devshayani ekadashi kab hai date time puja vidhi देवशयनी एकादशी 6 जुलाई को, इस दिन से रुक जाएंगे मांगलिक कार्य, एस्ट्रोलॉजी न्यूज़ - Hindustan
Hindi Newsधर्म न्यूज़devshayani ekadashi kab hai date time puja vidhi

देवशयनी एकादशी 6 जुलाई को, इस दिन से रुक जाएंगे मांगलिक कार्य

आषाढ़ माह की एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसके बाद से ही चातुर्मास शुरू हो जाता है। भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। विष्णु के शयनकाल के समय सृष्टि का भार देवों के देव महादेव पर होता है।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तानThu, 12 June 2025 07:04 PM
share Share
Follow Us on
देवशयनी एकादशी 6 जुलाई को, इस दिन से रुक जाएंगे मांगलिक कार्य

आषाढ़ माह की एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसके बाद से ही चातुर्मास शुरू हो जाता है। भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। विष्णु के शयनकाल के समय सृष्टि का भार देवों के देव महादेव पर होता है। देवशयनी एकादशी के बाद से समस्त मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं। देवशयनी एकादशी से चार माह तक भगवान विष्णु का शयनकाल चलता है। इस एकादशी के बाद 4 महीने तक भगवान विष्णु योग निद्रा में रहेंगे। इन चार महीनों में गृह प्रवेश, शादी, सगाई, जनेऊ आदि मांगलकि कार्य नहीं हो पाएंगे। इस साल देवशयनी एकादशी 6 जुलाई को है।

देवउठनी एकादशी से शुरू होंगे मांगलिक कार्य

भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से क्षीर सागर में सोने को चले जाते हैं। फिर चार मास बाद उन्हें जगाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक देवशयनी एकादशी के दिन श्रीहरि विष्णु भगवान क्षीर सागर में योग निद्रा के लिए चले जाते हैं। उनकी यह निद्रा चार माह बाद देवउठनी एकादशी के दिन खुलती है। इन चार महीनों के दौरान भगवान शिव को संसार के संचालन की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है। सारे मांगलिक कार्य इसलिए बंद हो जाते हैं। लोगों का मानना है भगवान अभी निद्रा में हैं। ऐसे में किसी भी शुभ कार्य में भगवान का आशीर्वाद नहीं मिल पाएगा। जब देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु जागते हैं। उसी के साथ शुभ कार्य प्रारंभ हो जाते हैं।

इस विधि से पूजा पर मिलेगा भगवान विष्णु का आशीर्वाद

विष्णु भगवान की आराधना के लिए एकादशी व्रत से कोई भी प्रभावशाली व्रत नहीं है। दिन जप-तप, पूजा-पाठ, उपवास करने से मनुष्य श्री हरि की कृपा प्राप्त कर लेता है। भगवान विष्णु को तुलसी बहुत ही प्रिय होती है। बिना तुलसी दल के भोग इनकी पूजा को अधूरा माना जाता है। ऐसे में देवशयनी एकादशी पर तुलसी की मंजरी, पीला चंदन, रोली, अक्षत, पीले पुष्प, ऋतु फल एवं धूप-दीप, मिश्री आदि से भगवान वामन की भक्ति-भाव से पूजा करनी चाहिए। पदम् पुराण के अनुसार, देवशयनी एकादशी के दिन कमललोचन भगवान विष्णु का कमल के फूलों से पूजन करने से तीनों लोकों के देवताओं का पूजन हो जाता है। रात के समय भगवान नारायण की प्रसन्नता के लिए नृत्य, भजन-कीर्तन और स्तुति द्वारा जागरण करना चाहिए।

ये भी पढ़ें:मंगल के नक्षत्र परिवर्तन से इन राशियों का शुरू होगा अच्छा समय, खूब होगा लाभ
जानें धर्म न्यूज़ , Rashifal, Panchang , Numerology से जुडी खबरें हिंदी में हिंदुस्तान पर| हिंदू कैलेंडर से जानें शुभ तिथियां और बनाएं हर दिन को खास!