सितंबर में लगेगा चंद्र ग्रहण, जानें क्या भारत में मान्य होगा सूतक काल?
Lunar Eclipse Chandra Grahan 2025: हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण खगोलीय, आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से एक विशेष घटना है। इसका जनमानस पर गहरा प्रभाव पड़ता है। चंद्र ग्रहण तब लगता है, जब पृथ्वी घूमते हुए चांद और सूर्य के बीच आ जाता है।

Lunar Eclipse Chandra Grahan 2025: हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण खगोलीय, आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से एक विशेष घटना है। इसका जनमानस पर गहरा प्रभाव पड़ता है। चंद्र ग्रहण तब लगता है, जब पृथ्वी घूमते हुए चांद और सूर्य के बीच आ जाता है। इसके वजह से पृथ्वी की छाया चांद पर पड़ती है और चांद छिप जाता है। इस घटना को ही चंद्र ग्रहण कहते हैं। चंद्रग्रहण 3 प्रकार के होते हैं। आंशिक चंद्र ग्रहण, पूर्ण चंद्र ग्रहण और उपछाया चंद्र ग्रहण। आंशिक चंद्रग्रहण में चांद का सिर्फ एक भाग पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है। उपछाया चंद्र ग्रहण के दौरान धरती की छाया का हल्का बाहरी भाग चंद्रमा की सतह पर पड़ता है। इस ग्रहण को देखना थोड़ा मुश्किल होता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण उस समय लगता है, जब पूरे चंद्रमा की सतह पर धरती की छाया पड़ती है। वहीं धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो चंद्र ग्रहण का कारण राहु-केतु माने जाते हैं। ज्योतिष विद्या के अनुसार, ये ग्रहण केतु के कारण लगने वाला है। राहु और केतु छाया ग्रहों को सांप की भांति माना गया है, जिनके डसने पर ग्रहण लगता है। वहीं, कुछ लोगों का मानना है की जब राहु और केतु चंद्रमा को निगलने की कोशिश करते हैं तब चंद्र ग्रहण लगता है।
चंद्र ग्रहण- साल का दूसरा चंद्र ग्रहण भाद्रपद महीने की पूर्णिमा पर लगेगा। भाद्रपद माह की पूर्णिमा 7 सितंबर 2025 को है। साल 2025 का दूसरा चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को लगने जा रहा है। यह ग्रहण 7 सितंबर को लगेगा और 8 सितंबर की आधी रात तक चलेगा। भारतीय समयानुसार यह ग्रहण रात 9 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगा और 01 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा। यह ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा। इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा पूरी तरह धरती की छाया में आ जाएगा।
मान्य होगा सूतक काल- साल का दूसरा चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा जिस वजह से सूतक काल भी मान्य होगा। चंद्र ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले सूतक लग जाता है। सूतक के दौरान किसी भी तरह के धार्मिक कार्य नहीं किए जाते हैं। इस दौरान मंदिरों के कपाट भी लग जाते हैं।