Bodwa Panchayat Seeks Block Status Amid Development Challenges बोले जमुई: बोड़वा को मिले प्रखंड का दर्जा, रेल सुविधाएं भी बढ़े, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले जमुई: बोड़वा को मिले प्रखंड का दर्जा, रेल सुविधाएं भी बढ़े

बोड़वा पंचायत, जहाँ लगभग 50 हजार की आबादी है, को प्रखंड का दर्जा नहीं मिलने से स्थानीय लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। झाझा से 25 किमी दूर स्थित बोड़वा, जिसे आर्थिक गतिविधियों का...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरFri, 6 June 2025 02:07 AM
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बोले जमुई: बोड़वा को मिले प्रखंड का दर्जा, रेल सुविधाएं भी बढ़े

बोड़वा पंचायत के लोगों की परेशानी

बोड़वा में 14 वार्ड, 11 राजस्व ग्राम है मौजूद

बोड़वा की लगभग 50 हजार की है आबादी

बोड़वा बाजार में लगभग 150 हैं दुकानें

झाझा प्रखंड के उत्तर में जमुई और बांका दो जिलों का संगम बिंदु होने के साथ-साथ ‘सर्किल नं.1’ की ‘राजधानी’ बोड़वा ही मानी जाती है। इस पंचायत ने देश को कई सीमा प्रहरी से लेकर कई आईआईटीयन भी दिया है। लेकिन सब कुछ होते हुए भी इस पंचायत को प्रखंड का दर्जा नहीं मिल पाया है। साथ ही रेल के नेटवर्क से दूर है। जबकि आर्थिक-व्यावसायिक गतिविधियों यह पंचायत बड़ा हब भी माना जाता है। प्रखंड की चंद सालों पूर्व तक नक्सलवाद के साए तले सांसें लेने वाली छह पंचायतें यथा बोड़वा के अलावा करहरा, पैरगाहा, बैजला, छापा आदि पंचायतें सर्किल नं.1 के बतौर अपनी पहचान रखती हैं। अफसोसजनक यह भी कि सर्किल नं.1 की उक्त सभी छह पंचायतें आजादी के 78 साल बाद भी रेल के मानचित्र से पूरी तरह कटी हुई है। बोले जमुई के द्वारा आयोजित संवाद में बोड़वा के लोगों ने प्रखंड का दर्जा को लेकर खुलकर बात रखें।

जमुई, अरूण बोहरा

सब कुछ है.....सिवाय प्रखंड के दर्जे और रेल के नेटवर्क के! यह दर्द है झाझा प्रखंड की आर्थिक-व्यावसायिक गतिविधियों का बड़ा केंद्र मानी जाने वाली बोड़वा पंचायत के वाशिंदों का। झाझा प्रखंड मुख्यालय से करीब 25 किमी की दूरी पर स्थित बोड़वा पंचायत के ग्रामीणें से लेकर व्यवसायियों ने बताया कि जातीय-आवासीय व राशन कार्ड दाखिल-खारिज आदि समेत प्रखंड स्तरीय हर काम को लेकर उन्हें लगभग रोजमर्रा तौर पर झाझा तक की दूरी नापनी पड़ती है। इसमें उनका पैसा भी खर्च होता है और साथ ही पूरे दिन का वक्त भी बर्बाद हो जाता है। बता दें कि प्रखंड के उत्तर में स्थित और तकरीबन 50 हजार की एक बड़ी आबादी वाली और करीब 40 किमी रेडियस में फैली बोड़वा पंचायत कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण एवं समृद्ध पंचायत है। यह प्रखंड के उत्तर में जमुई और बांका दो जिलों का संगम बिंदु है। स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि सर्किल नं.1 गुजरे जमाने में दशकों तक अपने माथे पर नक्सलवाद की छाप ढ़ोते आने के कारण विकास के मामले में काफी पीछे छूटता चला गया था। वैसे, हालिया सालों में शासन व प्रशासन के पहरूओं ने विकास संबंधी कई संसाधनों का निर्माण कराकर गुजरे दौर के फासले को पाटने का भरसक प्रयास किया है। इलाके के अनेकों ग्रामीण समेत बोड़वा की पूर्व मुखिया देवयंती देवी, सरपंच हैदर अली, पैरगाहा के पूर्व मुखिया प्रदीप बर्णवाल, समाजसेवी गौरव सिंह राठौर आदि मानते हैं कि हालिया सालों में इलाके भर में विकास के कई काम हुए हैं। अकेले बोड़वा बाजार में तकरीबन 150 दुकानें हैं जो बोड़वा की व्यावसायिक समृद्धि की परिचायक हैं। व्यवसायी प्रदीप बर्णवाल, जीकू कुमार, पिंटू बर्णवाल, बुद्धदेव बर्णवाल आदि बताते हैं कि बांका के चांदन, बेलहर आदि प्रखंडों तक के कई गांवों के ग्रामीणों के लिए मुख्य बाजार बोड़वा ही रहा है। बताया कि चांदन का करमटांढ़ गांव बोड़वा से महज 3 कमी की दूरी पर ही है।

