Cutihar Vegetable Farmers Struggle for Fair Prices Amid Growing Production बोले कटिहार: नेपाल तक बाजार, किसानों को सरकारी मदद का इंतजार, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले कटिहार: नेपाल तक बाजार, किसानों को सरकारी मदद का इंतजार

कटिहार के दियारा क्षेत्र में सब्जी किसानों की मेहनत रंग ला रही है। 1000 हेक्टेयर में सब्जियों की खेती हो रही है, जिसमें परवल, तरबूज, और भिंडी शामिल हैं। हालांकि, किसानों को उचित कीमत नहीं मिल रही है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 28 April 2025 01:22 AM
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बोले कटिहार: नेपाल तक बाजार, किसानों को सरकारी मदद का इंतजार

कटिहार के सब्जी किसानों का दर्द प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज, मदन सिंह

कटिहार के कुरसेला, बरारी, मनिहारी और अमदाबाद के दियारा इलाकों में हरियाली ने एक नई उम्मीद जगा दी है। करीब 1000 हेक्टेयर में लहराती परवल, करेला, तरबूज, भिंडी और टमाटर की फसलें किसानों के सपनों को सींच रही हैं। सोनपुरिया और असमिया परवल की महक बिहार से लेकर नेपाल तक फैल चुकी है। अब जरूरत है बेहतर सरकारी समर्थन, कोल्ड स्टोरेज और बाजार प्रबंधन की, ताकि दियारा के मेहनती किसानों का पसीना और ज्यादा फल दे सके और कटिहार देश के सब्जी उत्पादन में एक नया मुकाम हासिल कर सके।

1000 हेक्टेयर में दियारा क्षेत्र में होती है सब्जी की खेती

50 गाड़ियों में हर दिन होती है सब्जी की आपूर्ति

05 प्रमुख किस्म के परवल का होता है उत्पादन

कटिहार जिले के कुरसेला से बरारी, मनिहारी और अमदाबाद तक फैले विशाल दियारा क्षेत्र में करीब 1000 हेक्टेयर जमीन पर किसान परवल, करेला, तरबूज, खीरा, भिंडी, मटर, टमाटर समेत कई तरह की सब्जियों की खेती करते हैं। खासतौर पर गोबराही दियारा, मलिनियां दियारा ,रानी दियारा और बकियां दियारा सब्जी उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं। गंगा किनारे बसा मनिहारी अनुमंडल भी सब्जी खेती में अपनी अलग पहचान रखता है।

यहां से बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल तक सब्जियों की आपूर्ति की जाती है।

गदाई दियारा है परवल का हब

मनिहारी और अमदाबाद प्रखंड के गदाई दियारा क्षेत्र परवल का मुख्य हब बन चुका है। सोनपुरिया, सादा, ढोलबज्जा, असमिया, चाइना बंबईया और कारगिल किस्मों का परवल देश के कई बड़े बाजारों की शोभा बढ़ा रहा है। मनिहारी प्रखंड के चौदह पंचायतों में से सात पंचायत - धुरियाही, दिलारपुर, बौलिया, बाघमारा, बघार, दक्षिणी एवं उत्तरी कांटाकोश - दियारा क्षेत्र में स्थित हैं। यहां के किसान पारंपरिक गेहूं और मक्का की जगह अब व्यावसायिक सब्जी खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं।

70 हेक्टेयर में मनिहारी में होती है सब्जी की खेती

मनिहारी के सम्पन्न किसान विजय कृष्ण सिंह ने बताया कि इस वर्ष मनिहारी में 70 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर सब्जी की खेती की गई है। हर दिन मनिहारी रेलवे स्टेशन के पास की सब्जी मंडी से लगभग 50 गाड़ियों में परवल, तरबूज समेत अन्य सब्जियां बिहार, बंगाल, असम और नेपाल भेजी जाती हैं। परवल की अच्छी गुणवत्ता के कारण इसकी मांग लगातार बढ़ रही है।

