Bus Owners Accuse Transport Officials of Exploitation and Illegal Collection अवैध वसूली पर लगे रोक, बस स्टैंड में शाैचालय व अन्य सुविधाओं की दरकार, Bagaha Hindi News - Hindustan
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अवैध वसूली पर लगे रोक, बस स्टैंड में शाैचालय व अन्य सुविधाओं की दरकार

बस मालिकों ने परिवहन विभाग के अधिकारियों पर शोषण और अवैध वसूली का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि जुर्माना 10 गुना अधिक वसूला जा रहा है और टैक्स के कारण वे घाटे में चल रहे हैं। बसों की संख्या कम हो रही...

Newswrap हिन्दुस्तान, बगहाSat, 7 June 2025 10:41 PM
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अवैध वसूली पर लगे रोक, बस स्टैंड में शाैचालय व अन्य सुविधाओं की दरकार

बस मालिक परिवहन विभाग के अधिकारियों पर शोषण का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि जुर्माना के नाम पर निर्धारित राशि से 10 गुना अधिक वसूली की जा रही है। बस स्टैंड में गाड़ी खड़ी होने के बावजूद जिला परिवहन पदाधिकारी, मोटरयान निरीक्षक, मोबाइल यातायात आदि जबरन जुर्माने की रसीद काट दे रहे हैंं। टैक्स और रंगदारी के कारण बस मालिक घाटे में चल रहे हैं। 10 साल पहले जिन बस मालिकों के पास एक दर्जन गाड़ियां थीं, आज उनके पास बसों की संख्या दो से तीन रह गई हैं। बस मालिकों की शिकायत है कि यही रवैया रहा तो दो साल के बाद हम लोग बस चलाना बंद कर देंगे।

पश्चिम चंपारण बस ऑनर्स एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष रूपेश कुमार सिंह, उपाध्यक्ष चंद्रभूषण सिंह, कोषाध्यक्ष चिरंजीवी सिंह, सचिव दिलीप कुमार शर्मा उर्फ जटाशंकर शर्मा ने बताया कि बस मालिकों से परिवहन विभाग के अधिकारियों और बस स्टैंड के ठेकेदारों द्वारा अवैध वसूली की जाती है। खड़ी गाड़ियों का भी चालान काटा जा रहा है। पहले से ही प्राइवेट बस मालिकों की स्थिति खस्ताहाल है। टैक्स के बोझ और रंगदारी के कारण समय से बैंकों का ईएमआई जमा करने में मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। इंश्योरेंस, फिटनेस, प्रदूषण आदि के नाम पर प्रताड़ित किया जा रहा है। बस के कागजात लेकर परिवहन विभाग में जाने पर अधिकारी सुनते नहीं हैं। मनमाने ढंग से जुर्माना लगाते हैं। हमारी आवाज सुनने वाला कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि एक बस खरीदने में कम से कम 40 लाख रुपए खर्च आता है। उससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 10 परिवारों का जीविकोपार्जन होता है। हम बेरोजगारों को रोजगार दे रहे हैं। उद्योग धंधों के लिए सरकार कई प्रकार की रियायतें दे रही हैं, लेकिन बस मालिकों का शोषण किया जा रहा है। बस स्टैंड में सुविधा का घोर अभाव है। ई-रिक्शा और सीएनजी ऑटो के बस स्टैंड में एंट्री से गाड़ी खड़ी करने की भी जगह बस स्टैंड में नहीं मिलती है। बस स्टैंड में ई-रिक्शा और सीएनजी ऑटो के प्रवेश पर रोक लगनी चाहिए। बस स्टैंड में शौचालय की व्यवस्था सही नहीं है। यूरिनल तक नहीं है। बस स्टाफ के रहने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। लेकिन नगर निगम टैक्स वसूली कर रहा है। टैक्स की वसूली जीएसटी के साथ की जा रही है। पूरे बिहार में सबसे ज्यादा टैक्स पश्चिम चंपारण के बस स्टैंडों में लगता है। सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। पश्चिम चंपारण जिले में एक बस से प्रतिदिन 1200 रुपये अवैध ढंग से रंगदारी के रूप में वसूल की जाती है। पुलिस प्रशासन से हमें जितना सहयोग मिलना चाहिए। उतना सहयोग नहीं मिलता है। आए दिन किराया के लिए बस स्टाफ से मारपीट की घटनाएं घटती रहती है। जिस सड़क पर बस का परमिट परिवहन विभाग द्वारा जारी किया गया है। उस रूट पर ई-रिक्शा, सीएनजी ऑटो के परिचालन पर रोक लगनी चाहिए। इससे बस मालिकों को काफी घाटा हो रहा है। सवारी नहीं मिलने के कारण खर्च नहीं निकल पा रहा है। 

