलश के मध्य भाग में मातृ शक्तियों का निवास होता है। इसलिए नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना करने के साथ ही देवी-देवताओं को घर में निमंत्रण दिया जाता है।