सरकारी क्वार्टर मिले और लागू हो पुरानी पेंशन योजना
बेतिया शहर के अस्पतालों में नर्सिंग स्टाफ को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। नर्सों को एक दिन में 20-25 मरीजों की देखभाल करनी पड़ रही है, जबकि मानक चार है। नर्सिंग स्टाफ की संख्या बढ़ाने की मांग...
जिले समेत बेतिया शहर के विभिन्न अस्पतालों में काम करने वाली सैकड़ों नर्स और नर्सिंग स्टाफ को हर दिन कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ता है। गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल समेत पीएचसी, सीएचसी, एपीएचसी व निजी अस्पतालों में मरीजों के परिजनों का कोपभाजन नर्सों व नर्सिंग स्टाफ को बनना पड़ता है। कई बार तू-तू मैं-मैं की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। अस्पताल मैनुअल के अनुसार एक नर्स को चार पेशेंट को अटेंड करना है, लेकिन गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज से लेकर निजी अस्पतालों में 20 व 25 रोगियों को एक दिन में अटेंड करने की मजबूरी है। जीएमसीएच की नर्सिंग इंचार्ज सिस्टर प्रिया ने बताया कि अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए ताकि नर्सों व स्टाफों पर अधिक वर्क लोड नहीं हो। प्रबंधन की ओर से कई बार नर्सिंग स्टाफ को बढ़ाने के लिए संबंधित वरीय अधिकारियों के साथ पत्राचार भी किया जा चुका है। कई बार परिजन मरीज की देखभाल में लापरवाही का आरोप लगाकर नर्सिंग स्टाफ से दुर्व्यवहार करते हैं। कई बार तो वे लोग हंगामा भी करने लगते हैं।
फैमिली फ्लैट उपलब्ध हो : गंभीर मरीजों और फैलने वाली बीमारियों के बीच रहने के कारण कई बार नर्स और नर्सिंग स्टफ भी बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। डॉक्टर के साथ इन्हें अधिक सक्रिय रहकर रोगियों की सेवा करनी पड़ती है। वहीं कई बार ओपीडी रोगियों की भी इमरजेंसी में प्लास्टर करने या अन्य प्रकार के कार्य करने में इनको अपनी सेवा देनी पड़ती है। मरीजों की भीड़ बढ़ने पर इन पर काम का बोझ भी बढ़ जाता है। मेडिकल कॉलेज व अस्पताल परिसर में ही निवास के लिए इनके लिए फैमिली फ्लैट उपलब्ध नहीं है। इन्हें अपने परिजनों के साथ बाहर किराए के मकान में रहना पड़ता है। हालांकि किराये की राशि अस्पताल प्रबंधन की ओर से मिल जाती है, लेकिन कई बार बाहर ज्यादा किराया देना होता है जबकि किराये की राशि कम मिलती है।
नर्सिंग स्टाफ को मिले सम्मान : नर्सिंग स्टाफ अवंतिका ने बताया कि इस प्रोफेशन में आने से पहले इससे जुड़ी पढ़ाई के दौरान जितना कुछ बताया गया था उस अनुरूप अभी भी नर्सिंग स्टाफ को मान सम्मान नहीं मिलता। इससे मानसिक रूप से परेशानी होती है। इधर,नर्सिंग स्टाफ जितेंद्र ने बताया कि हम लोगों को रोगियों की सेवा करने में दिन रात कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। रिटायर होने पर हमें कोई पूछने वाला नहीं होता है। सरकार को पुरानी पेंशन स्कीम लागू करना चाहिए, ताकि बुढ़ापे में आर्थिक रूप से किसी पर भी निर्भर नहीं रहना पड़े। इस मामले में कई बार भी ज्ञापन दिया गया है। इस दिशा में सरकार की ओर से कारगर कदम उठाया जाना चाहिए।
नर्सिंग स्टाफ को मिलती है कम सुविधा : प्रिया ने बताया कि अस्पताल में बीमारियों के लिए अलग-अलग नए विभाग व वार्ड खोले जा रहे हैं, लेकिन उस अनुपात में नर्सिंग स्टाफ को सुविधा नहीं मिल रही है। गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए जिस रफ्तार से वार्ड की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, उसी अनुपात में यहां पर नर्सिंग स्टाफ की संख्या में भी बढ़ोतरी होनी चाहिए। ऐसा करने से अस्पताल में भर्ती किए गए रोगियों की बेहतर देखभाल हो पाएगी। इससे नर्सिंग स्टाफ भी स्वस्थ मानसिकता के साथ अपना काम कर पाएंगे। ऐसी व्यवस्था बनाने के लिए सरकार को नीति बननी चाहिए। ताकि स्वस्थ माहौल में काम हो सके।