प्रस्तुति: श्रीकांत तिवारी/शत्रुध्न शर्मा 

बस संचालकों से प्रतिदिन होती है दो हजार रुपये की अवैध वसूली

 बस मालिकों का आरोप है कि उन्हें प्रतिदिन दो हजार रुपये प्रति बस रंगदारी और नगर निकाय को टैक्स देनी पड़ती है। प्राइवेट बस मलिक पहले से ही घाटे में चल रहे हैं। सरकार को टैक्स में छूट देनी चाहिए। हाईवे पर 80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से गाड़ियों के परिचालन पर जुर्माना नहीं लगना चाहिए। 60 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक की रफ्तार से बसों के परिचालन पर जुर्माना देना पड़ रहा है। प्रतिमाह परिवहन विभाग के अधिकारियों, पुलिस प्रशासन और बस मालिकों के साथ बैठक होनी चाहिए। जिला अध्यक्ष रूपेश कुमार सिंह ने बताया कि इससे हमारी समस्याओं का निष्पादन हो सकेगा। 

राज्य में सबसे अधिक वसूली पश्चिम चंपारण जिले में

 बस मालिकों का कहना है कि जीएसटी के नाम पर अवैध वसूली ठेकेदार द्वारा की जा रही है। पूरे बिहार में सबसे ज्यादा पश्चिम चंपारण के बस स्टैंडों में नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायत द्वारा टैक्स की वसूली की जाती है। जबकि सरकार का आदेश है कि 40 किलोमीटर के अंदर एक ही जगह बस मालिकों को नगर निकायों के द्वारा लगने वाले टैक्स की भरपाई करनी है, लेकिन पश्चिमी चंपारण जिले में सरकार के आदेश का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। बेतिया बस स्टैंड से चनपटिया की दूरी 18 किलोमीटर है। बेतिया से नरकटियागंज की दूरी 40 किलोमीटर है। इस रूट पर बेतिया बस स्टैंड में 150 रुपए, चनपटिया में 40 रुपए और नरकटियागंज में 60 रुपए टैक्स की भरपाई करनी पड़ती है। वही हाल बेतिया लौरिया वाया रामनगर रोड का है। इस रूट पर भी एक जगह की बजाय तीन जगहों पर बस मालिकों को टैक्स देना पड़ता है। बेतिया से लौरिया की दूरी 26 किलोमीटर है। इस रूट में बेतिया में 150 रुपए, लौरिया मेंं भी टैक्स बस मालिकों को देनी पड़ती है। जबकि बगहा में 125 रुपए प्रति बस नगर परिषद द्वारा वसूल की जाती है। यह सरकार से गाइडलाइन के अनुसार गलत है। लेकिन सैरात के ठेकेदारों द्वारा जबरन टैक्स की वसूली की जा रही है। शिकायत करने पर अधिकारी बस मालिकों की बात नहीं सुनते हैं। अगर यही हाल रहा तो 2 वर्ष के बाद हम सभी बस चलाना बंद कर देंगे। 

बेतिया बस स्टेशन का आधुनिक निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए मैंने और नगर आयुक्त ने निरीक्षण भी किया है। अंतरराज्यीय सुविधाओं से लैस बेतिया बस स्टेशन का निर्माण किया जाएगा। ताकि यात्रियों को सुविधा हो। जहां गंदगी नहीं रहेगी। अन्य सभी तरह की सुविधा की व्यवस्था रहेगी। बस के यात्रियों और ड्राइवर को कोई परेशानी नहीं होगी।

 -गरिमा देवी सिकरिया, मेयर नगर निगम 

सुझाव

 1. एक बस से 10 परिवारों का जीविकोपार्जन होता है। हमें भी उद्योग धंधों की तरह रियायत मिलनी चाहिए। 

2. बस स्टैंड में शौचालय, यूरिनल, स्नानागार, विश्राम कक्ष का अभाव है। निगम की ओर से इसकी व्यवस्था होनी चाहिए।

 3. बस स्टैंड में ई रिक्शा और सीएनजी ऑटो के प्रवेश पर रोक लगनी चाहिए। ताकि यात्रियों की कमी को पूरा किया जा सके। 

4. जिस रूट पर बसों के परिचालन के लिए परमिट जारी किया है। उसपर ई रिक्शा और ऑटो के परिचालन पर रोक लगे।

 5. नगर निकायों की ओर से की जाने वाली वसूल को बंद किया जाना चाहिए। नियम के तहत टैक्स वसूल किया जाना चाहिए। 

शिकायतें

 1. जुर्माना के नाम पर सरकार द्वारा निर्धारित राशि से 10 गुना ज्यादा फाइन किया जा रहा है। 

2. टैक्स और रंगदारी के कारण बस मालिक घाटे में चल रहे हैं। मालिकों के पास बस की संख्या दो से तीन रह गई है। 

3. बस मालिकों से परिवहन विभाग के अधिकारियों और बस स्टैंड के ठेकेदारों द्वारा अवैध वसूली की जाती है।

 4. टैक्स और रंगदारी से समय से बैंकों का ईएमआई जमा करने में बस मालिकों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। 

5. बस के कागजात लेकर परिवहन विभाग में जाने पर अधिकारी सुनते नहीं है। मनमाने ढंग से जुर्माना लगाते हैं।

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