बोले मुंगेर : अतिक्रमित सड़क पर लगता है जाम, बंद पड़े हैं सीसीटीवी कैमरे
मुंगेर जिले का धरहरा बाजार 21 गांवों और 11 पंचायतों के लोगों का प्रमुख व्यापारिक केंद्र है, जहां हर महीने लगभग 200 करोड़ रुपये का व्यापार होता है। हालांकि, यहां की मूलभूत सुविधाओं की कमी से व्यापारी...
मुंगेर जिले के धरहरा प्रखंड का बाजार एक प्रमुख स्थानीय व्यापारिक केंद्र है, जो लगभग एक किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है। यह बाजार 21 गांव और 11 पंचायतों के लोगों की आर्थिक धुरी है। यहां हर महीने लगभग 200 करोड़ रुपये का व्यापार होता है। इसके बावजूद यह बाजार एवं यहां के व्यापारी अनेक आधारभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहे है। स्थानीय व्यापारी और आम लोग बाजार को नगर परिषद में शामिल करने और इसे चैंबर ऑफ कॉमर्स के संरक्षण में लाने की मांग कर रहे हैं। उनकी समस्याओं एवं मांगों को लेकर उनके साथ धरहरा बाजार में ही हिन्दुस्तान द्वारा संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें उन्होंने अपनी बातें खुलकर रखीं।
01 किलोमीटर से अधिक के दायरे में फैला धरहरा बाजार 21 गांवों एवं 11 पंचायतों के लोगों का है व्यापारिक केंद्र 02 सौ 50 से अधिक हैं विभिन्न वस्तुओं की दुकानें 02 सौ करोड़ रुपये का हर महीने यहां होता है व्यवसाय धरहरा बाजार में विभिन्न वस्तुओं की 250 दुकानें हैं, जिनमें से 100 ही पंजीकृत हैं। आसपास के गांवों के हजारों लोग रोजाना यहां खरीदारी के लिए आते हैं। इसके बावजूद यह बाजार न केवल प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार है, बल्कि बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित है। संवाद में यहां के व्यवसायियों ने बताया कि, यहां सबसे बड़ी समस्या यह है कि, धरहरा बाजार में चैंबर ऑफ कॉमर्स जैसी संस्था का अभाव है। इसके कारण, व्यापारियों की आवाज सही ढंग से प्रशासन तक नहीं पहुंच पाती है। यही नहीं, जिले में कई बाजारों को नगर परिषद में शामिल किया गया है, लेकिन मांग के बावजूद इसे नगर परिषद में शामिल नहीं किया गया है। यदि इस बाजार को भी नगर परिषद में शामिल किया गया होता तो इसका समुचित विकास हो पाता। स्थानीय व्यापारी प्रशांत शेखर सिंह ने मांग की है कि, इस बाजार को पंजीकृत कर चैंबर ऑफ कॉमर्स के संरक्षण में लाया जाए तथा इसे नगर परिषद में शामिल किया जाए, ताकि यहां व्यवस्थित विकास हो सके और हमारी आवाज को संरक्षण मिले। सड़कों का कर लिया है अतिक्रमण : वहीं, बाजार में मूलभूत सुविधाओं की बात करते हुए व्यवसायियों ने बताया कि बाजार में महिलाओं के लिए शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पिंक शौचालय की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। बाजार में पार्किंग की भी कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। रेलवे द्वारा जो पार्किंग स्थल बनाया गया है, वह बारिश के दिनों में कीचड़ में तब्दील हो जाता है और सुविधा के नाम पर वहां कुछ भी उपलब्ध नहीं है। इसके बावजूद वाहन चालकों से 70 रुपए की वसूली की जाती है, चाहे वे पार्किंग करें या नहीं। बाजार की सड़कों पर भी अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है। कई दुकानदार अपनी दुकान से बाहर सामान फैलाकर व्यापार करते हैं, जिससे सड़कें संकरी हो गई हैं और यातायात बाधित हो गया है। बंद पड़े हैं सीसीटीवी कैमरे: दुकानदारों ने कहा कि बाजार में सुरक्षा के मद्देनजर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, लेकिन वे सभी बंद पड़े हैं। नतीजतन, चोरी की घटनाएं आम हो गई हैं। हाल ही