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नवरात्रि की षष्ठी तिथि पर पढ़ें मां कात्यायनी की कथा व आरती

  • Chaitra Navratri 6th day 2025 : पूरे विधि-विधान के साथ मां कात्यायनी की उपासना करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है। इसलिए अगर व्रत रखा हो या न रखा हो, पूरे भक्तिभाव से इस दिन कात्यायनी मां की कथा व आरती करें।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 2 April 2025 07:04 PM
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नवरात्रि की षष्ठी तिथि पर पढ़ें मां कात्यायनी की कथा व आरती

Chaitra Navratri 6th day 2025: 3 मार्च, गुरुवार के दिन चैत्र नवरात्रि की षष्ठी तिथि है। चैत्र नवरात्रि 2025 के छठे दिन कात्यायनी माता की पूजा-अर्चना की जाती है। पूरे विधि-विधान के साथ मां कात्यायनी की उपासना करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है। इसलिए अगर व्रत रखा हो या न रखा हो, पूरे भक्तिभाव से इस दिन कात्यायनी मां की कथा व आरती करें। नवरात्रि की षष्ठी तिथि पर पढ़ें मां कात्यायनी की कथा व आरती-

मां कात्यायनी का स्वरूप: मां कात्यायनी की सवारी सिंह यानी शेर है। माता की चार भुजाएं हैं और उनके सिर पर हमेशा मुकुट सुशोभित रहता है। दो भुजाओं में कमल और तलवार धारण करती हैं। मां एक भुजा वर मुद्रा और दूसरी भुजा अभय मुद्रा में रहती है। मान्यता है कि अगर भक्त विधि-विधान से माता की पूजा करें तो उनके विवाह में आ रही अड़चनें खत्म हो जाती हैं।

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कात्यायनी मां की कथा: पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऋषि कात्यायन देवी मां के परम उपासक थे। एक दिन मां दुर्गा ने इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर इनके घर पुत्री के रुप में जन्म लेने का वरदान दिया। ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण ही देवी मां को मां कात्यायनी कहा जाता है। मान्यता है कि मां कात्यायनी की उपासना से इंसान अपनी इंद्रियों को वश में कर सकता है। मां कात्यायनी ने ही महिषासुर का वध किया था। इसलिए ही मां कात्यायनी को महिषासुर मर्दनी भी कहा जाता है। इसके अलावा माता रानी को दानव और असुरों का विनाश करने वाली देवी कहते हैं।

भगवान श्री कृष्ण ने भी की ये पूजा: पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां कात्यायनी की पूजा भगवान राम और श्रीकृष्ण ने भी की थी। कहते हैं कि गोपियों ने भगवान श्री कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा की थी। मां दुर्गा ने सृष्टि में धर्म को बनाए रखने के लिए यह अवतार लिया था।

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मां कात्यायनी की आरती

जय-जय अम्बे जय कात्यायनी

जय जगमाता जग की महारानी

बैजनाथ स्थान तुम्हारा

वहा वरदाती नाम पुकारा

कई नाम है कई धाम है

यह स्थान भी तो सुखधाम है

हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी

कही योगेश्वरी महिमा न्यारी

हर जगह उत्सव होते रहते

हर मंदिर में भगत हैं कहते

कत्यानी रक्षक काया की

ग्रंथि काटे मोह माया की

झूठे मोह से छुडाने वाली

अपना नाम जपाने वाली

बृहस्‍पतिवार को पूजा करिए

ध्यान कात्यायनी का धरिए

हर संकट को दूर करेगी

भंडारे भरपूर करेगी

जो भी मां को 'चमन' पुकारे

कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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