उत्पादन के बावजूद किसान को नहीं मिलता उचित कीमत

हालांकि परवल के बढ़ते उत्पादन के बावजूद किसानों को अभी भी उचित कीमत नहीं मिल पा रही है। एक लत्ती पर किसानों को दस हजार रुपये तक खर्च करना पड़ता है। यदि सरकार समय पर परवल की लत्ती सब्सिडी पर उपलब्ध कराए और रेलवे द्वारा सब्जियों के परिवहन के लिए विशेष मालबोगी की व्यवस्था हो, तो किसानों को बड़ी राहत मिल सकती है। इसके साथ ही हरी सब्जियों के भंडारण के लिए कोल्ड स्टोरेज और बाजार व्यवस्था मजबूत करना भी वक्त की जरूरत है, ताकि दियारा की मेहनत देश के कोने-कोने तक अपनी खुशबू फैला सके।

सुझाव:

1. किसानों को आधुनिक कृषि उपकरणों की सब्सिडी दी जाए ताकि उत्पादन में वृद्धि हो और उनकी मेहनत कम हो।

2. हरी सब्जियों के भंडारण के लिए कोल्ड स्टोरेज की सुविधा बढ़ाई जाए, ताकि उपज को खराब होने से बचाया जा सके और किसानों को अच्छा लाभ मिल सके।

3. रेलवे द्वारा सब्जी के परिवहन के लिए विशेष मालबोगी की व्यवस्था की जाए, ताकि सब्जियों का उचित और ताजगी में निर्यात किया जा सके।

4. परवल और अन्य फसलों के लिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करे, ताकि किसानों को उचित मूल्य मिले और बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाव हो सके।

5. किसानों को सिंचाई के लिए उचित जल आपूर्ति सुनिश्चित की जाए, खासकर गर्मी के मौसम में ताकि फसलें प्रभावित न हों।

शिकायतें:

1. किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है, जिससे उनका मुनाफा कम हो रहा है और वे घाटे में चल रहे हैं।

2. परवल की लत्ती की कीमत बहुत अधिक है (10,000 रुपये), जो किसानों के लिए खरीदना मुश्किल हो जाता है। इसे सब्सिडी दर पर उपलब्ध कराया जाए।

3. सब्जियों के परिवहन के लिए रेलवे द्वारा पर्याप्त मालबोगी नहीं उपलब्ध कराई जाती, जिससे सब्जियां खराब हो जाती हैं और किसानों को नुकसान होता है।

4. सब्जियों के बाजार में कीमतों की अस्थिरता रहती है, जिससे किसान हर मौसम में अपने उत्पाद का सही मूल्य प्राप्त नहीं कर पाते हैं।

5. किसानों को कृषि में सुधार और विकास के लिए पर्याप्त सरकारी सहायता और योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है, जिससे उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता है।

इनकी भी सुनें

मनिहारी में परवल का थोक भाव 15 से 20 रुपये तक है, जिससे किसानों को बहुत लाभ नहीं मिल पा रहा है। रेलवे को परवल के लिए विशेष मालबोगी उपलब्ध करानी चाहिए, ताकि किसान अपनी उपज बड़ी मंडी तक समय से पहुंचा सकें।

विजय कृष्ण सिंह

सरकार ने परवल की खेती में खर्च के हिसाब से उचित मूल्य नहीं निर्धारित किया है। किसान को बाजार में अपना उत्पाद ठीक मूल्य पर नहीं मिल रहा है, जिससे उनकी मेहनत का पूरा मूल्य नहीं मिल पाता।

मदन महतो

हम दियारा से नाव के सहारे मनिहारी मंडी तक परवल लाते हैं। यदि हम समय पर मंडी नहीं पहुंच पाते, तो परवल का उचित मूल्य नहीं मिलता। इससे हमारे लिए बड़ा नुकसान होता है।