में एक ही स्वर्ण व्यवसायी की दुकान में तो लगातार छह बार चोरी हो चुकी है। व्यवसायियों ने बताया कि बाजार में शुद्ध पेयजल की भी कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे गर्मियों में दुकानदारों और ग्राहकों को भारी परेशानी होती है। इसके अलावा बाजार में नालों की भी समुचित व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण बारिश के दिनों में पानी दुकानों के भीतर चला जाता है और लाखों की क्षति होती है। उन्होंने कहा कि, यहां के बाजार में सब्जी और फुटपाथी दुकानदारों के लिए कोई निर्धारित स्थान नहीं है। ऐसे में, वे रेलवे की जमीन पर दुकान लगाने को मजबूर हैं। इसके साथ ही, बाजार में कई एलईडी लाइटें खराब पड़ी हैं, जिससे शाम के समय अंधेरा रहता है और सुरक्षा का संकट बना रहता है। इसके अलावा बैंक से लोन की व्यवस्था में भी भ्रष्टाचार व्याप्त है। बिना 10 प्रतिशत रिश्वत दिए लोन नहीं मिल पा रहा है, जिससे छोटे व्यापारी हताश हैं। धरहरा बाजार को नगर परिषद में शामिल कर उसे व्यवस्थित रूप से विकसित करने की आवश्यकता है। प्रशासन को चाहिए कि, वह इस बाजार की समस्याओं को गंभीरता से लेकर शीघ्र समाधान प्रदान करे। यदि धरहरा बाजार को चैंबर ऑफ कॉमर्स का संरक्षण और समुचित सुविधाएं मिलें, तो यह क्षेत्रीय व्यापार का आदर्श केंद्र बन सकता है। शिकायत 1. धरहरा बाजार में महिलाओं के लिए शौचालय और पिंक टॉयलेट की अनुपलब्धता एक बड़ी समस्या है। ऐसे में महिलाओं को बुनियादी सुविधा से वंचित होना मजबूरी बन गई है। 2. बाजार की सड़कों पर अतिक्रमण के कारण यातायात बाधित हो रहा है और दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। 3. बाजार में सुरक्षा के लिए लगे कैमरे बंद हैं, जिससे जिससे अपराध की निगरानी व्यवस्था कमजोर है। ऐसे में, यहां के व्यवसायी स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। 4. बाजार में गर्मियों में पानी की भारी किल्लत होती है और बारिश में दुकानें जलमग्न हो जाती हैं। 5. रेलवे द्वारा बनाए गए पार्किंग क्षेत्र में सुविधा के अभाव में भी वाहनों से 70 रुपए की वसूली होती है, जिससे व्यापारियों और ग्राहकों में आक्रोश है। सुझाव: 1. नगर परिषद या सीएसआर फंड से महिला एवं पुरुष दोनों के लिए स्वच्छ शौचालय की व्यवस्था हो। 2. व्यापारियों का चैंबर ऑफ कॉमर्स गठन कर बाजार को पंजीकृत किया जाए। इससे व्यापार व्यवस्थित होगा और विकास योजनाएं सुचारू रूप से लागू हो सकेंगी। 3. बाजार में सभी सीसीटीवी कैमरों को पुनः चालू कर अपराधों की निगरानी मजबूत की जाए। थाने से जुड़ा लाइव निगरानी सिस्टम विकसित किया जाए। 4. बाजार में शुद्ध पेयजल व्यवस्था की जाए, सार्वजनिक नल स्थापित किए जाएं और जल निकासी के लिए नाला का निर्माण कराया जाए। नाले की मरम्मत और जलजमाव रोकने के लिए समुचित ड्रेनेज सिस्टम बनाना जरूरी है। 5. रेलवे पार्किंग में पेवर ब्लॉक बिछाया जाए, चहारदीवारी और पारदर्शी शुल्क प्रणाली लागू की जाए। पार्किंग शुल्क की रसीद अनिवार्य की जाए और अन्य सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं। इनकी भी सुनिए सड़क अतिक्रमित रहने के कारण धरहरा बाजार का विकास नहीं हो रहा है। इस पर स्थानीय प्रशासन और रेल प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। -भगवान कुमार साह नाले का निर्माण अधूरा किया गया है। जल निकासी का कोई साधन नहीं है, जिससे बारिश का पानी दुकानों के अंदर घुस जाता है। -नीरज यादव धरहरा बाजार में चैंबर ऑफ कॉमर्स नहीं है। इसे पंजीकृत कर चैंबर ऑफ कॉमर्स के संरक्षण में लिया जाना चाहिए। -प्रशांत शेखर भीषण गर्मी