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Holashtak : होलाष्टक कल से, रुक जाएंगे मांगलिक कार्य

  • होली के तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। होलिका दहन से 8 दिन पहले होलाष्टक यानि कि शुक्रवार से होलाष्टक प्रारंभ हो जाएंगे। इसके चलते होलिका दहन तक शुभ कार्यों पर ब्रेक रहेगा।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 6 March 2025 07:53 PM
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Holashtak : होलाष्टक कल से, रुक जाएंगे मांगलिक कार्य

होली के तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। होलिका दहन से 8 दिन पहले होलाष्टक यानि कि शुक्रवार से होलाष्टक प्रारंभ हो जाएंगे। इसके चलते होलिका दहन तक शुभ कार्यों पर ब्रेक रहेगा। होलाष्टक हर साल फाल्गुन में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक शुरू होता है और पूर्णिमा यानी होलिका दहन तक रहता है। इस बार सात मार्च से होलाष्टक शुरू होगा। इस दौरान विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्य नहीं होंगे। 13 मार्च को होलाष्टक समाप्त होगा तथा इस दिन होलिका दहन भी होगा। होलाष्टक की सनातन परंपरा की मान्यता के अनुसार होली के पहले आठ दिनों यानी अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक विष्णु भक्त प्रह्लाद को काफी यातनाएं दी गई थीं। प्रह्लाद को फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी को ही हिरण्यकश्यप ने बंदी बनाया था। उसे जान से मारने के लिए तरह-तरह की यातनाएं दी गईं। यातनाओं से भरे उन आठ दिनों को ही अशुभ मानने की परंपरा बन गई। होलाष्टक की अवधि में नामकरण, जनेऊ, शादी, भूमि पूजन, गृह प्रवेश या कोई नया व्यवसाय शुरू करना वर्जित होता है।

हर साल फाल्गुन में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक शुरू होता है और पूर्णिमा यानी होलिका दहन तक रहता है। होली से ठीक 8 दिन पहले होलाष्टक लग जाता है, जिसमें शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। इस बार सात मार्च से होलाष्टक शुरू होगा। इस दौरान विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्य नहीं होंगे। 13 मार्च को होलाष्टक समाप्त होगा तथा इस दिन होलिका दहन भी होगा। होलाष्टक के विषय में कई धार्मिक मान्यताएं हैं। एक मान्यता यह भी है कि होलाष्टक की शुरुआत वाले दिन ही शिवजी ने कामदेव को भस्म कर दिया था। इस काल में हर दिन अलग-अलग ग्रह उग्र रूप में होते हैं, इसलिए होलाष्टक में शुभ कार्य नहीं करते हैं। परंतु, जन्म और मृत्यु के बाद किए जाने वाले कार्य इसमें किए जा सकते हैं।

होलाष्टक का वैज्ञानिक आधार- होलाष्टक के दौरान मौसम के परिवर्तन के कारण मन अशांत, उदास और चंचल रहता है। इस दौरान मन से किए हुए कार्यों के परिणाम शुभ नहीं होते हैं, इसलिए जैसे ही होलाष्टक समाप्त होता है रंग खेल कर हम आनंद में डूबने का प्रयास करते हैं।

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