Skill Development Programs Students Face Joblessness Post Training बोले औरंगाबाद : कौशल विकास के प्रशिक्षण के बाद रोजगार की हो व्यवस्था , Aurangabad Hindi News - Hindustan
Hindi NewsBihar NewsAurangabad NewsSkill Development Programs Students Face Joblessness Post Training

बोले औरंगाबाद : कौशल विकास के प्रशिक्षण के बाद रोजगार की हो व्यवस्था

हर साल लाखों छात्र कंप्यूटर कौशल विकास कार्यक्रमों में भाग लेते हैं, लेकिन प्रशिक्षण के बाद उन्हें नौकरी पाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। संस्थान केवल प्रमाण पत्र देते हैं और प्लेसमेंट या...

Newswrap हिन्दुस्तान, औरंगाबादSun, 18 May 2025 10:52 PM
share Share
Follow Us on
बोले औरंगाबाद : कौशल विकास के प्रशिक्षण के बाद रोजगार की हो व्यवस्था

लाखों छात्र हर साल कंप्यूटर कौशल विकास कार्यक्रमों में दाखिला लेते हैं। इन प्रशिक्षणों से उनकी उम्मीदें होती हैं कि वह भविष्य में किसी अच्छी नौकरी या स्वरोजगार के लिए तैयार हो पाएंगे लेकिन प्रशिक्षण पूरा होते ही ज्यादातर छात्र खुद को एक अजीब असमंजस की स्थिति में पाते हैं। जिन संस्थाओं से उन्होंने प्रशिक्षण लिया, वे केवल एक प्रमाण पत्र प्रदान करके अपने जिम्मेदारी से मुक्त हो जाती है। न कोई प्लेसमेंट सेल होता है न कोई इंटर्नशिप की व्यवस्था। छात्रों को खुद से नौकरी तलाशनी पड़ती है जो बिना अनुभव और गहरी तकनीकी जानकारी के लगभग असंभव हो जाता है।

छात्रों का कहना है कि यदि सरकार कौशल विकास पर इतना निवेश कर रही है तो उसे यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रशिक्षण लेने वाले युवाओं को रोजगार से जोड़ा जाए। सरकारी विभागों में प्रशिक्षित युवाओं के लिए आरक्षित सीट रखी जाए। निजी कंपनियों से समझौता किया जाए जहां छात्रों को इंटर्नशिप और जॉब ऑफर मिले। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि प्रशिक्षण संस्थानों का मूल्यांकन समय-समय पर हो और उनकी गुणवत्ता पर नजर रखी जाए। केवल प्रशिक्षण देकर सरकार अपने जिम्मेदारी से नहीं बच सकती। उसे युवाओं को बाजार में स्थापित करने के लिए भी कदम उठाने चाहिए। छात्रों और अभिभावकों की एक बड़ी मांग यह भी है कि कंप्यूटर प्रशिक्षण को विद्यालय स्तर पर ही अनिवार्य किया जाए। वर्तमान में अधिकतर सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर की पढ़ाई केवल एक औपचारिकता भर रह गई है। कुछ स्कूलों में तो कंप्यूटर लैब ही नहीं हैं और जहां हैं भी, वहां उपकरण या तो खराब पड़े हैं या फिर अध्यापक की कमी के कारण उनका उपयोग नहीं हो पाता। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर छात्रों को दसवीं कक्षा तक पहुंचने से पहले कंप्यूटर की बुनियादी और मध्य स्तर से कौशल सिखा दिए जाए तो उनकी आगे की पढ़ाई और रोजगार की संभावनाएं काफी मजबूत हो सकती हैं। इसके लिए विद्यालयों में पर्याप्त कंप्यूटर लैब, प्रशिक्षित अध्यापक और नियमित प्रैक्टिकल क्लासेस की व्यवस्था होनी चाहिए। छात्रों को सिर्फ वर्ड और एक्सेल ही नहीं बल्कि बेसिक कोडिंग, इंटरनेट