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शौचालय न पीने का पानी, 27 वर्षों से नहीं बढ़ा कातिबों का मानदेय

दस्तावेज नवीसों को सरकार की बदलती नीतियों और कम पारिश्रमिक से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें बेहतर कार्यस्थल, डिजिटल सिग्नेचर, और सरकारी सुविधाओं की आवश्यकता है। रजिस्ट्री प्रक्रिया में...

Newswrap हिन्दुस्तान, बगहाTue, 29 April 2025 10:04 PM
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शौचालय न पीने का पानी, 27 वर्षों से नहीं बढ़ा कातिबों का मानदेय

जमीन रजिस्ट्री, बंटवारे समेत इससे संबंधित सभी कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले दस्तावेज नवीस को कई समस्याओं से गुजरना पड़ रहा है। जमीन के क्रेता और विक्रेता के बीच की कड़ी बनने वाले दस्तावेज नवीस (कातिब)अपने अधिकारों में कटौती से दुखी हैं। जबकि राजस्व वृद्धि में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। दस्तावेज नवीस रवि भूषण तिवारी, संजय कुमार ने बताया कि सरकार की रोज-रोज बदल रही नीतियों से हमें परेशानी उठानी पड़ रही है। एक ओर जहां हमारी कमाई कम हो गई है। वहीं हमें काम करने के लिए सही जगह उपलब्ध नहीं है। सरकारी मापदंड के तहत दस्तावेज नवीस काे भी डिजिटल सिग्नेचर देकर पेपर प्रक्रिया में स्थान दिया जाए। ताकि दस्तावेज नवीस की समस्याओं का समाधान हो सके। 1998 में दस्तावेज नवीस को प्रशिक्षु का लाइसेंस मिला था। तभी से हम सभी दस्तावेज नवीस लाइसेंस लेकर आज तक इसी आधार पर डीड लिखने का काम कर रहे थे। पारिश्रमिक दो दशक पहले तय हुई थी। वही आज भी मिल रहा है। महंगाई बेतहाशा बढ़ गई है। कंप्यूटर, कॉपी पेन, पेपर, मजदूरी में चार गुनी की वृद्धि हो गई। लेकिन हमारे पारिश्रमिक में वृद्धि नहीं हो सकी है। इससे हम अपने परिवार का बेहतर ढंग से भरण-पोषण नहीं कर पा रहे हैं। पैसे के अभाव में अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं। 2 जून की रोटी के लिए हमें कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। नवसृजित अवर निबंधन कार्यालय को भूमि उपलब्ध करायी जाए। ताकि दस्तावेज नवीस के साथ-साथ जमीन के क्रेता और विक्रेता को बेहतर सुविधा मिल सके। इसके लिए दस्तावेज नवीस संघ ने विभाग के सचिव से मिलकर मांग भी रखी है। लेकिन इसका सार्थक हल अभी तक नहीं निकल पाया है। कंप्यूटराइज्ड निबंधन प्रक्रिया में लाइसेंसधारी कातिबों को नहीं रखा गया है। यह हमारी बड़ी समस्या है। हमें भी सिटीजन आईडी देकर ई निबंधन प्रक्रिया में सहभागिता मिले। ताकि हम बेहतर ढंग से पारिश्रमिक हासिल कर सके। सरकारी सुविधा का लाभ भी हमें नहीं मिलता है। सरकार हमारे लिए मानदेय के साथ-साथ पेंशन की व्यवस्था करें। पूरी जवानी लोगों की सेवा में हम समय बिता देते हैं। बुढ़ापे में हमें कोई सहारा नहीं मिलता। ऐसे में सरकार को हमें लाभान्वित करने की योजना पर काम करना चाहिए। सुरक्षा की गारंटी हमें मिलनी चाहिए। सरकारी बसों में हमें रियायत मिलनी चाहिए। योग्यता और अनुभव के आधार पर हमें निबंधन विभाग में समायोजित करने की व्यवस्था होनी चाहिए। हमें भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। सरकार की रोज बदलती नीतियों से आज हम बेरोजगारी के कगार पर पहुंच गए हैं। अधिकांश कातिबों को बैठने तक के लिए जगह उपलब्ध नहीं है। इसके लिए जिला प्रशासन को पहल करनी चाहिए। जमीन के बारे में जितनी जानकारी है, शायद ही किसी कर्मचारी को हो। बावजूद हमलोगों का इस्तेमाल सरकार नहीं करती है। जमीन का सर्वे हो या मापी हमलोग बेहतर तरीके से कर सकते हैं। सरकार हमें कर्मी के रूप में समायोजित करे। इससे लोगों का काम आसान होने के साथ-साथ विवादित मामलों में भी कमी आएगी।

