Mohini Ekadashi Vrat Katha Read here Mohini Ekadashi katha in hindi Mohini Ekadashi Katha: मोहिनी एकादशी 8 मई को, यहां पढ़ें पौराणिक व्रत कथा, एस्ट्रोलॉजी न्यूज़ - Hindustan
Hindi Newsधर्म न्यूज़Mohini Ekadashi Vrat Katha Read here Mohini Ekadashi katha in hindi

Mohini Ekadashi Katha: मोहिनी एकादशी 8 मई को, यहां पढ़ें पौराणिक व्रत कथा

Mohini Ekadashi Vrat Katha: हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत बिना कथा के पूर्ण नहीं होता है। मोहिनी एकादशी व्रत 08 मई 2025, गुरुवार को है। यहां पढ़ें मोहिनी एकादशी व्रत कथा-

Saumya Tiwari लाइव हिन्दुस्तानWed, 7 May 2025 04:04 PM
share Share
Follow Us on
Mohini Ekadashi Katha: मोहिनी एकादशी 8 मई को, यहां पढ़ें पौराणिक व्रत कथा

Mohini Ekadashi Vrat Katha: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी व्रत रखा जाता है। इस साल मोहिनी एकादशी व्रत 08 मई 2025, गुरुवार को है। मान्यता है कि एकादशी के दिन जगत के पालनहार श्रीहरि की विधिवत पूजा करने व व्रत कथा का पाठ करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। यहां पढ़ें मोहिनी एकादशी व्रत कथा-

मोहिनी एकादशी व्रत कथा: प्राचीन समय में सरस्वती नदी के किनारे भद्रावती नाम की एक नगरी बसी हुई थी। उस नगरी में द्युतिमान नामक राजा राज्य करता था। उसी नगरी में एक वैश्य रहता था, जो धन-धान्य से भरा था। उसका नाम धनपाल था। वह बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति का व नारायण भक्त था। उसने नगर में अनेक भोजनालय, प्याऊ, कुएं, तालाब, धर्मशालाएं आदि बनवाएं। सड़कों के किनारे कई वृक्ष लगवाएं, जिससे रास्ते में चलने वालों को सुख मिले। उस वैश्य के पांच पुत्र थे, जिनमें सबसे बड़ा पुत्र बहुत ही पापी व दुष्ट था। अपने पिता का ज्यादातर धन वह बुरे संगतों में ही उड़ाया करता था। मांस-मदिरा करना उसका हर दिन का काम था। जब समझाने-बुझाने पर भी वह सीधे रास्ते पर नहीं आया तो दुखी होकर उसके पिता, भाइयों और परिवार के लोगों ने उसे घर से निकाल दिया और उसकी निंदा करने लगे। घर से निकलने के बाद वह अपने आभूषणों तथा वस्त्रों को बेच-बेचकर अपना जीवन-यापन करने लगा।

ये भी पढ़ें:मोहिनी एकादशी: भगवान विष्णु ने क्यों धारण किया था मोहिनी अवतार? जानें कारण

धन नष्ट हो जाने पर उसके साथियों ने भी उसका साथ छोड़ दिया। जब वह भूख-प्यास से परेशान हो गया तो उसने चोरी करने का विचार किया तथा रात्रि में चोरी करके अपना पेट पालने लगा, एक दिन वह पकड़ा गया, लेकिन सिपाहियों ने वैश्य का पुत्र जानकर छोड़ दिया। जब वह दूसरी बार फिर से पकड़ा गया, तब सिपाहियों ने भी उसका कोई लिहाज नहीं किया तथा राजा के सामने लाकर करके उसे सारी बात बताई। तब राजा ने उसे कारागार में डलवा दिया। कारागार में राजा के आदेश से उसे नाना प्रकार के कष्ट दिए गए और अंत में उसे नगर से निष्कासित करने का आदेश दिया गया। दुखी होकर उसे नगर छोड़ना पड़ा।

अब वह वन में पशु-पक्षियों को मारकर पेट भरने लगा। इसके बाद वह बहेलिया बन गया तथा धनुष-बाण से वन के जीवों को मार-मारकर खाने एवं बेचने लगा। एक बार वह भूख और प्यास से व्याकुल होकर भोजन की खोज में निकला तथा कौण्डिन्य मुनि के आश्रम में जा पहुंचा।

इन दिनों वैशाख का महीना था। कौडिन्य मुनि गंगा स्नान करके आए थे। उनके भीगे कपड़ों की छींटें उस पर पड़ गईं, जिससे उसे कुछ सद्बुद्धि आ गई। वह ऋषि के पास पहुंचकर हाथ जोड़कर कहने लगा और कहा "हे महात्मा! मैंने अपने जीवन में अनेक पाप किए हैं। कृपा कर आप उन पापों से छूटने का कोई साधारण तथा धन रहित उपाय बताएं।"

ऋषि ने कहा, "तुम ध्यान देकर सुनो, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करो। इस एकादशी का नाम मोहिनी है। इसका व्रत करने से सभी पाप नष्ट हो जाएंगे।"

ये भी पढ़ें:सूर्य के नक्षत्र में बुध की एंट्री, 21 मई से इन 3 राशियों को होगा लाभ

ऋषि के वचनों को सुन वह बहुत प्रसन्न हुआ और उनकी द्वारा बताई हुई विधि के अनुसार उसने मोहिनी एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से उसके सभी पाप नष्ट हो गए और अंत में वह विष्णुलोक को गया।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।