स्लम बस्तीवाले परेशानी में काट रहे गर्मी की रात व दोपहरी
भभुआ के वार्ड आठ में स्लम बस्ती के लोग भीषण गर्मी से परेशान हैं। नल-जल योजना से मिलने वाला पानी दिन में गरम हो जाता है। आवास योजना का लाभ कई लोगों को नहीं मिला है, जिससे घर का खर्च चलाना मुश्किल हो...

प्यास बुझाने के लिए नल-योजना से योजना से मिलने वाला पानी भीषण गर्मी से दोपहर में हो जाता है गरम, मच्छर करते हैं परेशान भीषण गर्मी व तीखी धूप में काम नहीं मिलने से घर का खर्च चलाना मुश्किल वार्ड आठ की स्लम बस्ती के कम लोगों को मिला है आवास योजना का लाभ (पेज चार की लीड खबर) भभुआ, एक प्रतिनिधि। शहर के वार्ड आठ में पशुपालन विभाग के पीछे स्लम बस्ती के लोग गर्मी के इस मौसम में काफी परेशान हैं। यहां के अधिकतर लोग झोपड़ियों में रहते हैं। क्योंकि सभी को आवास योजना का लाभ नहीं मिला है।
वह दोपहर पशुपालन विभाग परिसर के पेड़ की छाया और रात झोपड़ी के आगे सोकर काट रहे हैं। झोपड़ी में मच्छर तंग करते हैं। वह पूरी नींद नहीं सो पाते हैं। गर्मी व लू के कारण इन्हें भवन निर्माण, कृषि या अन्य मजदूरी का काम नहीं मिल पा रहा है, जिससे घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। नल-जल योजना की सुविधा इन्हें मुहैया कराई गई है। लेकिन, सुबह का रखा हुआ पानी दोपहर में गर्म हो जाता है, जिससे प्यास भी नहीं बुझ पाती। प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ सभी को नहीं मिल पाया है। बस्ती के लोगों का कहना है कि अधिकांश लोग पेंशन योजना के लाभ से वंचित हैं। बरसात में जब झोपड़ी से पानी टपकता है, तब इन्हें जागकर रात काटनी पड़ती है। ठंड के मौसम में हवा का झोंका और गर्मी में लू के थपेड़ों को सहना बच्चे व वृद्धों के लिए मुश्किल हो जाता है। घास-फूंस की मड़ई हर मौसम में इन्हें तंग करती है। पूछने पर कहते हैं कि बस पेट भर जाए इसी की चिंता रहती है। हालांकि खाद्य आपूर्ति योजना से इन्हें हर महीने राशन उपलब्ध हो जाता है, जिससे उनका गुजारा हो जाता है। उनका कहना था कि यहां रहनेवाले सभी लोग मजदूरी करके परिवार की परवरिश करते हैं। लेकिन, इस गर्मी के मौसम में रोज काम नहीं मिल पाता है। भवन निर्माण का काम नहीं चल रहा है। छोटे-मोटे काम कभी-कभी मिल पाता है, जिससे आलू, तेल, मसाला खरीदकर खाना पकाते हैं। हरी सब्जी के सवाल पर कहते हैं कि कभी-कभी किसानों के खेत में काम मिल गया तो हरी सब्जी वही दे देते हैं। आलू ही सहारा बनता है। दूध कहां पाएंगे कि बच्चों को पिलाएंगे। बुढ़ापे में सरकारी राशन से भरते हैं पेट स्लम बस्ती के ललता मुसहर की 65 वर्षीया पत्नी तेतरा देवी ने बताया कि इस उम्र में उसके पति को कोई काम भी नहीं देता है। जब जवानी थी तब खूब पसीना बहाए। अब बुढ़ापा आया तो कोई काम भी नहीं देता। लोग कहते हैं कि इनसे काम नहीं हो पाता है। सरकार से सस्ती दर पर चावल-गेहूं मिल जाता है, जिससे पेट भर लेते हैं। बुढ़ापे में भी पेंशन योजना का लाभ नहीं मिलता है। आवास तो बना ही नहीं। सरकार का दिया हुआ पानी पीते हैं स्लम बस्ती के छांगुर मुसहर की 45 वर्षीया पत्नी मीरा देवी कहती है कि पहले पीने के लिए पानी दूर से लाना पड़ता था। गर्मी के दिनों में परेशानी होती थी। लेकिन, अब सरकार ने उनकी बस्ती में नल लगवा दिया है, जिससे खाना पकाने, पीने व अन्य घरेलू काम कर लेते हैं। पानी के लिए कोई परेशानी नहीं होती। लेकिन, सुबह में भरकर रखा हुआ पानी दोपहर में गर्म हो जाता है, जिससे प्यास नहीं बुझ पाती है। लेकिन, मजबूरी है इसी पानी को पीते हैं। आवास योजना का सभी को लाभ नहीं इस बस्ती के कल्लू मुसहर की पत्नी कंचन देवी तथा शंभु मुसहर की पत्नी नीता देवी ने कहा कि इस बस्ती के कई लोगों प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला है। कुछ लोगों के पास राशन कार्ड नहीं है। इससे उन्हें परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा कि न हमारे पास रिहायशी जमीन है और न आवास। सरकार हर गरीब को आवास योजना का लाभ दे रही है। कोट पशुपालन विभाग के पीछे की स्लम बस्ती में रहनेवाले लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया गया है। राशन कार्ड भी बने हैं। जो लोग योजनाओं के लाभ से वंचित हैं, उन्हें शीघ्र लाभ दिया जाएगा। विकास तिवारी बबलु, मुख्य पार्षद, नगर परिषद फोटो- 26 अप्रैल भभुआ- 4 कैप्शन- शहर के पशुपालन विभाग के पीछे की स्लम बस्ती में मंगलवार की दोपहर पेड़ की छाया में बैठे लोग।
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