सेफ्टी, ई गवर्नेंस टूल्स और डेटा हैंडलिंग जैसे व्यवहारिक विषय भी सिखाए जाने चाहिए। इसके अलावा स्कूलों में ऐसी व्यवस्था भी होनी चाहिए कि हाई स्कूल पास करते ही छात्र किसी सरकारी या निजी नौकरी के लिए आवेदन कर सकें जहां कंप्यूटर दक्षता अनिवार्य हो। इससे ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को भी तकनीकी दुनिया से जोड़ने में मदद मिलेगी। जब छात्र हाई स्कूल या इंटरमीडिएट स्तर पर होते हैं तब उनका दिमाग नई तकनीक को सीखने के लिए सबसे अधिक तैयार होता है। यही कारण है कि विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि इसी उम्र में उन्हें सुदृढ़ और व्यापक कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जाए। आज के समय में केवल सैद्धांतिक ज्ञान पर्याप्त नहीं है। छात्रों को व्यवसायिक दुनिया की जरूरत के अनुरूप तैयार करना बेहद जरूरी हो गया है। सिर्फ सर्टिफिकेट देने का माध्यम बन कर रह गए हैं कई संस्थान कंप्यूटर और कौशल विकास प्रशिक्षण देने वाले संस्थानों की गुणवत्ता पर लगातार सवाल उठाते रहे है। छात्रों का कहना है कि अधिकांश संस्थान केवल कागजी औपचारिकता पूरी करते हैं। लैब में पुराने उपकरण, खराब इंटरनेट सेवा और प्रैक्टिकल सत्रों की कमी के चलते छात्र सही ढंग से प्रशिक्षित नहीं हो पाते। संस्थानों में ना तो उद्योग की मांग के अनुसार सिलेबस अपडेट किया जाता है और न हीं छात्रों को बाजार के रूप तैयार किया जाता है। कई संस्थान तो सिर्फ सर्टिफिकेट देने का माध्यम बन कर रह गए हैं। छात्रों का यह भी आरोप है कि इन संस्थानों में पढ़ाने वाले प्रशिक्षकों की योग्यता पर गंभीर सवाल है। कई प्रशिक्षक खुद भी सीमित जानकारी रखते हैं और केवल किताबों या पुराने नोट से पढ़ते हैं। नई तकनीक टूल्स, सॉफ्टवेयर, एआई आधारित शिक्षा से वे खुद अनजान होते हैं। इससे छात्रों को न व्यवहारिक ज्ञान मिल पाता है और न ही किसी चुनौती पूर्ण नौकरी के लिए सही तैयारी होती है। छात्रों व अभिभावकों की मांग है कि सरकार या जिम्मेदार एजेंसियां सभी प्रशिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता की समय-समय पर सख्त जांच करें। प्रशिक्षकों की भी योग्यता व अनुभव का मूल्यांकन अनिवार्य बनाया जाए। केवल उन्हीं संस्थाओं को मान्यता दी जाए जो सभी मानकों पर खरे उतरे। प्रशिक्षकों के लिए समय-समय पर ट्रेनिंग भी अनिवार्य किया जाए। छात्रों और शिक्षाविदों की एक बड़ी शिकायत यह भी है कि कंप्यूटर शिक्षा का सिलेबस बेहद पुराना हो गया है। बाजार में जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, बिग डेटा और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी तकनीकों का बोलबाला है, वहीं हमारे अधिकांश संस्थानों में अभी वर्ड, एक्सेल और बेसिक प्रेजेंटेशन स्लाइड बनाना ही सिखाया जा रहा है। छात्रों का कहना है कि जब नौकरियों के लिए आवेदन करते हैं या निजी प्रोजेक्ट लेने की कोशिश करते हैं तो उन्हें यह महसूस होता है कि उनका ज्ञान बाजार की मांग के मुकाबले बेहद पीछे है। सुझाव सरकार प्रशिक्षण के साथ रोजगार गारंटी योजना