कैमूर की मंडियों में धड़ल्ले से हो रहा पॉलीथिन का उपयोग
बिहार के कैमूर में जुलाई 2022 से लागू सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध का उल्लंघन हो रहा है। दुकानदार ग्राहकों को पतली पॉलीथिन में सामान दे रहे हैं, जबकि सरकार ने इसके उपयोग पर पूरी तरह से रोक लगा दी...

घर से हाथों में थैला लेकर मंडी में नहीं निकलते हैं आम नागरिक, दुकानदार पॉलीथिन में देते हैं दुकान से खरीदारी की गई हर सामग्री वर्ष 2022 के जुलाई माह से पूरे राज्य में सिंगल यूज प्लास्टिक पर है पूर्ण प्रतिबंध वर्ष 2025 में पर्यावरण दिवस प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने पर है केंद्रित 20 किलो के आसपस पॉलीथिन की है रोजाना खपत 03 हजार से भी दुकानदार पॉलीथिन में देते हैं सामान (पटना का टास्क) भभुआ, कार्यालय संवाददाता। कैमूर की मंडियों में पॉलीथिन का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। जबकि इसके उपयोग पर वर्ष 2022 के जुलाई माह से ही प्रतिबंध है।
प्रतिबंध के बावजूद बाजार में पतली पॉलीथिन में सामान दिए जा रहे हैं। सरकार ने अपने आदेश में कहा है कि दुकानदार द्वारा अपने ग्राहकों को 50 माईक्रोन से कम मुटाई वाले पॉलीथिन में किसी तरह की सामग्री नहीं देना है। पॉलीथिन के उत्पादन, वितरण, व्यवसाय, भंडारण, विक्रय पर पूरी तरह रोक लगाई गई है। अगर कोई व्यवसायी पॉलीथिन का इस्तेमाल करते पकड़े जाते हैं, तो उनपर पांच हजार रुपए और घरेलू उपयोग करते देखे जाने पर पांच सौ रुपयों तक अर्थ दंड लगाने का प्रावधान है। लेकिन, कैमूर में कैरी बैग का इस्तेमाल खूब हो रहा है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने मंगलवार से ही विश्व पर्यावरण सप्ताह का थीम ‘बेस्ट प्लास्टिक पॉल्यूशन पर आधारित कार्यक्रम शुरू कर दिया है। वन विभाग ने इसकी शुरुआत वन प्रमण्डल पदाधिकारी चंचल प्रकाशम के निर्देश पर मुंडेश्वरी से कर दी है। प्रथम दिन मुंडेश्वरी में सफाई अभियान चलाया गया। आमजनों को प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने की सलाह देते हुए इससे होनेवाले नुकसान के बारे में बताया गया। लोगों को जानकारी दी गई कि कचरे पर भोजन तलाशते पशु प्लास्टिक को खा जाते हैं, जिससे उनकी तबीयत खराब होती है। मिट्टी प्रदूषित होती है और उपज को नुकसान पहुंचाते हैं। पॉलीथिन का यह है विकल्प शहर के राजेंद्र सिंह व यशवंत कुमार ने बताया कि पॉलीथिन व थर्मोकोल वाले बर्तन के उपयोग पर सरकार ने रोक लगा दी है। शादी-विवाह में पत्तल व बांस से तैयार थाली, मिट्टी से बने ग्लास, प्याला का उपयोग कर सकते हैं। जूट, कॉटन, सूतली, धागा से तैयार थैला में बाजार से सामान की खरीदारी कर घर ला सकते हैं। इससे महिला-पुरुषों को रोजगार भी मिलेगा। जागरूकता अभियान का असर नहीं नगर परिषद द्वारा 50 माईक्रोन से कम मुटाई वाले पॉलीथिन का उपयोग नहीं करने और इसके करने से होनेवाले नुकसान के बारे में जानकारी देने के बाद भी ग्राहक अपने घरों से थैला लेकर बाजार में खरीदारी करने नहीं आ रहे हैं। शहर के जितेंद्र कुमार ने बताया कि कुछ लोग घर से थैला लेकर बाजार में सामान खरीदने आते हैं। बाजार में पॉलीथिन की बिक्री होने से वह घर से थैला लेकर नहीं आते हैं। पॉलीथिन खाने से यह होता है नुकसान कचरे के ढेर पर भोजन की तलाश करनेवाले मवेशी अक्सर खाद्य पदार्थ के साथ पॉलीथिन भी खा जाते हैं। जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. कमलेश कुमार सिंह ने बताया कि पॉलीथिन खानेवाले मवेशी दूध देना कम कर देते हैं। वजन घटता है। ग्रोथ में भी गिरावट आती है। पेट