बोले सहरसा : पुराने बांध के निर्माण से पुनर्वास के लोगों को मिल सकेगी राहत
कोसी पुनर्वास योजना के तहत केदली पुनर्वास गांव में 1984 में टूटे तटबंध के कारण हर साल बाढ़ की समस्या उत्पन्न हो रही है। 5000 से अधिक परिवारों को हर वर्ष जलभराव का सामना करना पड़ता है। स्थानीय लोग...
कोसी पुनर्वास योजना के तहत बनाई गई केदली पंचायत के केदली पुनर्वास गांव, असैय व पहाड़पुर के सामने कोसी पूर्वी तटबंध वर्ष 1984 में टूट गया था। कोसी पूर्वी तटबंध के टूटने से तटबंध के पूर्वी भाग में बड़े पैमाने पर तबाही मची थी। वहीं तत्कालीन कोसी पूर्वी तटबंध के बाहर स्थित केदली पुनर्वास में बड़े पैमाने हुई तबाही की निशानी आज भी मौजूद है। पुनर्वास पदाधिकारी कोसी योजना सुपौल द्वारा नोटिस भेजे जाने के बाद इलाके में हलचल मची है। हिन्दुस्तान के साथ संवाद के दौरान पुनर्वास में रहने वाले लोगों ने अपना दर्द बयां किया। उनका कहना है कि प्रशासन उनलोगों की स्थिति पर ध्यान दे। वस्तुस्थिति की जांच उचित फैसला करे।
19 सौ 84 में कोसी पूर्वी तटबंध टूटने से पुनर्वास गांव नदी की जद में
05 हजार से अधिक परिवार हर साल काेसी नदी के बाढ़ व कटाव की जद मेंआते हैं
03 पुनर्वास गांव केदली, असैय, पहाड़पुर फिर से कोसी नदी के भीतर समाए
सरकार द्वारा कोसी नदी से विस्थापित परिवारों को सुव्यवस्थित रूप से बसाने के लिए बसाया केदली पुनर्वास आज भी कोसी पूर्वी तटबंध के टूटने से परेशान है। इसे लेकर सरकार व स्थानीय प्रशासन द्वारा कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा है। क्षतिग्रस्त हो चुके कोसी पूर्वी तटबंध के लगभग दो किलोमीटर लंबाई में निर्माण के लिए सरकार द्वारा 41 साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
वर्ष 1984 में क्षतिग्रस्त कोसी पूर्वी तटबंध को नये सिरे बनाया गया। इसमें तीन पुनर्वासित गांव को नदी के भीतर छोड़ दिया गया, जबकि उस गांव में हजारों परिवारों को होने वाली परेशानी को लेकर कोई पहल नहीं की गई। केदली पुनर्वास गांव में एक हजार से अधिक परिवारों को हर साल बाढ़ व जलभराव की परेशानी का सामना करना पड़ता है। गांव में दर्जनों परिवारों को बाढ़ के दौरान गृहक्षति का नुकसान हर साल उठाना पड़ता है। बड़े पैमाने पर गांवों में सड़क क्षतिग्रस्त हो जाने से बाढ़ अवधि बीत जाने के बाद भी सालों भर आवागमन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। सरकारी योजना द्वारा कई बार मार्च के बाद सड़क का काम शुरू किया जाता है लेकिन बारिश व बाढ़ का समय शुरू होने के कारण अधूरा छोड़ दिया जाता है।
पुनर्वास की खाली जमीन पर बस सकते हैं 15 हजार विस्थापित परिवार: क्षतिग्रस्त हो चुके पुराने तटबंध को जोड़ देने से चार पुनर्वास गांव की हजारों एकड़ बसावट के लिए वर्ष 1960 में चयनित एवं आवंटित जमीन पर साल भर रहने वाले जलभराव से निजात मिल सकती है। तटबंध के बाहर हो जाने पर यहां स्थायी तौर पर विकासात्मक कार्य दिखाई देगा। बुनियादी सुविधा मिलने से लोगों की परेशानी दूर होगी।
पुराने तटबंध को जोड़ने की वर्षों से उठ रही मांग
वर्ष 1984 में क्षतिग्रस्त हो चुके कोसी पूर्वी तटबंध को नए सिरे से जोड़ने की मांग बीते 40 वर्षों से बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों द्वारा उठाई जा रही है। वर्षों से तटबंध जोड़ने की उठाई जा रही मांग को लेकर स्थानीय प्रशासन व सरकार द्वारा कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है। पुराने तटबंध को सिर्फ जोड़ देने से पुनर्वास गांव में बसे 5 हजार से अधिक परिवारों को बाढ़ व कटाव से स्थाई मुक्ति मिल सकती है। हर साल लाखों रुपए खर्च कर बनाई जाने वाली सरकारी सड़क व सरकारी उपक्रम के होने वाले नुकसान पर अंकुश लग सकता है। वहीं इसकी मरम्मत से पुनर्वास में रह रहे लोगों को अपनी जड़ों की ओर लौटने तथा विस्थापन की गहराती जा रही समस्या से भी निजात मिलने की संभावना बढेगी।