शुरू करें जिससे छात्रों को नौकरी मिल सके। कंप्यूटर सिलेबस को हर साल नई तकनीक के अनुसार अद्यतन किया जाए। स्कूलो में दसवीं तक अनिवार्य रूप से कंप्यूटर शिक्षा दी जाए। प्रशिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता की नियमित जांच कर मानक सुनिश्चित किए जाए। थ्योरी के बजाय प्रैक्टिकल और प्रोजेक्ट आधारित लर्निंग की प्राथमिकता दी जाए, इससे विद्यार्थियों को सिखाने में सहूलियत होगी। शिकायतें प्रशिक्षण के बाद छात्रों को रोजगार दिलाने की कोई व्यवस्था नहीं होती, वह प्रमाण पत्र लेकर भटकने को मजबूर हो जाते हैं। अधिकतर संस्थानों में थ्योरी पढ़ाई जाती है, प्रैक्टिकल ट्रेनिंग बहुत कमजोर होती है। कंप्यूटर सिलेबस बहुत पुराना है जो आज के बाजार की मांग के अनुरूप नहीं है। प्रशिक्षकों की योग्यता पर सवाल हैं, कई शिक्षक खुद भी सीमित जानकारी रखते हैं। लैब में पुराने कंप्यूटर और खराब नेटवर्क के कारण बेहतर प्रशिक्षण नहीं मिल पाता। हमारी भी सुनिए निजी संस्थान में फीस अधिक है। सरकारी में सिर्फ सर्टिफिकेट मिल रहा है। पूरा जोर थ्योरी पर है। हर चीज थ्योरी के हिसाब से चलती है। प्रैक्टिकल में जो भी सिखाया जाता है, वह बेहद सीमित होता है। छोटू कुमार सरकार को कौशल विकास के साथ रोजगार पर भी फोकस करना चाहिए। रोजगार ही नहीं मिलेगा तो कंप्यूटर सीख कर क्या करेंगे। सरकार को कोर्स ऐसे डिजाइन करना चाहिए जिससे रोजगार मिल जाए। सोनू कुमार अगर स्कूल समय में ही हमें कंप्यूटर की बेसिक शिक्षा दी जाती तो आज हम कहीं बेहतर स्थिति में होते। बेसिक ज्ञान की इतनी कमी है कि कोर्स करते समय बार-बार रुकावट आती है। लालू कंप्यूटर कोर्स के दौरान सबसे बड़ी समस्या यह है कि संस्थान में करियर काउंसलिंग की कोई सुविधा नहीं है। हमें नहीं बताया जाता कि कोर्स पूरा करने के बाद क्या संभावनाएं हैं। किट्टू यहां जो भी छात्र-छात्र कंप्यूटर कोर्स कर रहे हैं, उनका एक ही मकसद है रोजगार। सरकार को स्किल डेवलपमेंट के साथ इस दिशा में भी सोचना चाहिए। रंजन गांव में इंटरनेट की बहुत खराब स्थिति है। वाई-फाई का कनेक्शन लेने के बाद भी कई हफ्तों इंटरनेट नहीं चलता। शिकायत करने पर जवाब मिलता है तकनीकी परेशानी है, जल्द सुधर जाएगा। सोनू राज अभी पढ़ाई करते समय लगता है कि हम जिस दुनिया में कदम रखने जा रहे हैं, वहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लाउड कंप्यूटिंग और डेटा साइंस जैसे विषय महत्वपूर्ण हैं। इसकी जानकारी नहीं मिलती है। शुरूआती स्तर पर ही वे लोग पिछड़ जाते हैं। नंदिनी मैं कंप्यूटर कोर्स के साथ-साथ आगे की पढ़ाई भी कर रहा हूं। कोर्स के दौरान देखा कि केवल परीक्षा पास करवाने के उद्देश्य से पढ़ाया जा रहा है ना कि कौशल विकास के लिए। इस तरह की पढ़ाई से थोड़ी बहुत जानकारी ही हो पाती है। कुमकुम मैं इस समय कंप्यूटर कोर्स कर रही हूं। जब से कोर्स शुरू हुआ है तब से अब तक सिर्फ बेसिक चीज ही सिखाई जा रही है। सिलेबस को वैकेंसी के अनुकूल बनाना चाहिए। बाजार की मांग के अनुरूप पढ़ाई नहीं हो पा रही है। शिल्पी यह समय कंप्यूटर का है। आने