पुरानी पेंशन योजना लागू हो : नर्सिंग स्टॉफ जितेन्द्र व अन्य ने अपनी समस्या साझा करते हुए यह बताया कि पुराना पेंशन स्कीम से हम सभी को लाभ था। अगर सरकार द्वारा नर्सिंग स्टाफ के हितों को ध्यान में रखते हुए इस दिशा में कोई ठोस योजना बनानी चाहिए। अथवा बेहतर विकल्प समाधान के रूप में सरकार की ओर से प्रस्तुत किया जाए तो इससे हम सभी का मनोबल बढ़ेगा। निजी अस्पतालों समेत सरकारी में भी नर्सों के लिए सुरक्षा किट समय-समय पर उपलब्ध नहीं कराये जाते हैं। कई बार तो सामग्रियों की कमी हो जाती है। जल्द इसे मुहैया नहीं कराने पर मरीजों को परेशानी होती है। इसके लिए परिजनों के आक्रोश का शिकार नर्सों को होना पड़ता है। इसमें पुलिस भी कई बार मामले को शांत कराने पहुंचती है। लेकिन दोनों पक्षों को समझाकर शांत करा दिया जाताहै। हमलोग चाहकर भी इसमें कुछ नहीं कर पाते हैं। वार्डों में मरीज के परिजन अधिक संख्या में घुस जाते हैं। इससे हमलोगों को काम करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मरीजों के परिजनों के लिए अस्पताल में अलग ठहरने की व्यवस्था होनी चाहिए।
प्रस्तुति-मनोज कुमार राव
नर्सिंग स्टाफ बढ़ाने के लिए हो रहा पत्राचार
जीएमसीएच की सुपरिटेंडेंट सुधा भारती ने कहा कि जीएमसीएच में प्रतिदिन इलाज के लिए रोगियों की संख्या बढ़ रही है। प्रत्येक महीने यहां इलाज कराने के लिए बड़ी संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं। कई तरह की सुविधाएं बढ़ी हैं। इसके मद्देनजर नर्सिंग स्टाफ की संख्या को बढ़ाने के लिए कई बार विभाग के वरीय अधिकारियों के साथ पत्राचार भी किया गया है। इस दिशा में जरुरी निर्देश मिलने पर उसी अनुरुप कार्य किया जाएगा। नर्सों की समस्या को जल्द दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। वरीय अधिकारियों का निर्देश मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
सूचना दें, तुरंत पुलिस पहुंचकर कार्रवाई करेगी
एसडीपीओ विवेक दीप ने बताया कि जीएमसीएच में जब भी मारपीट अथवा झड़प की सूचना मिलती है तो फौरन पुलिस बल भेजा जाता है। आवश्यकता पड़ने पर अविलंब पुलिस बल को सूचित करें। अस्पताल के पुलिस चौकी के प्रभारी व पुलिस बल हमेशा चौकसी बनाए रखते हैं। अस्पतालों में किसी भी तरह की घटना घटती है तो इसकी सूचना थाना प्रभारी समेत वरीय अधिकारियों को दें। पुलिस तत्काल घटनास्थल पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित करेगी। दोषियों पर कार्रवाई भी की जाएगी। काननू तोड़ने वाले जेल भेजे जाएंगे।
सुझाव
1. नर्सिंग स्टाफ के लिए सरकारी क्वार्टर की सुविधा मिलनी चाहिए। इससे इन्हें किराये के मकान में रहना पड़ता है। अधिक राशि खर्च करनी पड़ती है।
2. पुरानी पेंशन स्कीम को लागू दिया जाए। इससे रिटायर होने पर भी उन्हें आर्थिक रूप से किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
3. नर्सिंग प्रोफेशन की पढ़ाई के दौरान जितना कुछ बताया जाता है, उस अनुरूप मान-सम्मान नहीं मिलता है।
4. इलाज के लिए रोगियों की आवक में भी बहुत तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन रोगियों को बेहतर सेवा देने के लिए नर्सिंग स्टाफ की संख्या नहीं बढ़ रही है।
5. कई बार अस्पताल में रोगियों व उसके परिजनों से उलझने स्थिति बन जाती है। नर्सिंग स्टाफ की विशेष सुरक्षा के लिए मानव बल की सक्रियता बढ़े।
शिकायतें
1. ओपीडी के रोगियों की भी इमरजेंसी में प्लास्टर करने में नर्सिग स्टाफ को सेवाएं देनी पड़ती है। अधिक वर्क प्रेशर से काम की गुणवत्ता पर काफी प्रभाव पड़ता है।
2. स्टाफ की कमी के कारण रोगियों को अटेंड करने में इनको कई बार कठिन दौर से भी गुजरना पड़ता है। कई बार तू-तू मैं-मैं की स्थिति बन जाती है।
3. अस्पताल के पास ही नर्सिंग स्टाफ के निवासन के लिए फैमिली फ्लैट उपलब्ध कराया जाय। इससे समय और पैसा दोनों बचेगा।
4. मरीज व उनके परिजनों के चलते मानसिक पीड़ा उठानी पड़ती है। पढ़ाई के दौरान बताया गया है, उस तरह से सम्मान नहीं मिलता है।
5. नर्सिंग स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए संबंधित वरीय अधिकारियों के साथ पत्राचार भी किया जा चुका है। कार्रवाई नहीं हो रही है।
लेकिन इस दिशा में कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है। सरकार इसकी चिंता करे तो बेहतर होगा।
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