ओबीसी छात्रावास से एपीएचसी तक

हालिया सालों में कभी मोटरबल सड़क तक को तरसते इस इलाके में अब सड़क की कनेक्टिविटी काफी सुदृढ़ हो गई है जिसके नतीजे में ग्रामीणों की आवाजाही सुगम हुई है। लाल गलियारे वाले नरगंजो के एक छोर से बुढ़ीखार के दूसरे छोर तक समेत अन्य ग्रामीण इलाकों में भी सड़क का जाल बिछ जाने से सभी तरह के वाहन अब सरपट दौड़ लगा रहे हैं। बोड़वा से नरगंजो की दूरी तो सिमट कर तो अब महज 12 किमी ही रह गई है। हालांकि कटहराटांढ़ से बांका के फुलहरा के बीच करीब आधी किमी सड़क संवेदक द्वारा यूं ही छोड़ देने से उतनी दूरी में आवाजाही मुश्किल हो जाती है। इसके अलावा सभी गांवों में अब स्कूलें, स्वास्थ्य केंद्र आदि से ले बोड़वा मुख्यालय में एपीएचसी से लेकर एफसीआई तक, तो वहीं पड़ोस के सिकरडीह में नए थाना भवन से ले ओबीसी छात्राओं हेतु छात्रावासों के कई भव्य भवनों का निर्माण हो रहा है। लोगों के अनुसार यह दीगर बात है कि एपीएचसी में कभी कोई डॉक्टर नहीं आते हैं।

शिकायतें:

बोड़वा को प्रखंड का दर्जा नहीं मिलने से होती है कई तरह की परेशानियां।

छोटे-मोटे कामों के लिए भी झाझा तक की लंबी दूरी पड़ती है नापनी।

आरटीपीएस सेवा एक भी दिन नहीं चलने से जातीय-आवासीय हेतु भी जाना पड़ता है झाझा।

नक्सल प्रभावित सर्किल नं.1 की सभी छह पंचायतें आज भी रेल नेटवर्क से कटी हैं।

बोड़वा को बांका से जोड़ने वाली सड़क में कटहराटांढ़-फुलहरा के बीच आधी किमी सड़क का नहीं हुआ है निर्माण।

सुझाव :

बोड़वा को अविलंब प्रखंड का दर्जा मिले।

बोड़वा समेत सर्किल नं.1 में नई रेललाइनें बिछाकर रेल की सुविधा दी जाए।

बोड़वा को बांका से जोड़ने वाली सड़क में कटहराटांढ़-फुलहरा के बीच आधी किमी सड़क का हो निर्माण।

खुलने के बाद से ही ठप पड़ी आरटीपीएस सुविधा को तत्काल बहाल कराया जाए।

बीडीओ, सीओ समेत सभी प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी हफ्ते में दो दिन बोड़वा में कैंप कर स्थानीय लोगों के कार्यों का निष्पादन करें।

लोगों ने सुनाई अपनी दर्द :

बोड़वा को प्रखंड का दर्जा और रेल की सुविधा मिले, तब ही हमलोगों को ज्यादा सुविधा होगी।

- विनय कुमार

बोड़वा को प्रखंड का दर्जा मिले तथा इसको झाझा और बांका से रेल से जोड़ा जाए, जिससे हमलोगों को ज्यादा फायदा होगा और परेशानी कम होगी।

-पिंटू वर्णवाल

प्रखंड स्तरीय कार्यों को ले झाझा जाना-आना काफी परेशानी भरा होता है। इसमें पैसा के अलावा पूरा दिन भी बर्बाद हो जाता है।

