Thalassemia Patients and Families Demand Better Healthcare Facilities in Purnia District बोले पूर्णिया : समुचित जांच और मनोरंजन की हो व्यवस्था तो मिले राहत, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
Hindi NewsBihar NewsBhagalpur NewsThalassemia Patients and Families Demand Better Healthcare Facilities in Purnia District

बोले पूर्णिया : समुचित जांच और मनोरंजन की हो व्यवस्था तो मिले राहत

पूर्णिया जिले में 215 से अधिक थैलीसीमिया पीड़ित हैं। हर महीने 15 से 20 दिन के अंतराल पर रक्त चढ़ाना आवश्यक है। परिजनों ने बेहतर चिकित्सा सुविधाओं की मांग की है, क्योंकि वर्तमान में कई समस्याएं हैं।...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 28 April 2025 01:27 AM
share Share
Follow Us on
बोले पूर्णिया : समुचित जांच और मनोरंजन की हो व्यवस्था तो मिले राहत

थैलीसीमिया पीड़ित रोगी व उनके परिजनों की परेशानी : प्रस्तुति-कुंदन कुमार।

थैलेसीमिया मरीजों के साथ परिजनों ने कहा, मिले बेहतर सुविधा तो मिलेगी राहत :

जिले में थैलीसीमिया के दो सौ से अधिक रोगी है। इन रोगियों में दो से 18 वर्ष से अधिक उम्र के भी रोगी शामिल है। इन रोगी को प्रत्येक माह पंद्रह से बीस दिन के अंतराल पर रक्त चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। थैलीसीमिया पीड़ित रोगी के परिजनों की माने तो पूरे सीमांचल में थैलेसीमिया रोगी की संख्या तीन सौ से अधिक है। इनमें सबसे ज्यादा रोगी पूर्णिया जिले में शामिल है। पूर्णिया जिले में शहरी क्षेत्र से लेकर सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में बनमनखी, अमौर, डगरुआ, बायसी से लेकर शहरी क्षेत्र पूर्णिया में बड़ी संख्या में थैलेसीमिया पीड़ित रोगी है। इन रोगियों के सामने समुचित उपचार को लेकर कई तरह की परेशानी खड़ी होती है। थैलेसीमिया पीड़ित अभिभावकों की मानें तो समय समय पर अपनी परेशानी को लेकर स्वास्थ्य प्रशानिक अधिकारी से इस संदर्भ में कई बार अपनी बात रख चुके है। इनमें कुछ परेशानी दूर हुई है तो कुछ परेशानियों को लेकर लगातार गुहार लगाते रहे हैं। मगर इनकी परेशानी इसके बाद भी दूर नहीं हुई है। इसे लेकर अधिकारी से अपनी बात बराबर रखते रहे हैं।

