बोले पूर्णिया: बाजार को चाहिए रोड, बिजली और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
बिरौली बाजार में 500 से अधिक स्थाई दुकानें हैं और रोजाना 50 लाख से अधिक का कारोबार होता है। बाजार में सुरक्षा की कमी, पार्किंग की समस्या और जल निकासी जैसी समस्याएं हैं। दुकानदारों ने सीसीटीवी और अन्य...
बिरौली बाजार में दुकानदारों और व्यापारियों की समस्या
प्रस्तुति : आलोक कुमार सिंह
- 500 से अधिक हैं बिरौली बाजार में स्थाई व्यावसायिक प्रतिष्ठान
- 50 लाख से अधिक का कारोबार रोजाना होता है मक्का के सीजन में
- 1900 ईस्वी से ही बिरौली में पड़ गई थी व्यवसाय की नींव
आजादी के पूर्व लगभग 1919 ईस्वी से ही कई जिले का व्यावसायिक केंद्र बिंदु रहा बिरौली बाजार की पुरानी संस्कृति अब चेंज हो गई। शुरुआती दौर में गुदरी हाट से प्रसिद्ध बिरौली बाजार सकरकंद , मिश्रीकंद एवं आलू का मुख्य बाजार था। प्रचुर मात्रा में कंद, मूल और आलू किसानों के द्वारा उपजा कर यहां बिक्री को लाई जाती थी।यहां से कई जिले के व्यवसाई घोड़ा पर लाद कर सामान ले जाया करते थे। वर्तमान में सकरकंद और मिश्रीकंद की खेती किसानों द्वारा नहीं करने से धीरे-धीरे यह परंपरा विलुप्त होता चला गया। अब यहां अनाज की मंडी लगने लगी है। बड़े पैमाने पर यहां अनाज का स्टॉक करने वाले व्यापारी भी सीजन पर अपना व्यापार करने चले आते हैं। बड़े-बड़े अनाज गोदाम भी बन गया है। आज की तारीख में जिले के प्रमुख व्यवसायिक मंडियों में से एक बिरौली बाजार व्यवसाय के लिहाज से जिला में अपना अलग स्थान रखता है। लगभग पचास लाख से ज्यादा का कारोबार प्रतिदिन होता है। बिरौली बाजार में 500 के आसपास स्थाई दुकानें है। वहीं हाट के दिन लगभग 600 से ज्यादा फुटकर विक्रेता दुकान लगाते हैं।
गल्ला की दुकानों के साथ ही बड़े बड़े कपड़ा और किराना की दुकान तो है ही वहीं पूर्णिया में मिलने दवा भी यहां के दवा दुकानदार मरीजों को उपलब्ध करा देते हैं।
नगर पंचायत बनने के बाद की स्थिति:
नगर पंचायत की स्थापना होने के बाद बिरौली बाजार वासियों और दुकानदारों को लगा कि अब यहां विकास की गंगा बहेगी लेकिन जल निकासी की पुरानी समस्या बरकरार है। शुद्ध पेयजल की भी समस्या शुरुआती दौर से बनी हुई है। सुरक्षा के लिहाज से कम से कम बाजार को सीसीटीवी से लैश किया जाना चाहिए था लेकिन अभी तक ऐसा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। साफ सफाई और पर्याप्त लाइटिंग की भी व्यवस्था बहुत अच्छी नहीं है। बोले पूर्णिया के मंच पर जब स्थानीय लोगों से बात की गई तो उन्होंने अपना दर्द बयां किया।
-शिकायत :
1. दुकानदारों और व्यापारियों के लिए सुरक्षा की कोई खास व्यवस्था नहीं
2.बाजार में पार्किंग की व्यवस्था नहीं होने से जाम की समस्या
3.रोजाना लाखों का होता है टर्न ओवर फिर व्यवसायिक सुविधा नदारद
4. बाहरी व्यापारियों के रात्रि विश्राम के लिए सुरक्षित जगह नहीं
5. व्यापारियों के व्यवसाय करने के लिए शेड की कमी
सुझाव:-
1.पार्किंग की व्यवस्था होने से जाम से निजात मिलेगी
2. व्यावसायिक मंडी बिरौली में सुरक्षा के लिहाज से सीसीटीवी जरूरी है
3. बिरौली बाजार एवं हटिया में शौचालय वह यूरिनल की व्यवस्था होनी चाहिए
4. हाट में दुकान लगाने वाले दुकानदारों के लिए सरकारी शेड का निर्माण हो।
5. बिरौली बाजार के प्रत्येक गली में स्ट्रीट लाइट और वेपर लाइट लगे।