-मो. निसार

बोड़वा को प्रखंड का दर्जा मिले, साथ ही यहां के लोगों को प्रखंड मुख्यालय आने-जाने में काफी परेशानी होती है। प्रखंड होने पर वह परेशानी दूर होगी।

-मनीष पंडित

बोड़वा को प्रखंड का दर्जा और रेल की सुविधा मिले। यह दोनों होने से यहां के लोगों को काफी सुविधा होगी और यहां के व्यवसायी भी अच्छा चलेगा।

- संजय वर्णवाल

बोड़वा के प्रखंड नहीं होने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सरकार इसे शीघ्र प्रखंड बनाए।

- दिपक कुमार

बोड़वा को प्रखंड नहीं बनाए जाने से हर छोटे-मोटे काम हेतु भी झाझा की 25 किमी की दूरी नापनी पड़ती है।

- सनाउल्लाह अंसारी

बोड़वा प्रखंड बनने की सारी अहर्ता व पात्रता रखता है। आसपास की पंचायतों के साथ-साथ बांका जिले के भी कई प्रखंडों के लोगों का प्रमुख केंद्र है। इसे तत्काल प्रखंड बनाया जाए।

- बुद्धदेव बर्णवाल,व्यवसायी,बोड़वा

बोड़वा समेत सर्किल नं.1 के विकास के लिए रेल और प्रखंड का दर्जा जरूरी है। ताकि हमलोगों को इसकी सुविधा मिल सकें।

- जीकू कुमार, संचालक इमर्जेंसी हॉस्पीटल

झाझा को अनुमंडल एवं बोड़वा को प्रखंड का तत्काल दर्जा मिले। सर्किल नं.1 में रेल की सुविधा भी सुलभ हो।

- प्रदीप बर्णवाल,पूर्व मुखिया सह व्यवसायी

प्रखंड स्तरीय कार्यों को ले झाझा जाना-आना काफी परेशानी भरा होता है। इसमें पैसा के अलावा पूरा दिन भी बर्बाद हो जाता है। सरकार से अनुरोध है कि बोड़वा को तत्काल प्रखंड बनाए। यहां गंडो घाट के पास स्थित प्राकृतिक झरने तक संपर्क पथ बने तो पर्यटकों की आवाजाही का रास्ता खुलेगा।

- जितेश कुमार

बोड़वा के प्रखंड नहीं होने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सरकार इसे शीघ्र प्रखंड बनाए।

- सुमित कुमार

बोड़वा और सिमुलतला को प्रखंड का दर्जा और सर्किल नं.1 में नई रेललाइन बिछाकर रेल की सुविधा मिले।

- इश्तियाक अहमद,व्यवसायी

विधायक महोदय से बोड़वा को प्रखंड का दर्जा दिलाने और सांसद महोदय से रेल की सुविधा दिलाने की गुजारिश करते हैं।

- हैदर अली,सरपंच बोड़वा

प्रखंड का दर्जा और रेल की सुविधा नहीं होने से बोड़वा समेत सर्किल नं.1 की सभी पंचायतों के लोगों को काफी कष्ट व कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। छोटे से काम के लिए भी उन्हें झाझा की दौड़ लगानी पड़ती है। बोड़वा समेत सर्किल नं.1 के विकास के लिए बोड़वा को प्रखंड का दर्जा तत्काल मिले।

- गौरव सिंह राठौर, समाजसेवी

प्रखंड स्तरीय कार्यों को ले झाझा जाना-आना काफी परेशानी भरा होता है। इसमें पैसा के अलावा पूरा दिन भी बर्बाद हो जाता है।

- प्रदीप यादव

बोले जिम्मेदार:

अपनी पहल व प्रयासों से बोड़वा समेत सर्किल नं.1 में भी मैनें विकास के अनेकों कार्य करवाए हैं जिन कार्यों को ले पहले किसी ने ध्यान नहीं दिया था। सड़क,शिक्षा,स्वास्थ्य आदि की सुविधा पंचायत ही नहीं गांवों तक पहुंचायी गई है। विकास का यह क्रम आगे भी जारी रखा जाएगा। प्रदेश में जब भी नए अनुमंडल व प्रखंड बनेंगे तो उसमें अनुमंडल में झाझा एवं प्रखंड में बोड़वा एवं सिमुलतला का नाम पहले नंबर पर होगा। मै इस हेतुक सतत रूप से प्रयासरत हूं।

- दामोदर रावत,एनडीए विधायक,झाझा विधान सभा

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