शिकायत
1. केदली, असैय व पहाड़पुर सहित अन्य पुनर्वास गांव में हर साल आती है बाढ़, होता है कटाव
2. नये सिरे से बांध निर्माण से हजारों परिवारों को परेशानी
3. तटबंध किनारे व स्पर पर रहने को मजबूर हैं विस्थापित परिवार
4. हर साल बाढ़ से गृहक्षति की समस्या से परेशान हैं विस्थापित
सुझाव
1. क्षतिग्रस्त पुराने तटबंध का निर्माण होने से पुनर्वास गांव में विस्थापन की दूर होगी समस्या।
2. बसे हुए भूखंड के नये सिरे से आवंटन से होगी समस्या दूर।
3. पुनर्वास में जमीन विवाद का स्थानीय स्तर पर हो निबटारा।
4. पुनर्वास में आंगनबाड़ी केंद्र व स्कूल चिह्नित करने की जरूरत।
हमारी भी सुनें
टूट चुके पुराने तटबंध को जोड़ने की कवायद शुरू करने की जरूरत है। जिससे विस्थापित को रहने की सुविधा मिले।
उपेन्द्र मेहता
सरकार की छोटी-सी पहल से हजारों परिवारों को कोसी नदी के प्रकोप से राहत मिलेगी। पुनर्वास में रह रहे लोगों को सुविधा होगी।
राजकिशोर यादव
चार दशक पूर्व सरकार द्वारा किए गए तटबंध निर्माण को पूरा करने की जरूरत है ताकि विस्थापित को सुविधा मिले।
कुमोद राम
पुनर्वास गांव के नाम पर तटबंध के बाहर बसाने की सरकार का योजना केदली में महज छलावा है। इस दिशा में समुचित पहल की जरूरत है।
दिग्विजय यादव
पुराने तटबंध की मरम्मत से पुनर्वास गांव में विस्थापित परिवारों को राहत मिलेगी। वहीं फिरसे विस्थापन नहीं होगा।
तपेश्वर यादव
पुनर्वास गांव में सड़क व सरकारी संस्थाओं को मिली जमीन चिह्नित करने की जरूरत है। ताकि आवास की समस्या नहीं हो।
महादेव यादव
पुनर्वास गांव में आवंटित जमीन को दबंगों से मुक्त कर स्थाई बसाने की हो कवायद। ताकि विस्थापन की समस्या नहीं हो।
छठू यादव
पुनर्वासित परिवारों को सरकार द्वारा कोसी नदी के भीतर से बाहर करने की प्रकिया शुरू हो। ताकि विस्थापन का दंश नहीं झेलना पड़े।
रामप्रवेश यादव
दो किलोमीटर तटबंध निर्माण कार्य होने से लाखों लोगों को कोसी नदी से हो रही तबाही से राहत मिल जाएगी।
प्रशांत यादव
पुराने तटबंध को जोड़ने से विस्थापित परिवारों को बाढ़ व कटाव का स्थाई समाधान मिलेगा। क्षति पर रोक लगनी चाहिए।
पंडित यादव
हजारों विस्थापित परिवारों को सालों से हो रही परेशानी को लेकर सरकार स्तर से पहल करने की है जरूरत।
चंदन मुखिया
सरकार द्वारा बसाए गए केदली पुनर्वास गांव में सड़क, स्कूल व सरकारी संस्थाओं की बदहाली पर प्रशासन संज्ञान ले।
अविनाश यादव
पुराने तटबंध की मरम्मत से पुनर्वास गांव में हर साल नुकसान पर पूर्ण विराम लग सकता है। सबको फायदा होगा।
मिल्टन यादव
पुनर्वास गांव में हर साल कोसी की तबाही मचती है। शिविर लगाकर पुनर्वासित गांव में लोगों की समस्या का निवारण हो।
विलास यादव
पुनर्वास गांव में क्षतिग्रस्त हो चुकी सड़क का निर्माण शीघ्र हो ताकि आवागमन में यहां के लोगों को सुविधा हो सके।
मणि शर्मा
बसावट के आधार पर बसे परिवारों को पुनर्वास पदाधिकारी द्वारा पुनर्आवंटन किया जाए, जिससे रहने की समस्या नहीं हो।
बोनी यादव
बोले जिम्मेदार
केदली पंचायत के विस्थापित परिवारों को बसाने के लिए पुनर्वासित गांव के पुराने क्षतिग्रस्त तटबंध से परेशानी से हो रही है। इस पर ध्यान दिया जा रहा है। सरकार से पुनर्वासित परिवारों की सुविधा को देखते हुए पुराने तटबंध मरम्मत की मांग की जाएगी।
-गुजेश्वर साह, विधायक, महिषी विधानसभा क्षेत्र
इस वर्ष तो कार्य सूची में पुराने तटबंध को लेकर कोई कार्य योजना तैयार नहीं की गई है। जनप्रतिनिधियों द्वारा पुराने तटबंध निर्माण कार्य को लेकर अनुशंसा करने पर विभागीय स्तर से कार्य का प्रारूप तैयार किया जा सकता है। इसके फलस्वरूप आगे की कार्रवाई के लिए कार्य किया जा सकता है।
-अरविन्द कुमार, कार्यपालक अभियंता, जल संसाधन विभाग
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