-जिले में 215 की संख्या में थैलेसीमिया पीड़ित रोगी है।

-प्रत्येक दिन कम से कम 6 रोगी को रक्त चढ़ाने की जरूरत पड़ती है

-मेडिकल कॉलेज अस्पताल में थैलेसीमिया रोगी को उपचार के लिए 16 बेड की है सुविधा

जिले में दो सौ से अधिक संख्या में थैलेसीमिया पीड़ित रोगी हैं। इन पीड़ित रोगी और उनके परिजन के सामने उपचार को लेकर कई तरह की परेशानी की सामने आती है। यह परेशानी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इंडोर सुविधा से लेकर आउटडोर सुविधा तक है। दोनों तरह की सुविधा में कुछ न कुछ परेशानी इनके लिए मुश्किल कर देती है। इन परेशानियों को लेकर हिन्दुस्तान की तरफ से बोले पूर्णिया को लेकर जब बात की गई तो थैलेसीमिया पीड़ित रोगी और इनके परिजनों ने दोनों चिकित्सा सुविधा में कई परेशानियों के बारे में अपनी परेशानी रखी । थैलेसीमिया पीड़ित रोगी ब्रजेश कुमार ने इंडोर सुविधा से लेकर आउटडोर दोनों सुविधाओं में आ रही परेशानी पर अपनी बात रखी है। ब्रजेश बताते हैं कि थैलेसीमिया डे केयर की सुविधा बहुत सुविधा जनक नहीं है। यहां रोगी की सेवा में लगाए गए कर्मी की संख्या कम है। इनके अलावा बच्चों के मनोरंजन के लिए किसी तरह की सुविधा नहीं है। इसी तरह से आउटडोर की सुविधा में थैलेसीमिया पीड़ित रोगी को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आउटडोर के ऊपरी भवन में बच्चो को जाना पड़ता है। यह अपने आप में एक बड़ी परेशानी पीड़ित रोगी और उनके अभिभावकों के सामने है। ये बताते है कि चुकी थैलीसीमिया पीड़ित रोगी किसी न किसी तरह की परेशानी में चिकित्सक को दिखाने के लिए पहुंचते हैं। यह परेशानी रोगी को दिखाने या फिर रक्त चढ़ाने जैसी किसी तरह की परेशानी होने की स्थिति में पीड़ित रोगी अस्पताल आते हैं। ऐसे में छोटे छोटे पीड़ित रोगी को ऊपरी भवन पर चढ़कर जाना एक बड़ी परेशानी का सबब है। इसलिए थैलेसीमिया पीड़ित रोगी को देखने के लिए चिकित्सक की देखने की सुविधा नीचे वाले भवन में किया जाना चाहिए। यहां अभी लिफ्ट शुरु नहीं हुई है। यह सुविधा भी हो जाती है दिक्कत दूर होगी। यहां पीड़ित रोगी को आयरन कम करने वाली दवा अच्छी नहीं है। इससे परेशानी बढ़ जाती है। इसलिए यह दवा बदला जाना चाहिए। इसकी लिए मांग की गई है। थैलेसीमिया पीड़ित रोगी के अभिभावक पवन कुमार झा बताते है कि थैलीसीमिया डे केयर की सुविधा को बेहतर करने की जरूरत है। ये बताते है कि पूर्व में जिस तरह से बच्चा वार्ड में एक अथवा दो प्रशिक्षित एएनएम नर्स सिस्टर के देखरेख में ब्लड ट्रांसफ्यूजन और बच्चों की देखभाल की जाती थी । उसी प्रकार से सुबह 10 बजे से शाम के 7 बजे तक उनकी निगरानी में इन बच्चों को रक्त चढ़ाने की सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए। यहां मेडिकल कॉलेज अस्पताल में थैलेसीमिया पीड़ित रोगी को देखने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है। इसलिए एक स्पेशल डाक्टर हीमोटॉलॉजिस्ट की नियुक्ति ओपीडी में प्रत्येक दिन के लिए करवाई जानी चाहिए। पूर्व की भांति जिस तरह से ओपीडी में इन बच्चों को एडमिट लिखने के बाद वार्ड में डाक्टर साहब एक दिन में दो बार सुबह शाम वार्ड में भिजिट करने के लिए आते थे। उसी प्रकार से डाक्टर साहब कम से कम एक या दो बार डे केयर सेंटर में बच्चों के निरीक्षण के लिए आना चाहिए। रोगी के अभिभावक का कहना है कि थैलेसीमिया पीड़ित रोगी काफी दूर दराज से आने वाले पेशेंट को सीबीसी करवाने के बाद ही ब्लड ट्रांसफ्यूजन होता है। ऐसी स्थिति में यदि डे केयर सेंटर के अंदर हीं मैनुअल हीमोग्लोबिन या सीबीसी टेस्ट करने की व्यवस्था कर दी जाए तो इन बच्चों को समय की बचत होगी और इन्हें ब्लड बैंक में रिपोर्ट जमा करके ब्लड लेने में आसानी होगी। इनके अलावा वर्तमान समय में डे केयर सेंटर में चिकित्सकीय सुविधा के साथ अन्य सुविधा की भी कमी है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अंदर बने डे केयर की सुविधा में लगे सभी एसी बिल्कुल खराब हालत में है। एक भी एसी की सुविधा उपलब्ध नहीं है।

अस्पताल डे केयर सेंटर में जांच की सुविधा होनी चाहिए:

बिहार के अधिकांश मेडिकल कॉलेज अस्पताल एवं सभी डे केयर सेंटर में सीरम फैरेटीन टेस्ट और एचपीसीएल थैलेसीमिया टेस्ट की मशीन उपलब्ध है। सभी बच्चों को ससमय टेस्ट होने से उचित दवाई और इलाज संभव हो पाता है। राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल जीएमसीएच में यह टेस्ट नहीं होने से काफी गरीब परिवार सीरम फैरेटीन टेस्ट आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण से नहीं करवा पाते हैं। इसकी समुचित व्यवस्था करवाई जाए।