प्रमुख व्यावसायिक बाजार बिरौली जहां लगभग हर प्रकार के समानों की दुकान उपलब्ध है। आने जाने की सुलभता होने के कारण दूर-दूर के लोग अपनी जरूरतों का सामान लेने यह बाजार आते हैं। बाजार में ग्रामीण क्षेत्रों से छोटे छोटे खुदरा कारोबार करने वाले दुकानदार भी समान लेने आते हैं। यहां गल्ले की दुकान होने से काफी संख्या में किसान और व्यापारी मक्के की बिक्री करने आते हैं। बाजार के एक हिस्से को अनाज गद्दी के नाम से जाना जाता है।लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी समस्या सुरक्षा की है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से कोई खास सुविधा उपलब्ध नहीं होने से गद्दीदारों सहित व्यापारियों में एक डर सा बना रहता है। बाजार को अब तक मूल भूत सुविधा नहीं मिल पाया है जिससे दुकानदार के साथ साथ ग्राहक भी परेशान रहते हैं। बिरौली में गल्ले का बड़ा बाजार होने से किसान सहित व्यापारियों के द्वारा अधिक मात्रा में मक्का बिक्री करने को यहां लाई जाती है । व्यवसायियों के द्वारा मकई की बहुत बड़े पैमाने पर खरीददारी होती है और देश के विभिन्न भागों में सप्लाई की जाती है। यहां पार्किंग की कोई मुकम्मल व्यवस्था सुनिश्चित नहीं की जा सकी है जिससे इन दिनों यातायात अव्यवस्थित हो जाता है। आमजनों को काफी दिक्कत होती है। दूसरी ओर गिट्टी-बालू की बड़ी बड़ी दुकानें भी इस बाजार में उपलब्ध है।
सप्ताह के दो दिन रविवार और गुरूवार को बिरौली बाजार में हाट भी बड़े पैमाने पर लगती है जिसमे काफी संख्या में ग्रामीण अपनी जरूरतों का सामान लेने आते हैं। लगभग 500 से ज्यादा दुकानदार दुकान लगाते है। हरी सब्जी और देसी मछलियां की बिक्री अच्छी होती हैं।व्यवसायियों का कहना है कि अगर सप्ताह के सातों दिन हाट लगे तो बिक्री अच्छी होगी।
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बिरौली बाजार के मल्लिक परिवार बेहाल:
बिरौली बाजार स्थित लगभग 45 लोगों की जनसंख्या वाला मल्लिक परिवारों का एक मुहल्ला है। इस मोहल्ले में आठ मल्लिक परिवार है। इन्हें जीविकोपार्जन का ठोस व्यवस्था नहीं मिलने से पूर्वजों के द्वारा किए जा रहे काम को आज भी जीवित रख सूप, डालिया आदि बना अपना जीवन यापन करते हैं। मल्लिक परिवारों में दिलीप मल्लिक, शिवू मल्लिक,उपेंद्र मल्लिक, शंभू मल्लिक, जुल्मी मल्लिक,सुरेश मल्लिक, चानो मल्लिक और रीता देवी ने बताया कि सभी लोग सूप, डलिया , दउरा और डाला, झांपी बनाने के साथ ही सूअर पालन का काम करते है।
नगर पंचायत बनने के बाद आठ लोगों जिनमें चार पुरुष और चार महिला शामिल है को साफ सफाई का काम मिला है। सात हजार रुपए का मानदेय मिलता है जिससे परिवार का भरण पोषण नहीं हो पाता है।बताया कि ऐसे तो सूप, डलिया की बिक्री हमेशा होती है। वहीं लगन के सीजन में डाला और झांपी बनाई जाती है। अभी भी यह दलित बस्ती विकास से कोसों दूर है। आज भी उनकी जिंदगी आदिम जमाने जैसी है।
हाल के दिनों में प्रभावित हुआ है मार्केट:-
बिरौली बाजार जहां दूर दूर से लोग बाजार करने आते थे। अभी ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क की सुगमता हो जाने से गांवों में छोटे छोटे दुकानों के खुल जाने और कई कई जगहों पर ग्रामीण हाट लगने से लोगों की आवाजाही यहां कम होने लगी है। ताजी साग, सब्जी, मछली, मसाला सहित अन्य जरूरतों की समान की उपलब्धता ग्रामीण क्षेत्रों में ही हो जाने से से बिरौली बाजार प्रभावित होने लगा है।
वहीं दूसरी ओर ऑनलाइन मार्केटिंग ने बाजार की बिक्री को इस कदर प्रभावित किया है कि व्यवसाई दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर हो गए हैं। ग्राहक अपनी मनपसंद समान घर बैठे आराम से मंगा लेते है और तो और ऑनलाइन मार्केटिंग ने समानों की वापसी की सुविधा मिलने से ग्राहक बेहिचक आराम से खरीदारी करते हैं।
