किशनगंज : रक्तदान नि:स्वार्थ सेवा का श्रेष्ठ रूप
शुक्रवार को बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय और फिशरीज कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। उद्घाटन...

किशनगंज, संवाददाता। शुक्रवार को बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के अंतर्गत फिशरीज कॉलेज एवं पशु चिकित्सा एवं पशुपालन कॉलेज, अर्राबाड़ी, किशनगंज के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय सेवा योजना (एन एस एस) इकाई द्वारा रक्तदान शिविर का भव्य आयोजन किया गया। इस शिविर में दोनों ही महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं, शिक्षकों एवं कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और रक्तदान जैसे पुनीत कार्य में अपनी सहभागिता सुनिश्चित की। रक्तदान शिविर का उद्घाटन फिशरीज कॉलेज के डीन डॉ. वी. पी. सैनी तथा पशु चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. चंद्रहास की उपस्थिति में संपन्न हुआ। डॉ. वी. पी. सैनी ने इस शिविर का उद्घाटन करते हुए कहा कि रक्तदान नि:स्वार्थ सेवा का एक श्रेष्ठ रूप है।
एक रक्तदाता अपने एक निर्णय से किसी ज़रूरतमंद को जीवनदान दे सकता है। यह न केवल चिकित्सा दृष्टिकोण से उपयोगी है, बल्कि समाज में परोपकार, सेवा और सहयोग की भावना को भी प्रबल बनाता है। डॉ. चंद्रहास ने अपने सम्बोधन में इसे "मानवता की सच्ची सेवा" बताते हुए कहा कि रक्तदान एक ज़िम्मेदार नागरिक होने का परिचायक है। यह हमारे सामाजिक कर्तव्यों की पूर्ति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस शिविर के सफल संचालन में दोनों ही महाविद्यालयों के एन एस एस इकाई के प्रभारियों क्रमश: डॉ. नरेश राजकीर (एनएसएस प्रभारी, मा्स्यियकी महाविद्यालय), डॉ. राखी (एन एस एस प्रभारी) एवं डॉ. शिव वरण (एन एस एस सह-प्रभारी, पशु चिकित्सा महाविद्यालय) की प्रमुख भूमिका रही। इस आयोजन को सफल बनाने में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद्, किशनगंज शाखा के अध्यक्ष रोहित दफ्तरी तथा तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के अध्यक्ष विनीत दफ्तरी का विशेष योगदान रहा। परिषद् को इससे पूर्व रक्तदान शिविरों के सर्वाधिक आयोजन हेतु राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित भी किया जा चुका है। शिविर में महाविद्यालय के कई शिक्षकगण भी उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से डॉ. नरेंद्र, डॉ. ममता, डॉ. शौकत, डॉ. अभिमान, श्री भारतेन्दु विमल, श्री राजेश आदि का सहयोग सराहनीय रहा। यह रक्तदान शिविर न केवल एक सामाजिक जिम्मेदारी के निर्वहन का प्रतीक बना, बल्कि छात्रों, शिक्षकों एवं समाज के बीच सेवा भाव, मानवता और एकजुटता की भावना को भी सुदृढ़ करने वाला सिद्ध हुआ। ऐसे आयोजनों से निश्चित ही विश्वविद्यालय की सामाजिक भागीदारी और नैतिक मूल्यों को नई दिशा मिलती है।
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