पीड़ित बच्चों के लिए प्ले जोन की सुविधा हो:

जिले के 215 थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए डे केयर सेंटर बनाया गया है । उसमें इन छोटे मासुम बच्चों के लिए प्ले जोन की व्यवस्था नहीं है, और न ही कोई टीवी, कैमरा,या खेल मनोरंजन का संसाधन है। जबकि ऐसे पीड़ादायक कष्ट से जुझ रहे थैलेसीमिया बच्चों के लिए बिहार के अन्य 5 डे केयर सेंटर में काफी खुशहाली भरे मनोरंजक माहौल में ब्लड ट्रांसफ्यूजन की सुविधा उपलब्ध है। इन लोगों की मांग कि एक प्ले जोन की व्यवस्था करवाई जाए।

-शिकायत

-थैलेसीमिया पीड़ित रोगी के लिए आयरन कम करने वाली दवा अच्छी नहीं है।

-डे केयर सेंटर में बच्चो के मनोरंजन के लिए सुविधा नहीं

-थैलेसीमिया पीड़ित रोगी को देखने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है।

-आउटडोर में ऊपरी भवन में बच्चो को देखने की सही नहीं है।

-थैलेसीमिया पीड़ित रोगी के जांच के लिए दे केयर सेंटर में सुविधा नहीं

-सुझाव:

-थैलेसीमिया पीड़ित रोगी को आयरन कम करने वाली अच्छी कंपनी की दवा मिले

-डे केयर सेंटर में बच्चो के लिए मनोरंजन की सुविधा हो

-थैलेसीमिया पीड़ित रोगी को देखने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक की सुविधा हो

-आउटडोर में थैलेसीमिया पीड़ित रोगी को देखने के लिए नीचे देखने की सुविधा की जाय

-थैलेसीमिया पीड़ित रोगी के लिए डे केयर सेंटर में जांच की सुविधा हो

- हमारी भी सुनें :

1. थैलीसीमिया पीड़ित रोगी को आयरन की कम करने वाली अच्छी नहीं मिलती है। यह पूरी तरह से कारगर नहीं है। इसलिए अभी मिलनी वाली दवा की जगह अच्छी दवा मिलनी चाहिए।

ब्रजेश कुमार, थैलीसीमिया पीड़ित

2. थैलीसीमिया पीड़ित रोगी के लिए डे केयर सेंटर में प्ले जोन यानी मनोरंजन के लिए साधन सुलभ नहीं है। यह सुविधा डे केयर में सुनिश्चित की जानी चाहिए। इससे छोटे बच्चे को स्वस्थ्य मनोरंजन मिलेगा।

मोहित, परिजन

3. मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जैसे पूर्व में जिस तरह से बच्चा वार्ड में एक या फिर दो प्रशिक्षित एएनएम नर्स सिस्टर के देखरेख में ब्लड ट्रांसफ्यूजन और बच्चों की देखभाल की जाती थी। इसी प्रकार से देखा जाना चाहिए।

मो. मुबारक, परिजन

4. थैलीसीमिया पीड़ित रोगी को डे केयर सेंटर में सुबह 10 बजे से शाम के 7 बजे तक प्रशिक्षित एएनएम के निगरानी में पीड़ित बच्चों को रक्त चढ़ाने की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

खुशबू खातुन

5. मेडिकल कॉलेज अस्पताल में थैलीसीमिया पीड़ित रोगी के लिए एक स्पेशल डाक्टर हेमाटोलॉजिस्ट की नियुक्ति ओपीडी में प्रत्येक दिन के लिए करवाई जाए। इससे पीड़ित रोगी को राहत मिलेगी।

मो. फिरोज आलम, परिजन

6. थैलीसीमिया पीड़ित रोगी को पूर्व की भांति जिस तरह से ओपीडी में इन बच्चों को एडमिट लिखने के बाद वार्ड में डा. साहब एक दिन में दो बार सुबह शाम वार्ड में भिजिट करने के लिए आते थे। इसी तरह से आएं।

दीपक कुमार

7. थैलीसीमिया पीड़ित रोगी को डे केयर में नियमित रूप से चिकित्सक का निरीक्षण हो। इससे भर्ती रोगी को देखा जा सकेगा और उनकी परेशानी तत्क्षण दूर हो सकेगी। इसलिए यह सुविधा की जानी चाहिए।

