कई दफ्तरों के रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की पाइप फटी
सरकार ने वर्षा जल संचय और भू-जलस्तर बनाए रखने के लिए विभिन्न सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किया था। हालांकि, लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी यह योजना सफल नहीं हो सकी क्योंकि...

वर्षा जल के संचय करने व जलस्तर बनाए रखने के लिए लगा था सिस्टम प्रखंड, अंचल, आईसीडीएस, कृषि कार्यालय, पीएचसी में किया था प्रबंध (बोले भभुआ) रामपुर, एक संवाददाता। जल संचय करने व भू-जलस्तर को बनाए रखने के लिए सरकार ने विभिन्न विभाग के भवनों की छत पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किया था। इसे स्थापित करने का उद्देश्य वर्षा के पानी को संचय कर पाइप के सहारे भू-गर्भ में पहुंचाना था। लेकिन, सरकार द्वारा लाखों रुपए खर्च कर सिस्टम स्थापित किए जाने के बाद भी योजना को मुकाम नहीं मिल सका। इसकी पाइप क्षतिग्रस्त हो गई हैं। बारिश होने के बाद उसका पानी भू-गर्भ में जाने के बजाय इधर-उधर बह जाता है। इससे प्रखंड कार्यालय परिसर में जलजमाव की भी समस्या उत्पन्न होती है। क्योंकि यहां जलनिकासी के लिए नाली का भी निर्माण नहीं किया गया है। प्रखंड, अंचल, आईसीडीएस, कृषि कार्यालय, पीएचसी आदि में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया गया था। लेकिन, वह कामयाब नहीं हो सका। फिर भी अधिकारी फटी पाइप की मरम्मत कराकर या बदलकर इसे काम लायक नहीं बना रहे हैं। जबकि सरकार आज भी जल संरक्षण को लेकर जल जीवन हरियाली मिशन चला रही है और जलस्रोत का जीर्णोंद्धार करा रही है। लेकिन, जिन दफ्तरों के भवन की छत पर सिस्टम स्थापित किए गए हैं, उसे दुरूस्त नहीं कराया जा रहा है। सरकारी भवनों पर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की टूटी व लटकी पाइप जिम्मेदार विभाग की अनदेखी दर्शा रही हैं। अनदेखी के बीच प्रखंड मुख्यालय में अभी भी बारिश होने पर सरकारी भवन की छतों का पानी व्यर्थ बह जाता है। जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग को ले सरकार की ओर से अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया जाता है। लेकिन, सरकारी भवनों पर ही जल संचय प्रक्रिया के लिए स्थापित पाइप को कोई दुरूस्त नहीं करा रहा है। छोटी रकम खर्च कर पाइप को किया जा सकता है दुरूस्त जल संरक्षण के लिए काम करनेवाले डॉ. विनोद मिश्र बताते हैं कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में पाइपलाइन के क्षतिग्रस्त होने का मतलब है कि वर्षा जल संचयन की प्रक्रिया में पानी का संग्रह और परिवहन बाधित हो रहा है। यह समस्या मुख्य रूप से पाइपलाइन के टूटने, छेद होने या क्षतिग्रस्त होने के कारण हो सकती है। छोटी रकम में इसे दुरूस्त कर कामयाब बनाकर धरती के पेट तक पानी पहुंचाया जा सकता है। इससे जलहां जलस्तर बरकरार रहेगा, वहीं चापाकल से पानी मिलता रहेगा। आसपास में हरियाली भी बनी रहेगी। अगर तालाब या पोखरा है तो उसमें भी वर्षा का पानी भंडार करने का प्रबंध किया जा सकता है, ताकि मवेशियों को भी पीने के लिए पानी मिल सके और स्नान करने व कपड़ा धोने का काम हो सके। यह सिस्टम सिर्फ सरकारी ही नहीं निजी भवन की छतों पर भी स्थापित किया जा सकता है। फोटो- 29 अप्रैल भभुआ- 01 कैप्शन- रामपुर के प्रखंड परिसर में बाल विकास परियोजना कार्यालय कक्ष की छत पर स्थापित रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की मंगलवार को दिखती क्षतिग्रस्त पाइप।
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