बोले जिम्मेदार:
1.अब बिरौली बाजार रुपौली नगर पंचायत का हिस्सा हो गया है। विकास कार्य किया जा रहा है। जल्द ही कारोबारियों की समस्या को दूर किया जाएगा और बाजार को सुसज्जित करने के लिए सभी तरह की व्यवस्था करवाई जाएगी।
- निरंजन मंडल,मुख्य पार्षद,नगर पंचायत रुपौली
2. बिरौली बाजार और हाट में आने वाले ग्राहकों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हो इस पर ध्यान दिया जा रहा है। बाजार की समस्याओं पर गौर किया जा रहा है। यूरिनल और शौचालय की व्यवस्था के लिए भी बात की जाएगी।
- अरविंद कुमार, बीडीओ, रूपौली।
हमारी भी सुनिए:
1. बाजार में मूलभूत सुविधाओं का आभाव है। सुविधा के अभाव में बाजार में रौनक कम है। बाजार में शुद्ध पेयजल और यूरिनल की भी व्यवस्था प्राथमिकता के तौर पर जरूरी है।
- अभिजीत कुमार
2. बाजार का क्षेत्रफल काफी लम्बा है। जगह जगह यूरिनल और शुद्ध पेय जल नहीं रहने से ग्राहकों को काफी दिक्कत होती है। बरसात के दोनों जल जमाव से भी परेशानी होती है।
- बबलू साह
3. पार्किंग की मुकम्मल व्यवस्था नहीं रहने से दुकानदारी प्रभावित होती हैं। पार्किंग की व्यवस्था हो जाने मात्र से ग्राहक आराम से खरीदारी कर सकते है। साथ ही जाम की समस्या का निदान स्वत: हो जाएगा।
- मुन्ना कुमार
4.बाजार में कहीं- कहीं जल जमाव होने से बरसात के दिनों में ग्राहक नहीं आना चाहते हैं। जिससे दुकानदारी प्रभावित होती है। इसके लिए जल निकासी की व्यवस्था काफी जरूरी है।
- जुली कुमारी।
5.बाजार में हाट सातों दिन लगना चाहिए।इससे बाजार में रौनक तो आएगी ही और फुटकर विक्रेता को आर्थिक बल मिलेगा। इसके लिए प्रशासन की ओर से प्रचार प्रसार किया जाना चाहिए।
- सुमन कुमार राजू।
6. बाजार में सुरक्षा की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। कम से कम सीसीटीवी लगना चाहिए। व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए रात्रि प्रहरी की जरूरत महसूस की जा रही है।
- अरुण जायसवाल।
7.बाजार को सजाने और संवारने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। जल्द ही यह बाजार विकसित और सुसज्जित होगा। इसी क्रम में स्ट्रीट लाइट और व्यापार लाइट के साथ-साथ शुद्ध पेयजल की व्यवस्था तथा यूरिनल की व्यवस्था होनी चाहिए।
- भास्कर कुमार।
8. पूर्णिया शहर में मिलने वाली दवाइयां मरीजों को यहां यथा संभव उपलब्ध कराया जाता है। पर भीड़ के कारण जाम लगी रहती है।जिससे ग्राहकों और दुकानदारों को दिक्कत होती है।
- रूपेश कुमार
9.बाजार को विकसित करने की जरूरत है। जिससे ग्राहकों को उनके अनुसार सुविधा मिल सके। दूर दराज से आने वाले ग्राहकों को सुविधा होगी तो दुकानदारों का व्यवसाय भी अच्छा होगा।
- शंकर स्वर्णकार।
10.बाजार बड़ा होने के कारण सुरक्षा का व्यापक प्रबंध होना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो महिला ग्राहक भी स्वतंत्र ढंग से मार्केटिंग करने आ सकेंगे और यहां के व्यवसाययों का व्यवसाय तेज हो जाएगा।
- पीयूष कुमार
11. बिरौली बाजार में पार्किंग की व्यवस्था नहीं रहने से भीड़ लगती है जिससे बाजार जाने में असहजता महसूस होती है। अब कोई भी ग्राहक पैदल मार्केट नहीं आते हैं बल्कि बाइक अथवा फोर व्हीलर से आते हैं।
शेखर कुमार
12. हर एक प्रकार की अच्छी अच्छी दुकान यहां है। गिट्टी, बालू, छड़ और सीमेंट का तो बिरौली मुख्य बाजार है। कई पंचायतों के लोग यहां मार्केटिंग करने आते हैं। बड़े-बड़े वाहन भी आते हैं। इस लिहाज से रोड का चौड़ीकरण भी जरूरी है।
सिंटू त्यागी
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