वाला वक्त भी इसी का होगा पर यह समझ में नहीं आता कि कंप्यूटर में क्या सीखें। जो भी सीखने को सोचते हैं, वह कुछ समय बाद ही बाजार की मांग से मेल नहीं खाता है। स्थानीय स्तर पर जानकारी का भी अभाव है। नेहा कंप्यूटर कोर्स करते समय सबसे बड़ी समस्या यह है कि ट्रेनर कई बार खुद भी सही तरीके से नहीं समझते। जब हम सवाल पूछते हैं तो जवाब गोल मोल दे देते हैं। हमें खुद यूट्यूब पर जाकर सीखना पड़ता है। हालांकि इसके लिए भी पर्याप्त समय नहीं मिलता है। स्नेहा जब कोर्स शुरू किया था तो उम्मीद थी कि कई एडवांस टूल्स दिखाए जाएंगे लेकिन सिर्फ बेसिक चीज पर फोकस किया गया। क्लास प्रोजेक्ट या असाइनमेंट भी नहीं मिलते जिससे खुद सीख सकें। गुड़िया मैंने कंप्यूटर कोर्स यह सोच कर ज्वाइन किया था कि पढ़ाई के साथ भविष्य में कोई पार्ट टाइम काम भी कर सकूं लेकिन कोर्स की गुणवत्ता देखकर निराशा हुई। भविष्य में इसका बहुत लाभ नहीं मिल सकेगा। कंचन अधिकतर कंप्यूटर इंस्टिट्यूट में अच्छे भाई योग्य प्रशिक्षक नहीं मिलते। कम सैलरी में हम ज्यादा उम्मीद भी नहीं कर सकते। अच्छे प्रशिक्षक निजी संस्थानों में चले जाते हैं। स्थानीय स्तर पर इसकी घोर कमी है। शिकायत करने पर कोई पहल नहीं होती है। नेहा अभी कंप्यूटर कोर्स कर रहा हूं। जब भी क्लास में कुछ नया जानने की कोशिश करता हूं तो कई बार लगता है कि शिक्षक खुद ही सीमित जानकारी रखते हैं। कुछ सवालों के जवाब ठीक से नहीं मिलते। हमें धीरे-धीरे यह एहसास हो गया कि हमें खुद अतिरिक्त प्रयास करना पड़ेगा। रेशमा मैंने कंप्यूटर कोर्स इसलिए चुना था ताकि पढ़ाई के साथ रोजगार के अवसर बड़े लेकिन कोर्स के बीच में ही समझ में आ गया कि सिलेबस बहुत पुराना है। आज के बाजार में जो तकनीक के चल रही है, जैसे डिजिटल मार्केटिंग, ग्राफिक डिजाइनिंग या एआई से संबंधित टूल्स, उनका कोई जिक्र नहीं है। अंजलि सरकार का पूरा ध्यान स्किल डेवलपमेंट पर है लेकिन जब हम कंप्यूटर सीख कर बाजार में जाते हैं तो वहां सिर्फ डाटा एंट्री ऑपरेटर की वैकेंसी मिलती है। तनख्वाह भी काफी कम होती है। ग्रोथ सीमित है। सैलरी एक जगह जाकर ठहर जाती है। स्नेहा मैं अभी कंप्यूटर कोर्स कर रही हूं। शुरुआत में काफी उत्साहित थी। जैसे-जैसे दिन गुजर रहा है, कंप्यूटर लैब में समय बहुत सीमित होता जा रहा है। ज्यादा जोर थ्योरी पर है। परीक्षा में अच्छे अंक आए, सभी यही चाहते हैं। नई चीजों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती। उसरा शुरुआत में लगता था कि अब सब ठीक हो जाएगा। कोर्स किया और नौकरी लग जाएगी। सैलरी भी अच्छी होगी। वर्ड और एक्सेल जैसे सामान्य सॉफ्टवेयर सिखाए जा रहे हैं। उसमें भी सीमित जानकारी दी जाती है। एडवांस टूल्स, डाटा मैनेजमेंट, प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के बारे में कुछ नहीं बताया जा रहा है। रूपा कोर्स के दौरान हमें बार-बार यह बताया करता है की सर्टिफिकेट जरूरी है। सर्टिफिकेट से ज्यादा जरूरी हुनर है। बिना स्किल के सर्टिफिकेट का कोई मतलब नही है। पिंकी

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।