मो. इम्तियाज, परिजन

8. काफी दूर दराज से आने वाले थैलीसीमिया पीड़ित रोगी को सीबीसी जांच करवाने के बाद ही ब्लड ट्रांसफ्यूजन होता है। ऐसी स्थिति में यदि डे केयर सेंटर के अंदर सुविधा प्रदान की जाय तो बेहतर रहेगा।

पवन कुमार, परिजन

9. थैलीसीमिया पीड़ित रोगी को डे केयर सेंटर में हीं मैनुअल हीमोग्लोबिन की व्यवस्था कर दी जाए तो रोगी को काफी राहत मिलेगी और इनकी परेशानी में कमी आयेगी।

चुन्नी खातुन, परिजन

10. सभी जगहों पर डे केयर सेंटर में सीरम फैरेटीन टेस्ट और एचपीसीएल थैलेसीमिया टेस्ट की मशीन उपलब्ध है। यहां जीएमसीएच में यह सुविधा नहीं है। इसे सुलभ किया जाना चाहिए।

साबरा खातुन, परिजन

11.थैलीसीमिया पीड़ित बच्चों को ससमय टेस्ट होने से उचित दवाई और इलाज संभव हो पाता है। इसलिए पीड़ित रोगी की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए ताकि परेशानी कम हो

शबाना, परिजन

12.जिले में थैलीसीमिया पीड़ित रोगी की संख्या अधिक है। लेकिन यहां जीएमसीएच में सीरम फैरेटीन टेस्ट नहीं होने से यह जांच बाहर में कराने में काफी खर्च आता है। इसलिए इसका सुविधा की जानी चाहिए।

शुभम वर्मा, सहयोगी

13. जिले में 200 सौ से अधिक थैलीसीमिया पीड़ित है। इन पीड़ितो में अधिकाश बच्चे हैं। इसलिए डे केयर सेंटर में छोटे मासुम बच्चों के लिए प्ले जोन बनाया जाना चाहिए।

निरंजन कुमार, परिजन

14. मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डे केयर सेंटर में न ही कोई टीवी या खेल मनोरंजन का संसाधन है। इसलिए पीड़ित मासूम बच्चों के लिए इस तरह की सुविधा की जानी चाहिए।

मीनू , परिजन

15.अस्पताल के अंदर चल रहे डे केयर सेंटर में एसी की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसलिए गर्मी को देखते हुए इस तरह की सुविधा सुनिश्चित की जानी चाहिए। ताकि रोगी को राहत मिले।

ललीता कुमारी , परिजन

16. जिले में थैलीसीमिया पीड़ित रोगी की संख्या अधिक है। ऐसे में प्रत्येक पन्द्रह से बीस दिनों के अंतराल पर पीड़ित को उपचार या फिर रक्त की जरूरत होती है। इसलिए सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए।

रेखा कुमार, परिजन

17. थैलीसीमिया पीड़ित रोगी के लिए आउटडोर में उपरी भवन में जाने की परेशानी को दूर करने के लिए ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि मरीज को दिक्कत कम से कम हो सके।

महेन्द्र बासकी, परिजन

18. जिले में थैलीसीमिया पीड़ित रोगी के सामने इंडोर से लेकर आउटडोर तक अलग अलग कई परेशानी है। विभाग को इन पीड़ितों के लिए समय समय पर ध्यान देना चाहिए ताकि परेशानी से बचे रहें।

पिंकी देवी , परिजन

-बोले जिम्मेदार:

-राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में थैलीसीमिया पीड़ित रोगी के लिए डे केयर की सुविधा है। आगे आने वाले दिनों में मनोरंजन के साधन भी किए जायेंगे। आउटडोर में रोगी की तकलिफ को देखते हुए दो लिफ्ट की सुविधा शीघ्र शुरु हो रही है। इससे ऊपरी भवन में जाने की परेशानी कम हो जायेगी। आयरन कम करने वाली अच्छी दवा के लिए राज्य को इनके दिए गए पत्र के आलोक में अवगत कराया गया है। शीघ्र हीं कोई समाधान मिलेगा। चूंकि अभी पूर्ण रूप से मेडिकल कॉलेज तैयार नहीं है। तैयार होने के साथ सुविधाएं बढ़ जायेंगी।

-डॉ संजय कुमार, अधीक्षक जीएमसीएच पूर्णिया।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।