सिंचाई पर संकट, नहर में कचरा फेंक रहे हैं ग्रामीण- प्रस्तावित लीड
फिलहाल नहीं छोड़ा गया है पानी, नहर की सही तरीके से सफाई कराने की मांगनाई गई थी। उस समय खेती का दायरा सीमित था, जिससे पानी अंतिम छोर तक आसानी से पहुंच जाता था। अब कृषि क्षेत्रफल कई गुना बढ़ चुका है...

दाउदनगर अनुमंडल क्षेत्र में खरीफ फसल की खेती की तैयारियां जोरों पर हैं लेकिन सोन नहर में पानी अब तक नहीं आया है। सिंचाई की इस अनिश्चितता ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है क्योंकि धान की बुआई का समय नजदीक आ चुका है। दाउदनगर थाना क्षेत्र से होकर सोन नहर की दो प्रमुख शाखाएं माली लाइन और कोचस लाइन गुजरती है जो अंग्रेजों के शासनकाल में बनाई गई थी। उस समय खेती का दायरा सीमित था, जिससे पानी अंतिम छोर तक आसानी से पहुंच जाता था। अब कृषि क्षेत्रफल कई गुना बढ़ चुका है जबकि नहरों की चौड़ाई और जल वहन क्षमता पहले जैसी ही बनी हुई है।
इस कारण खेतों के अंतिम हिस्सों तक पानी नहीं पहुंच पाता, जिससे किसान डीजल पंप और मोटर का सहारा लेने को मजबूर हैं। इससे खेती की लागत कई गुना बढ़ गई है। इसके अलावा, कई गांवों का कचरा सीधे नहरों में फेंका जा रहा है जिससे नहरों में कचरों का अंबार लगा है। इससे नहरों के किनारे सिल्ट और मलबा लगातार जमा होता जा रहा है। इससे जल प्रवाह और अधिक बाधित हो गया है। सिंचाई विभाग केवल खानापूर्ति के तहत कभी-कभार मुख्य नहर की सतही सफाई कराता है लेकिन चौड़ीकरण नहीं किया जा रहा है। रोहिणी नक्षत्र 25 मई से शुरू हो चुका है जिसे धान की खेती के लिए आदर्श समय माना जाता है। इस दौरान किसान धान का बिचड़ा डालना शुरू करते हैं लेकिन नहरों में पानी की अनुपलब्धता से फसल की तैयारी बाधित हो रही है। पिछले वर्षों की तरह इस बार भी पानी के एक महीने की देरी से आने की आशंका है जिससे खरीफ फसल पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। स्थानीय किसान विनय सिंह का कहना है कि जिस समय इन नहरों की खुदाई हुई थी, उस समय सीमित क्षेत्र में ही खेती होती थी। अब खेती का रकबा बढ़ गया है और सिंचाई की मांग भी कई गुना हो चुकी है। ऐसे में जरूरत है कि नहरों का चौड़ीकरण किया जाए ताकि पानी अंतिम छोर तक पहुंच सके।
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