प्रस्तुति: श्रीकांत तिवारी/ शत्रुघ्न शर्मा

झोपड़ी में करते हैं काम, बारिश में जलजमाव की झेलते हैं परेशानी

दस्तावेज नवीस को भवन उपलब्ध नहीं है। सुविधाओं की घोर कमी है। शौचालय की कमी से हमें प्रतिदिन जूझना पड़ता है। खासकर महिलाओं को काफी परेशानी होती है। सरकारी कैंटीन नहीं होने के कारण भी हमें परेशानी होती है। झोपड़ी और करकटनुमा मकान में हमें रहकर कार्य करना पड़ता है। अत्यधिक गर्मी, अत्यधिक बारिश और अत्यधिक ठंडी में हमें काफी परेशानी होती है। बरसात के दिनों में झोपड़ी और करकटनुमा मकान से पानी टपकता है। इससे हमारा कार्य प्रभावित होता है। बैठने के लिए सही जगह नहीं है। कार्यालय की कमी है। बरसात के दिनों में जलजमाव हो जाता है। जगह कम होने के कारण अत्यधिक भीड़ होती है। जगह की कमी के कारण भी हमें काफी परेशानी होती है। सरकार को दस्तावेज नवीस के लिए भवन की व्यवस्था करनी चाहिए।

जमीन की रजिस्ट्री के साथ-साथ दाखिल-खारिज की हो व्यवस्था

दस्तावेज नवीस राजस्ववृद्धि में अहम भूमिका निभाते हैं। इसके बावजूद सरकार के स्तर से इन्हें कोई सुविधा नहीं मिलती है। दस्तावेज नवीस संजय कुमार, रवि भूषण तिवारी ने कहा कि रजिस्ट्री में प्रयोग होने वाले राइटप के सभी सामान पर अनुदान मिलना चाहिए। पारिश्रमिक में वृद्धि नहीं होने से महंगे सामानों को खरीदने में इस महंगाई के दौर में हमें काफी परेशानी हो रही है। हमें भी असंगठित क्षेत्र के लोगों की तरह सरकारी सुविधा मिलनी चाहिए।

शिक्षा के अधिकार कानून के तहत हमारे बच्चों का प्राइवेट स्कूलों में नामांकन होना चाहिए। क्योंकि हम सरकार के एक अंग हैं। हमें बीमा का लाभ मिलना चाहिए। व्यवसाय बढ़ाने के लिए हमें बैंकों से लोन मिलना चाहिए। हमारे लिए सरकारी कैंटीन होनी चाहिए। गाड़ियों की पार्किंग के लिए रियायत मिलनी चाहिए। दस्तावेज नवीस के साथ जमीन के क्रेता, विक्रेता, पहचान करता और गवाहों को भी सुविधा मिलनी चाहिए। सुरक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए। सभी निबंधित दस्तावेज नवीस को अपना कार्यालय होना चाहिए। इसकी व्यवस्था जिला प्रशासन और सरकार को करनी चाहिए। ताकि हम बेहतर ढंग से कार्य कर सके। सभी कागजातों का डिजिटलाइजेशन होना चाहिए। फिलहाल 20 फ़ीसदी ही डिजिटलाइजेशन हो सका है। जबकि दूसरे प्रदेशों में 80 फ़ीसदी डिजिटलाइजेशन हो गया है। इससे रैयतों की परेशानी कम होगी। जमीन रजिस्ट्री होते ही दाखिल खारिज की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए। ताकि जमीन विवाद के मामलों में कमी हो सके।

निबंधन कराने के लिए आने वाले लोगो की सुविधाओं का ख़ास ख्याल रखा जाता हैं। साथ ही दस्तावेज नवीसों को बैठने के लिए जगह पहले से निर्धारित हैं। अवर निबंधन कार्यालय के लिए भी जगह पर्याप्त है। नया अत्याधुनिक भवन अभी निर्माणाधीन हैं। साथ ही पुराने वाले का भी रंग रोगन कर दुरुस्त किया जा रहा हैं। किसी को परेशानी नहीं होगी।

गिरीश चंद्र, अवर निबंधक पदाधिकारी, बेतिया

सुझाव

1. दस्तावेज नवीस काे भी डिजिटल सिग्नेचर देकर पेपर प्रक्रिया में स्थान दिया जाए। दस्तावेज नवीस की समस्या खत्म हो।

2. 1998 में हमें प्रशिक्षु का लाइसेंस मिला। उस समय जो पारिश्रमिक तय था वही मिल रहा है। इसमें वृद्धि की जाए।

3. नवसृजित अवर निबंधन कार्यालय को भूमि उपलब्ध कराया जाए। ताकि दस्तावेज नवीस व क्रेता-विक्रेता को सुविधा हो।

4. कंप्यूटराइज्ड निबंधन प्रक्रिया में अनुज्ञप्तिधारी कातिबों को रखा जाय। ताकि हमें भी काम का अवसर मिल सके।

5. हमें भी सिटीजन आईडी देकर ई निबंधन प्रक्रिया में सहभागिता मिलना चाहिए। इससे हमारी कमाई बढ़ेगी।

शिकायतें

1. दो दशकों से पारिश्रमिक में वृद्धि नहीं हुई है। जबकि कंप्यूटर, पेन, कॉपी, पेपर, और मजदूरी में चार गुनी की वृद्धि हो गई है।

2. हमें झोपड़ी और करकटनुमा मकान में रहकर कार्य करना पड़ता है। गर्मी-बारिश में परेशानी होती है।

3. शौचालय का अभाव है। शुद्ध पेयजल की कमी है। इससे हमारी परेशानी बढ़ गई है।

4. हमारी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। आए दिन झगड़े होते रहते हैं। पुलिस प्रशासन को सुरक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए।

5. रजिस्ट्री कैंपस में एटीएम की व्यवस्था होनी चाहिए। कंप्यूटराइज निबंधन प्रक्रिया में हमें शामिल नहीं किया गया है।

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