आवेदन जमा कर रहे पंचायत में, प्रमाणपत्र लेने आ रहे मुख्यालय
भगवानपुर के अंचल कार्यालय में जाति, आय और निवास प्रमाण पत्र के लिए ग्रामीणों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। जब सर्वर डाउन होता है, तो आवेदन करने वाले निराश होकर लौट जाते हैं। पंचायत में आईडी-पासवर्ड...

नहीं मिले आईडी-पासवार्ड, कार्यपालक सहायक निजी आईडी का कर रहे हैं उपयोग लंबी दूरी तय कर अंचल में पहुंच रहे आवेदक, सर्वर डाउन रहने पर लौट जा रहे घर (बोले भभुआ) भगवानपुर, एक संवादाता। प्रखंड की पहड़ियां और पढ़ौती पंचायत के लोगों को आज भी जाति, आय, निवास प्रमाण पत्र लेने के लिए अंचल कार्यालय की दौड़ लगानी पड़ रही है। लंबी दूरी तय कर लोग अंचल कार्यालय में आते हैं। लेकिन, जब उन्हें यह पता चलता है कि सर्वर डाउन है और प्रमाण पत्र निर्गत नहीं हो रहा है तब आवेदक निराश होकर अपने घर लौट जाते हैं। ऐसे में उनका वाहन किराया और समय जाया होता है।
समय पर प्रमाण पत्र नहीं मिलने के कारण छात्र-युवाओं को नामांकन कराने और नौकरी के लिए फॉर्म भरने में दिक्कत होती है। ग्रामीणों श्रवण कुमार और योगेश्वर राम ने बताया कि पंचायत के कार्यपालक सहायक को आईडी-पासवर्ड नहीं मिला है। ऐसे में वह उनसे उनका आवेदन व दस्तावेज ले लेते हैं और निजी आईडी से उसे ऑनलाइन कर देते हैं। इसके बाद वह निर्धारित अवधि में अंचल कार्यालय जाकर प्रमाण पत्र प्राप्त करते हैं। लेकिन, जब उनका प्रमाण नहीं बना होता है या सर्वर डाउन रहता है, तब उन्हें घर लौट जाना पड़ता है। ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्ग, दिव्यांग तथा महिला आवेदकों को होती है। एलपीसी व राशन कार्ड बनाने, दाखिल-खारिज करने का काम भी अंचल कार्यालय के आरटीपीएस काउंटर से ही होता है। ग्रामीणों ने बताया कि परिवार के जिस सदस्य को उक्त प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है, उन्हें प्राप्त करन के लिए अंचल कार्यालय के आरटीपीएस काउंटर पर जाना पड़ रहा है। अगर उनकी पंचायत में ही इसकी सुविधा को मुहैया करा दी जाती तो उन्हें लंबी दूरी तय कर अंचल कार्यालय में नहीं आना पड़ता। इससे समय और पैसों की बचत हो जाती। स्कूल-कॉलेज में नामांकन कराने और नौकरी के फॉर्म अप्लाई करने में जाति, आय व निवास प्रमाण पत्रों की जरूरत पड़ती है। समय पर उक्त प्रमाण पत्र नहीं मिलने के कारण कभी-कभी फार्म भरने से वंचित हो जाना पड़ता है। आईडी-पासवर्ड मिल जाता तो पंचायत में ही बन जाते प्रमाण पत्र युवाओं बहादुर सिंह, प्रभाष कुमार, अरविंड पांडेय का कहना है कि अगर विभाग द्वारा पंचायतों के आरटीपीएस काउंटर को सरकारी आईडी-पासवर्ड उपलब्ध करा दिया जाता, तो कार्यपालक सहायक पंचायत में ही रहकर प्रमाण पत्र बना देते, जिससे उन्हें परेशानी नहीं होती। लेकिन, ऐसा नहीं किया जा रहा है। पंचायत में कम आवेदन जमा होने के कारण कम समय में प्रमाण मिल जाते। अंचल के काउंटर पर पूरे प्रखंड का आवेदन आता है, जिसे निपटाने में समय लगता है। इस कारण जाति, आय, निवास, एलपीसी आदि प्रमाण पत्र मिलने में देर हो जाती है। निवास प्रमाण पत्र से मूल निवासी होने का पक्का साबूत मिलता है। इससे यह पता लगता कि आप कहां के रहने वाले हैं। इसकी आवश्यकता पानी-बिजली कनेक्शन आदि में काम आता है। जाति प्रमाण पत्र एक आधिकारिक दस्तावेज़ है, जिसका उपयोग इस बात की पहचान करने में किया जाता है कि आप किस जाति के व्यक्ति हैं। फोटो- 05 जून भभुआ- 1 कैप्शन- भगवानपुर के अंचल कार्यालय के आरटीपीएस काउंटर के कार्यालय में गुरुवार को कामकाज करते कर्मी।
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