राजा सिंह

दियारा की बालु में सब्जी की खेती संभव है, जिसमें अधिकतर किसान परवल लगाते हैं। लेकिन लागत के हिसाब से आमदनी नहीं हो रही है। यह किसानों के लिए बड़ी समस्या बन गई है।

धनराज महतो

सरकार अगर परवल के किसानों के लिए सब्सिडी पर लत्ती और खाद मुहैया कराए, तो किसानों को कुछ राहत मिलेगी और उनकी कठिनाइयाँ कम होंगी।

छोटू कुमार

हम दिल्ली और पंजाब नहीं जाकर यहां पर सब्जी की खेती करके अपना जीवन यापन कर रहे हैं। लेकिन सुविधाओं की कमी के कारण मंडी तक खुद अपनी उपज ले जाना हमारे लिए मुश्किल है।

जितेन्द्र महतो

सरकार अगर किसानों से उनकी उपज सीधे खरीद ले, तो उनका आर्थिक बोझ कुछ कम होगा और किसान अच्छे भाव में अपनी फसल बेच पाएंगे।

सुभाष महतो

मनिहारी और अमदाबाद के दियारा क्षेत्रों से हर दिन सैकड़ों क्विंटल परवल आता है। लेकिन व्यापारी की कमी के कारण परवल मनमाने भाव पर बेचना पड़ता है, जो किसानों के लिए मजबूरी बन जाता है।

पाचु महतो

हमने अपने परिवार के साथ मिलकर दो बिगहा खेत में सब्जी की खेती की है। इस खेती के सहारे ही पूरा परिवार चल रहा है। खेती से ही हमें अपनी रोजी-रोटी मिलती है।

दुलारी देवी

दियारा का खेत सब्जी के लिए उपजाऊ है, लेकिन बाजार में सब्जी का उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण हमें मुनाफा नहीं हो पाता। सरकार को इसे सुधारने की दिशा में कदम उठाने चाहिए।

बंसीधर चौथरी

यहां का परवल बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल तक जाता है, साथ ही तरबूज और खीरे की पैदावार भी अधिक होती है। लेकिन आवागमन और मंडी की सुविधाओं के अभाव में हम सही मूल्य नहीं प्राप्त कर पाते।

लालमोहर महतो

हम एक दशक से लगातार सब्जी की खेती कर रहे हैं, लेकिन किसी भी सरकार ने किसानों के हित में ठोस कदम नहीं उठाए हैं। यह समस्या अभी भी बनी हुई है।

रामेश्वर महतो

हम दियारा से नाव के माध्यम से परवल लेकर मनिहारी मंडी पहुंचते हैं। यदि बाहर का व्यापारी नहीं आता, तो हमें उचित मूल्य नहीं मिलता। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।

रवि महतो

मनिहारी रेलवे स्टेशन पर किसानों के लिए विशेष व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे वे आसानी से अपने परवल को बाहर की मंडियों तक पहुंचा सकें और अच्छा मूल्य पा सकें।

रामेश्वर महतो

इस वर्ष खगड़िया और मानसी से परवल की लत्ती 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल खरीद कर लाए थे। सरकार को इस पर सब्सिडी लागू करनी चाहिए ताकि किसानों को राहत मिल सके।

धर्मेंद्र महतो

कोसी सीमांचल, पश्चिम बंगाल और नेपाल तक परवल जाता है, लेकिन मनिहारी में किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अगर यहां समाधान हो जाए, तो दिल्ली और पंजाब जाने की आवश्यकता नहीं होगी।

मुकेश कुमार

जिम्मेदार

किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, हम लगातार उनके लिए योजनाएं बना रहे हैं। परवल किसानों के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे। साथ ही, सरकारी सब्सिडी और बेहतर सुविधाओं की व्यवस्था भी की जाएगी, ताकि किसानों को राहत मिल सके।

मिथिलेश कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी, कटिहार

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