में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। सात निश्चय योजना के अंतर्गत शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की जानी चाहिए। -धीरज कुमार धरहरा ब्लॉक पास में है, फिर भी बाजार की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ब्लॉक के अधिकारी इसी रास्ते से गुजरते हैं, लेकिन फिर भी उदासीनता बनी हुई है। -विष्णु सिंह धरहरा बाजार में सार्वजनिक शौचालय का निर्माण किया जाना चाहिए, जिससे दुकानदारों और ग्राहकों को सुविधा मिले। -राहुल कुमार धरहरा बाजार में सुरक्षा की दृष्टि से कोई कारगर कदम नहीं उठाए गए हैं। चोर दिनदहाड़े चोरी कर रहे हैं। हाल ही में स्वर्ण व्यवसायी की दुकान में कई बार चोरी हुई है। -बिट्टू कुमार बाजार में रोशनी की समुचित व्यवस्था नहीं है। न तो पंचायत में हाईमास्ट लाइट लगी है और न ही खंभों पर लगी लाइटें चालू हैं। -संजय गुप्ता व्यवसायियों को सरल तरीके से ऋण नहीं मिल पा रहा है। बैंक में चक्कर लगाने के बाद भी 10 प्रतिशत कमीशन की मांग की जाती है। -सौरभ कुमार बाजार में शुद्ध और ठंडे पेयजल की व्यवस्था नहीं है। कई बार मांग की गई, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई। -निरंजन कुमार बाजार में सीसीटीवी कैमरे हैं, लेकिन सभी बंद हैं। साथ ही लाइटें खराब हैं, जिससे अंधेरे का फायदा उठाकर चोर चोरी कर लेते हैं। -तौकिर बाजार के अधिकांश हिस्सों में नल-जल योजना का लाभ नहीं पहुंच पाया है। साथ ही सड़क किनारे अतिक्रमण के कारण यातायात अव्यवस्थित हो गया है। -उमेश साह फुटपाथी दुकानदारों के लिए कोई निर्धारित बाजार नहीं है। वे रेलवे की जमीन पर दुकान लगाने को मजबूर हैं। -मुकेश कुमार धरहरा बाजार में पार्किंग की उचित व्यवस्था नहीं है। ग्राहक वाहन पार्क करने में असमर्थ होते हैं और खरीदारी के लिए जमालपुर चले जाते हैं। -सुजीत कुमार हल्की हवा और बारिश में बिजली के तार टूट जाते हैं, जिससे घंटों बिजली बाधित रहती है। यदि तारों को अंडरग्राउंड कर दिया जाए तो समस्या से राहत मिल सकती है। -टुबी कुशवाहा बरसात के मौसम में रेलवे पार्किंग कीचड़ से भर जाती है। फिसलन के कारण बुजुर्ग गिरकर चोटिल हो जाते हैं। -धीरज कुमार बोले प्रतिनिधि धरहरा के व्यवसायी यदि चैंबर ऑफ कॉमर्स से जुड़ने के इच्छुक हों तो आकर मिल सकते हैं। चैंबर ऑफ कॉमर्स के संविधान के अनुसार 25 लोगों की एक यूनिट होती है। धरहरा में भी एक यूनिट बनाई जा सकती है। इसके लिए वहां के व्यापारियों को पहल करनी होगी। वे प्रयास करें, हमारा पूरा सहयोग मिलेगा। -अशोक सितारिया, चैंबर ऑफ कॉमर्स, मुंगेर बोले जिम्मेदार धरहरा बाजार के व्यवसायियों की मांग वाजिब है। शौचालय निर्माण का प्रावधान जैसे ही आता है, निर्माण करवा दिया जाएगा। मार्केट में सरकारी जमीन को लेकर एक समस्या उत्पन्न हो जाती है, क्योंकि हम किसी की निजी जमीन पर निर्माण नहीं कर सकते। इसके लिए कम्युनिटी टॉयलेट का एक प्रावधान है, जो महादलित वर्ग के लिए होता है। यदि इसी प्रावधान से निर्माण संभव हो, तो हम उसे बना सकते हैं। इस संबंध में यहां के व्यवसायी मुझसे मिलें और यदि वे एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) प्रदान करते हैं, तो हम शौचालय बनवा देंगे। जहां तक पानी की समस्या का सवाल है, जिन-जिन स्थानों से मुझे शिकायतें मिल रही हैं, वहां पीएचईडी के माध्यम से मरम्मत का कार्य कराया जा रहा है। सार्वजनिक पेयजल की समस्या के संबंध में स्थानीय मुखिया जी से बात कर नल-जल योजना का लाभ लिया जा सकता है। – राकेश कुमार, प्रखंड विकास पदाधिकारी, धरहरा
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