Rahu ketu 2025: कल से राहु-केतू होंगे कुंभ राशि में, ज्योतिर्विद से जानें इन तीन राशियों पर क्या दिखाएंगे असर
18 मई 2025 से लेकर 5 दिसंबर 2026 तक राहु का गोचर कुंभ राशि में होगा तथा केतु का गोचर सिंह राशि में होगा। वर्तमान में राहु मीन राशि में तथा केतु कन्या राशि में गोचर कर रहा है। उनके इस परिवर्तन का राशियों एवं लग्नो पर व्यापक प्रभाव दिखाई देगा।

वर्ष 2025 में 18 मई 2025 को राहु और केतु के राशि में परिवर्तन होने जा रहा है। राहु और केतु अत्यंत प्रभावशाली ग्रह माने जाते हैं। राहु और केतु को छाया ग्रह भी कहा जाता है। दोनों ही ग्रहों की गति वक्री होती है। दोनों ही ग्रह जिस भी राशि में होते हैं। उसी के अनुरूप प्रभाव को ग्रहण कर लेते हैं तथा उसी के अनुसार फल प्रदान करते हैं । राहु और केतु एक राशि में लगभग 18 महीने तक रहकर अपना प्रभाव स्थापित करते हैं। इस प्रकार 18 मई 2025 से लेकर 5 दिसंबर 2026 तक राहु का गोचर कुंभ राशि में होगा तथा केतु का गोचर सिंह राशि में होगा। वर्तमान में राहु मीन राशि में तथा केतु कन्या राशि में गोचर कर रहा है। उनके इस परिवर्तन का राशियों एवं लग्नो पर व्यापक प्रभाव दिखाई देगा।
मेष राशि पर राहु का प्रभाव
मेष राशि के लिए मेष लग्न के लिए दोनों ही ग्रह सकारात्मक प्रभाव स्थापित करेंगे क्योंकि राहु का गोचर एकादश भाव में होगा तो केतु का गोचर पंचम भाव सिंह राशि में होगा। राहु के प्रभाव से आकस्मिक रूप से धन लाभ होगा। व्यापारिक विस्तार होगा। पूरा पढ़ने के लिए क्लिक करें
वृष राशि पर राहु का प्रभाव
वृष राशि व लग्न के लिए राहु का गोचर कुंभ राशि दशम भाव में होगा तथा केतु का गोचर सिंह राशि चतुर्थ भाव अर्थात सुख भाव पर होगा। अतः वृष राशि के लोगों के लिए दशम स्थान में गोचरवत राहु सकारात्मक फल प्रदान करेगा। राहु और केतु के संयुक्त प्रभाव को देखा जाए तो सामाजिक पद प्रतिष्ठा सम्मान में व्यापक स्तर पर वृद्धि होगी। नौकरी में परिवर्तन । पद में परिवर्तन। स्थान में परिवर्तन के साथ-साथ नई जिम्मेदारी मिलने की संभावना बनेगी। कुटुंब में मांगलिक कार्य होंगे। मांगलिक कार्यो में खर्च वृद्धि की स्थिति बनेगी। खर्च वृद्धि होगी। वाणी की तीव्रता में वृद्धि होगी। अतः संयम रखकर किसी से अपनी बात कहने की कोशिश करें। आंखों की समस्या भी इस बीच में परेशान कर सकती है। राहु के प्रभाव से पुराने रोग, पुराने कष्ट, पुराने मुकदमें में विजय की स्थिति बनती दिखाई देगी। शत्रु पराजित होंगे। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले लोगों के लिए राहु का यह परिवर्तन सकारात्मक परिवर्तन लायेगा। यद्यपि कि राहु की चतुर्थ भाव पर दृष्टि सीने की तकलीफ में वृद्धि करेगा। हृदय रोग की समस्या में वृद्धि होगी। माता के स्वास्थ्य में अवरोध तथा वाहन सुख पर खर्च वृद्धि कराएगा। केतु के प्रभाव को देखा जाए तो दूरस्थ यात्रा का योग बनेगा। भोग विलासिता पर खर्च होगा। विदेशी यात्रा करने वाले लोगों के लिए समय अनुकूल रहेगा। घर से दूरी बनेगी। पेट एवं पैर की समस्या के कारण तनाव की संभावना बनेगी।
मिथुन राशि पर राहु का प्रभाव
इसी प्रकार मिथुन लग्न व राशि के लिए राहु का यह गोचर भाग्य भाव कुंभ राशि पर होगा तथा केतु का गोचर तृतीय स्थान पराक्रम भाव पर होगा। परिणाम स्वरूप कार्यों में भाग्य का साथ काम प्राप्त होगा। पिता के स्वास्थ्य को लेकर चिंता बढ़ेगी। धार्मिक कार्यों से मन विचलित होगा। कंधे कमर का दर्द प्रभावित करेगा। मानसिक तीव्रता में वृद्धि होगी। विचारों में विभिन्नता एवं विचलन की स्थिति उत्पन्न होगी। मानसिक स्तर पर तनाव बढ़ेगा। सिर की समस्या तनाव उत्पन्न करेगा। संतान को लेकर कष्ट उत्पन्न होगा। संतान की पढ़ाई अथवा प्रगति के कारण मन में कष्ट उत्पन्न होगा। पढ़ाई में अवरोध उत्पन्न होगी। डिग्री लेने के लिए यह समय तनाव दे सकता है। परिवर्तन की भी स्थिति बन सकती है। पराक्रम एवं पुरुषार्थ में वृद्धि होगी। सामाजिक दायरे में वृद्धि होगी। भाई, बहनों तथा मित्रों के स्वास्थ्य एवं संबंधों को लेकर तनाव उत्पन्न हो सकता है। नेतृत्व क्षमता में वृद्धि होगी। आर्थिक लाभ में वृद्धि एवं सकारात्मकता देखने को मिलेगा। अचानक धन लाभ की स्थिति भी बनती दिखाई देगी।
यदि जन्म कुंडली में राहु द्वितीय, चतुर्थ, अष्टम एवं द्वादश भाव में विद्यमान है तो राहु का यह परिवर्तन ज्यादा नुकसान करेगा। इसी प्रकार राहु यदि लग्न स्थान, पंचम स्थान, सप्तम भाव अथवा नवम भाव में विद्यमान है तो राहु और केतु सामान्य तनाव उत्पन्न करेंगे। परंतु यदि राहु मूल कुंडली में तीसरे, छठे, दसवें एवं एकादश भाव में विद्यमान हैं तो राहु का यह परिवर्तन नया परिवर्तन, नई उपलब्धि प्रदान करने वाला होगा। राजनीतिक वर्चस्व राजनीतिक क्षेत्र में बड़ी सफलता प्रदान करने वाला होगा।