व कमर में दर्द, गैस, दस्त की शिकायत होती है। पेट कठोर बनने लगते हैं। आंत को भी क्षति होती है। ऐसे पांच-छह मवेशी हर माह इलाज कराने लाए जाते हैं। हर माह चार-पांच हजार दुकानदारों पर होती है कार्रवाई नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी संजय उपाध्याय ने बताया कि शहर में पॉलीथिन उपयोग करने के खिलाफ हर माह चार से पांच हजार दुकानदारों पर कार्रवाई की जाती है। इनपर अर्थदंड लगाया जाता है। शहर से हर माह 20 से 25 किलो पॉलीथिन जब्त किए जाते हैं। सब्जी मंडी रोड: प्लास्टिक में दे रहे थे सामान शहर के सब्जी मंडी रोड में सब्जी, किराना, जेनरल स्टोर की करीब 75 दुकाने होंगी। इन सभी दुकानों पर प्लास्टिक का उपयोग किया जा रहा था। ग्राहक की मांग दुकानदार सामग्री का वजन कर प्लास्टिक में भरकर दे रहे थे। सब्जी खरीद रहे शहर के रीतेश कुमार ने बताया कि यहां से रोज प्लास्टिक के थैला में ही सब्जी व अन्य सामान खरीद कर ले जाते हैं। कभी-कभी नगर परिषद की टीम छापेमारी करने आती है। कुछ दुकानदारों पर जुर्माना भी लगाती है। धर्मशाला: कैरी बैग में सामग्री ले जा रहे थे लोग कन्नीराम धर्मशाला से लेकर सब्जी मंडी रोड मोड़ तक ठेला पर फल की दुकानें सजी थीं। ग्राहक फल की खरीदारी कर रहे थे। दुकानदार फल को कैरी बैग में लेकर अपने घर की ओर जा रहे थे। पूछने पर ग्राहक मनोज कुमार ने बताया कि क्या करें, जब बाजार में पॉलीथिन में सामान मिल ही जा रहा है, तो फिर घर से थैला लेकर आने की क्या जरूरत है? जब उन्हें बताया गया कि पॉलीथिन का उपयोग करने वालों पर भी अर्थ दंड लगाने का प्रावधान है, तो उन्होंने कहा नहीं जानकारी है। पटेल चौक: हाथ में नहीं दिखा कॉटन का थैला पटेल चौक के पास सड़क के दोनों ओर सैकड़ों दुकानें सजी हैं। यहां सब्जी, फल, समोसा, किराना, नाश्ता आदि की दुकानें हैं। ग्राहक आते और सामान की खरीदारी कर पॉलीथिन में लेकर चले जाते। एक दुकानदार ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि उसके यहां प्रतिदिन करीब 150 पॉलीथिन की खपत है। पूछने पर कहा कि कोई ग्राहक अपने घर से झोला लेकर आते ही नहीं हैं। अब कारोबार करने के लिए तो उसे पॉलीथिन रखना पड़ेगा न। दुकानदार के साथ ग्राहक पर भी रोक लगे। समाहरणालय पथ: कोई-कोई कर रहा था नियम का पालन समाहरणालय पथ में कई किराना व कपड़ा, रेडीमेड की दुकानें हैं। इन दुकानों पर 50 माईक्रोन से अधिक मुटाई वाले पॉलीथिन का उपयोग किया जा रहा था। लेकिन, इसी पथ में चाउमिन, समोसा, छोला, भटूरा, मिठाई, लिट्टी-चोखा आदि की दुकानें लगी हैं, जहां 50 माईक्रोन से कम मुटाई वाले पॉलीथिन का उपयोग हो रहा था। ग्राहक खाद्य सामग्री को पैक कराकर पॉलीथिन में ही अपने घर लेकर जा रहे थे। हालांकि ज्यादातर ग्राहक दुकान के पास ही उक्त चीजें खाते दिखे। जेपी चौक: ठेले पर सामने रखे थे पॉलीथिन जयप्रकाश चौक पर हवाई अड्डा रोड, चैनपुर पथ, भगवानपुर पथ में ठेला पर काफी दुकानें लगी थीं। पक्के कमरों में भी दुकान हैं। पक्का कमरों में कारोबार करने वाले दुकानदार पॉलीथिन को छुपाकर अंदर में रखे थे। लेकिन, ठेला पर खाद्य सामग्री बेचने वाले दुकानदार सामने रखे थे और जो ग्राहक फल, सब्जी या अन्य चीजों की खरीदारी करते, उन्हें पॉलीथिन में दे देते और वह लेकर चले जा रहे थे। इस तरह का नजारा हर ओर देखने को मिला। लेकिन, हाल के दिनों में कार्रवाई नहीं हुई है। फोटो- 04 जून भभुआ- 5 कैप्शन- शहर के भारतीय स्टेट बैंक के पास खरीदारी करने के बाद पॉलीथिन में ग्राहक को फल-सब्जी देते दुकानदार।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।