भीषण गर्मी में जिले की सभी नदियां सूखी, उड़ रही धूल
आस-पास के गांव में जल स्तर पर भी असर, कई जगहों पर चापाकल खराब न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न

एक तरफ भीषण गर्मी पड़ रही है तो दूसरी तरफ नदियों में पानी पूरी तरह सूख चुका है। जिले से होकर बहने वाली ज्यादातर नदियों में पानी नहीं है। इसमें से ज्यादातर बरसाती हैं और पूर्व में अप्रैल महीने तक इनमें पानी हुआ करता था लेकिन वर्तमान में यह सूख चुकी हैं। इसका असर आस-पास के गांव में भी पड़ रहा है। नदियों में पानी खत्म होने से जंगली जानवरों और मवेशियों को चराने वाले लोगों को परेशानी हो रही है। बटाने नदी, अदरी, बतरे नदी, कररबार नदी, पुनपुन सहित अन्य नदियों में पानी नहीं है। कई नदियां तो फरवरी से पहले ही सूखने लगी थीं और फिलहाल इसमें धूल उड़ रही है। ग्रामीणों की मानें तो नदियों में पानी नहीं होने से आस-पास के इलाके में भी इसका असर होता है। आने वाले दिनों में परेशानी और बढ़ेगी। सुबह नौ बजे के बाद से ही गर्म हवाओं का प्रकोप शुरू हो जा रहा है। ग्रामीण इलाके में पशुपालक मवेशियों को लेकर चराने निकल रहे हैं तो पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि क्या उपाय किया जाए। ऐसी ही समस्या का सामना भेड़पालक कर रहे हैं। भेड़ों को लेकर गांवों की तरफ निकले पशुपालकों का कहना है कि पानी को लेकर समस्या हो रही है। कहीं भी चापाकल नहीं मिल रहा है। किसी तरह काम चला रहे हैं। पूर्व में कहीं-कहीं चापाकल मिल जाते थे लेकिन अब वह भी नदारद है। नदियों के सूखने से जंगली जानवरों की परेशानी बढ़ी नदियों के सूख जाने की वजह से जंगली जानवर अब ग्रामीण इलाके में पहुंच रहे हैं। स्थिति यह है कि वह आबादी को देखकर भी भाग नहीं रहे हैं। मदनपुर और देव प्रखंड के बड़े हिस्से में जंगली जानवर रहते हैं। दक्षिणी हिस्से में जंगलों में हिरण, नीलगाय, लंगूर, बंदर, भेड़िया, सियार सहित दर्जनों तरह के जानवर रहते हैं। पानी और भोजन की तलाश में नीलगाय, हिरण, सियार और भेड़िया जंगलों से निकलकर गांव की तरफ बढ़ रहे हैं। नीलगाय पानी की तलाश में गांव के पास पहुंच जा रहे हैं और इससे परेशानी उत्पन्न हो रही है।
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