बनारस व बक्सर की गंगा में डुबकी लगा की पूजा-अर्चना
कैमूर के महिला-पुरुष श्रद्धालुओं ने गंगा दशहरा पर बनारस, चंदौली और बक्सर के घाटों पर स्नान किया। पानी की कमी के कारण श्रद्धालुओं ने गंगाजल का उपयोग किया। बस और ट्रेन से यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं ने...

बस व ट्रेनों से गंगा स्नान करने गए कैमूर के काफी महिला-पुरुष श्रद्धालु सरोवरों में पानी कम रहने से पानी भरी बाल्टी में गंगाजल डाल किए स्नान (पेज चार की फ्लायर खबर) भभुआ, कार्यालय संवाददाता। कैमूर के श्रद्धालु गंगा दशहरा पर गुरुवार को बनारस, चंदौली व बक्सर के विभिन्न घाटों पर गंगा स्नान किए। उनके द्वारा गंगा स्नान करने जाने की तैयारी पहले ही कर ली गई थी। कुछ श्रद्धालु पूजा-अर्चना व दान-पुण्य की सामग्री यहीं से लेकर गए थे और कुछ लोग वहां जाने के बाद खरीदारी किए। कैमूर से काफी संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालु बस व ट्रेन से शिव की नगरी बनारस के अलावा चंदौली व बक्सर गए हैं।
भभुआ में मुंडेश्वरी सिनेमा हॉल, अखलासपुर बस स्टैंड, रूद्रवार कला, भगवानपुर, रामपुर, चांद व चैनपुर के विभिन्न इलाकों से गुरुवार की सुबह चार बजे से ही बनारस की बसें खुलने लगी थीं। कुछ लोग ट्रेन से भी बनारस व चंदौली गए। बक्सर जानेवाले लोग मोहनियां से बस में सवार होने के लिए रवाना हुए। बनारस जानेवालों की इतनी भीड़ जुटी कि सासाराम तक जानेवाली कई बसों को वाराणसी के लिए खोलना पड़ा। दस मिनट में सीट भर जा रही थी। बस में सवार रम्भा देवी व सुभद्रा देवी ने बताया कि वह हर साल गंगा स्नान करने बनारस जाती हैं। कल्याण पांडेय ने बताया कि वह अपनी पत्नी निर्मला देवी के साथ पतित पावनी के अवतरण दिवस यानी गंगा दशहरा पर पुण्य का गोता लगाने के लिए बनारस जा रहे हैं। पूछने पर बताया कि भोले की नगरी में पौ फटने से पहले ही श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है। संध्या आरती का दिव्य दृश्य देखकर ही लौटते हैं। मान्यता है कि ब्रह्मा के कमंडल से निकलकर गंगा इसी दिन भगवान शिव की जटा से पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। इन घाटों पर लगाई डुबकी कैमूर के लोग गंगा दशहरा पर चंदौली व बक्सर के बलुआ गंगा घाट, पड़ाव, धानापुर, कैली, बलुआ सराय, महड़ौरी देवी, टांडाकला, बड़गावां के अलावा बक्सर के रामरेखा घाट, सती घाट, जेल घाट, नाथ बाबा घाट, बनारस के दशाश्वमेध घाट, शीतला घाट, पंचगंगा घाट, राजघाट, केदारघाट, आदिकेशव घाट, अस्सीघाट, सामनेघाट, मुंशी घाट, अहिल्याबाई घाट, हनुमान घाट, शिवाला, तुलसी घाट, प्रहलाद घाट पर डुबकी लगाए। स्नान कर जल से दिए अर्घ्य भभुआ शहर की तरेगना देवी ने बताया कि गंगा स्नान के बाद मंदिरों में अनुष्ठान किया जाता है। मंगलाचार गाया जाता है। कोई कमर भर जल में खड़ा होकर अर्घ्य देता है, तो कोई रेत पर लोक कल्याण के निमित्त आहुति देता है। गंगा दशहरा पर स्नान-ध्यान से मनसा, वाचा, कर्मणा से 10 तरह के पाप धुलने की मान्यता है। इस वजह से श्रद्धा-भाव का अटूट रिश्ता दिखता है। क्यों मनाया जाता है गंगा दशहरा - इस दिन हिन्दू धर्म के अनुयायी सरोवरों में स्नान और दान का विशेष महत्व मानते हैं। - इस दिन भगीरथ अपने परिजनों के उद्धार के लिए अथक तपस्या के बाद मां गंगा को धरती पर अवतरित करके लाए थे। - स्कन्दपुराण में यह उल्लेख है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने और यथाशक्ति दान करने से सब कष्ट दूर होते हैं। - जाने-अनजाने में हुए पापों के प्रायश्चित के लिए गंगा स्नान को महत्वपूर्ण माना जाता है। फोटो- 5 जून भभुआ- 3 कैप्शन- भभुआ शहर के मुंडेश्वरी सिनेमा हॉल के पास गुरुवार की सुबह बनारस गंगा स्नान करने जाने के लिए बस में सवार होने आए श्रद्धालु।
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