Shravani Mela Farmers Anticipate Profits Amid Preparations for Pilgrimage एक महीने की कमाई से कई किसानों के परिवार की चलती है आजीविका, Banka Hindi News - Hindustan
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एक महीने की कमाई से कई किसानों के परिवार की चलती है आजीविका

विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले के आगाज में 28 दिन शेष विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले के आगाज में 28 दिन शेष मेले में दुगनी- तिगुनी कमाई की उम्मीद से किसानो

Newswrap हिन्दुस्तान, बांकाFri, 13 June 2025 04:27 AM
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एक महीने की कमाई से कई किसानों के परिवार की चलती है आजीविका

कटोरिया (बांका) निज प्रतिनिधि। विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला को शुरू होने में महज 28 दिन शेष है। मेले में कांवरियों को कोई तरह की असुविधा ना हो इसके लिए जहां एक तरफ जिला प्रशासन की तैयारी चल रही है। वहीं दूसरी ओर इस मेले में अपनी फसल को बेचकर पैसा अर्जित करने वाले किसानों में खुशी का माहौल है। श्रावणी मेले की यह वार्षिक यात्रा जहां करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, वहीं स्थानीय किसानों और छोटे व्यापारियों के लिए यह रोज़गार और आत्मनिर्भरता की संजीवनी भी है। किसान अपनी फसल को दुगनी- तिगुनी दामों में मेले में बेचने की आस लगाए हुए हैं।

इसको लेकर खेतों में किसानों को कड़ी धूप एवं बारिश में फसल को तैयार करने के लिए परिवार के साथ मेहनत करते हुए देखा जा सकता है। उनकी मेहनत के बदले श्रावणी मेला उनके लिए सालभर की रोजी रोटी का इंतजाम कर देता है। किसान अपने फसलों को एक महीने में बेचकर उससे होने वाले मुनाफे से अपनी साल भर की आजीविका चलाते हैं। यही कारण है कि इस एक महीने की अवधि को किसान ‘सोने जैसा सीजन मानते हैं। मेले के दौरान ईख, मकई, खीरा, ककड़ी, तरभूज सहित साग- सब्जियों की खूब बिक्री होती है। इनके दामों में भी काफी वृद्धि होती है। मकई के किसान विक्रम प्रताप सिंह, किशन पंजियारा, सूरज पंजियारा, कैलाश यादव आदि का कहना है कि सावन शुरू होते ही खेतों में ही उनकी मकई की फसल व्यापारियों के हाथों बिक जाती है। जबकि सावन में हर दिन सब्जियों का सही दाम मिल जाता है। वहीं ईख के किसान राजेश यादव, गुड्डू यादव, ओंकार यादव आदि का कहना है कि वे सावन और भादो महीने में कांवरिया पथ में गन्ने का रस बेचकर साल भर अपना घर परिवार चलाते हैं। पेय पदार्थों में गन्ने का रस होता है पहला पसंद क्षेत्र में कई जगहों पर वृहद पैमाने पर ईख यानि गन्ने की खेती की गई है। कांवरिया पथ में श्रावणी मेले में गन्ने की रस की बेहद बिक्री होती है। पेय पदार्थों में कांवरियों की पहली पसंद गन्ने का रस ही होता है। एक ग्लास गन्ने की कीमत बीस से तीस रुपए होती है। दिन में भी अगर सौ ग्लास की भी बिक्री अगर हो जाए तो किसान या व्यापारी डेढ़ से दो हजार रूपए की कमाई आराम से कर लेते हैं। रिमझिम बारिश के बीच लुभाता है मकई का भुट्टा कटोरिया एवं चांदन के क्षेत्र के ज्यादातर किसान सावन में बिक्री के लिए मकई के फसल की बुआई करते हैं। भुट्टे और बारिश का एक अलग ही रिश्ता है। जैसे ही बारिश आती है, भुट्टा अपनी महक से लोगों को खाने के लिए ललचा देता है। ऐसे में सावन के महीने में रिमझिम फुहारों के बीच कांवरिया पथ में भी फलहारी के अलावा अन्य कांवरिया इसका स्वाद चखने से नहीं चूकते हैं।

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