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Nirjala ekadashi 2025: आज निर्जला एकादशी, जानें नियम, पारण विधि, महत्व और पढ़ें कथा

ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी कहलाती है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 06 जून शुक्रवार को रात 02 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी। द्वादशी में एकादशी का पर्व मनाने से धन लक्ष्मी के साथ भक्ति की प्राप्ति होती है।

Anuradha Pandey लाइव हिन्दुस्तानFri, 6 June 2025 06:46 AM
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Nirjala ekadashi 2025: आज निर्जला एकादशी, जानें नियम, पारण विधि, महत्व और पढ़ें कथा

हिन्दू धर्म में विशेष महत्व वाले निर्जला एकादशी का व्रत आगामी 06 जून को रखा जाएगा। निर्जला एकादशी को लेकर लोगों में असमजंस की स्थित है। दशमी के बाद एकादशी का पर्व मनाया जाता है। काफी लोग इस बात को ध्यान में रखते हुए शुक्रवार को एकादशी का पर्व मना रहे हैं। शनिवार को उदयाकाल से एकाशी है। हिन्दू पंचाग के अनुसार, वृषभ और मिथुन संक्रांति के बीच ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी कहलाती है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 06 जून शुक्रवार को रात 02 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी। द्वादशी में एकादशी का पर्व मनाने से धन लक्ष्मी के साथ भक्ति की प्राप्ति होती है।इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और कथा सुनना चाहिए। इसके साथ ही इस तिथि पर रात में जागरण करना भी शुभ माना जाता है। द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जाता है

निर्जला एकादशी पर यह कथा पढ़ें- निर्जला एकादशी का पर्व भीमसेन से जुड़ा है, इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी कहते हैं, इसकी कथा भी भीम से जुड़ी है। भूख सहन न होने के कारण भीम एकादशी व्रत नहीं कर पाते थे, तो व्यास मुनि ने उन्हें भीमसेनी एकादशी के बारे में बताया। यहां क्लिक कर पढ़ें संपूर्ण कथा

निर्जला एकादशी महत्व
निर्जला एकादशी पर व्रत का नियम का पालन करना है जरूरी एकादशी व्रतों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण एकादशी होती है। इसे निर्जला-एकादशी या भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। शास्त्रानुसार ऐसी मान्यता है कि केवल निर्जला एकादशी व्रत करने मात्र से वर्ष भर की सभी 24 एकादशियों के व्रतों का पुण्यफल प्राप्त हो जाता है। अत: जो साधक वर्ष की समस्त एकादशियों का व्रत कर पाने असमर्थ हों, उन्हें निर्जला एकादशी अवश्य करना चाहिए। निर्जला यानि यह व्रत बिना जल ग्रहण किए और उपवास रखकर किया जाता है।

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एकादशी व्रत का पारण कब करें
द्वादशी को यानी 7 जून को सुबह 6 बजे से 7 बजे के बीच पारण किया जा सकता है। इसके लिए पहले किसी को दान करें और फिर पारण करें। दान में जल से भरा घड़ा दान करना चाहिए। इस दिन शीतल वस्तु का दान करने का बहुत महत्व जैसे जल, शरबत, खरबूजे आदि दान करें।

एकादशी व्रत के नियम
स दिन अन्न का त्याग बहुत जरूरी है। इस दिन किसी भी प्रकार का अनाज पूरी तरह से वर्जित है। इसमें फलाहार भी मान्य नहीं है। व्रत के दौरान मन को शांत और शुद्ध रखना चाहिए। किसी के प्रति बुरे विचार नहीं लाने चाहिए और तीखा बोलने से बचना चाहिए। दिनभर कम बोलना चाहिए और हो सके तो मौन रहना चाहिए। दिन में सोने से बचना चाहिए। इस व्रत में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और शारीरिक इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए।

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