If non vegetarian food hurts religious sentiments why order says mumbai consumer court मांसाहार से धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं तो उसे बनाने वाले रेस्तरां से क्यों ऑर्डर किया: कोर्ट, India News in Hindi - Hindustan
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मांसाहार से धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं तो उसे बनाने वाले रेस्तरां से क्यों ऑर्डर किया: कोर्ट

बेंच ने कहा, 'यदि शिकायतकर्ता पूरी तरह से शाकाहारी हैं और नॉनवेज उनकी भावनाओं को आहत करता है तो फिर उन्होंने ऐसे रेस्तरां से भोजन का ऑर्डर क्यों किया, जो दोनों तरह का खाना बनाता है। इसकी बजाय दोनों लोग यह कर सकते थे कि वे पूरी तरह से शाकाहारी रेस्तरां से ही भोजन का ऑर्डर करते।'

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, मुंबईTue, 10 June 2025 03:12 PM
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मांसाहार से धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं तो उसे बनाने वाले रेस्तरां से क्यों ऑर्डर किया: कोर्ट

यदि मांसाहारी भोजन खाने से आपकी भावनाएं आहत होती हैं तो फिर ऐसे रेस्तरां से ऑर्डर क्यों करते हैं, जो नॉनवेज बनाता है। उपभोक्ता अदालत ने कहा कि ऐसे भी रेस्तरां का विकल्प हमेशा उपलब्ध है, जहां सिर्फ वेजिटेरियन भोजन ही उपलब्ध होता है। मुंबई स्थित उपभोक्ता अदालत ने एक केस की सुनवाई करते हुए यह बात कही। इस मामले में ग्राहक ने अदालत में यह कहते हुए अर्जी डाली थी कि रेस्तरां की तरफ से उन्हें नॉन-वेजिटेरियन भोजन दिया गया, जबकि वह शाकाहारी हैं। इससे उनकी भावनाएं आहत हुई हैं। इसी पर अदालत ने साफ कहा कि यदि कोई शुद्ध शाकाहारी है और नॉन-वेज से उसकी भावनाएं आहत होती हैं तो खुद भी सावधानी रखनी चाहिए।

अदालत ने कहा कि आपको खुद सावधानी रखनी चाहिए। ऐसे रेस्तरां से ऑर्डर नहीं करना चाहिए, जो शाकाहार और मांसाहार दोनों परोसता हो। जिला उपभोक्ता अदालत ने कहा कि कोई भी सामान्य व्यक्ति वेज और नॉनवेज फूड की पहचान खाने से पहले कर सकता है। दरअसल दो लोगों ने एक शिकायत की थी, जिसमें उसने कहा था कि उन्हें रेस्तरां ने गलत तरीके से मांसाहार परोसा गया। वह भी तब जबकि वे पूरी तरह से शाकाहारी हैं। ऐसा करके रेस्तरां ने उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत किया है।

बेंच ने कहा, 'यदि शिकायतकर्ता पूरी तरह से शाकाहारी हैं और नॉनवेज उनकी भावनाओं को आहत करता है तो फिर उन्होंने ऐसे रेस्तरां से भोजन का ऑर्डर क्यों किया, जो दोनों तरह का खाना बनाता है। इसकी बजाय दोनों लोग यह कर सकते थे कि वे पूरी तरह से शाकाहारी रेस्तरां से ही भोजन का ऑर्डर करते।' शिकायकर्ताओं का कहना था कि उन्होंने वाउ मोमोज रेस्तरां से उन्होंने दार्जीलिंग मोमो कॉम्बो ऑर्डर किया था। उनका कहना था कि हमने ऑर्डर के समय दो बार स्पष्ट किया था कि हमें शाकाहारी ही चाहिए। इसके बाद भी उन्हें जो डिश मिली, वह चिकन दार्जीलिंग मोमोस थी। यह नॉनवेज फूड था।

उनका कहना था कि रेस्तरां के स्टाफ ने उनकी बात को नजरअंदाज कर दिया और मनमाने तरीके से नॉनवेज आइटम परोस दिया। उन्होंने कहा कि रेस्तरां में साफ तौर पर यह भी नहीं लिखा था कि उनके यहां कौन सा आइटम वेजिटेरियन है और कौन सा नॉन-वेजिटेरियन है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि इससे उनका मानसिक उत्पीड़न हुआ और भावनाएं आहत हुईं। दोनों शिकायतकर्ताओं ने इस मामले में 6 लाख रुपये की मुआवजा राशि की मांग उपभोक्ता अदालत में अर्जी डालकर की थी।