National Lok Adalat Organized for Swift Resolution of Pending Cases in Jamui Court जमुई : मेल-मिलाप से होता है प्रकरणों का निस्तारण : मदन, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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जमुई : मेल-मिलाप से होता है प्रकरणों का निस्तारण : मदन

जमुई में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देश पर राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। यहां पक्षकारों ने आपसी सहमति से अपने लंबित सुल्हनीय मामलों का निपटारा किया। जिला न्यायाधीश ने बताया कि यह...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरSat, 10 May 2025 05:52 PM
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जमुई : मेल-मिलाप से होता है प्रकरणों का निस्तारण : मदन

जमुई । हिन्दुस्तान प्रतिनिधि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार की खास हिदायत और राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के विशेष निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार के भागिरथी प्रयास से व्यवहार न्यायालय परिसर स्थित न्याय सदन के प्रशाल में विभिन्न अदालतों में लंबित सुल्हनीय मुकदमों के शीघ्र निस्तारण के लिए राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। यहां पक्षकार आपसी मेल-मिलाप से स्वयं या नामित विद्वान अधिवक्ता के माध्यम से अपने-अपने सुल्हनीय वादों का निस्तारण कराया। राष्ट्रीय लोक अदालत को लेकर न्यायालय परिसर में वादियों का हुजूम नजर आया। जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र कुमार सिंह ने अग्नि ज्योति प्रज्ज्वलित कर राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ करते हुए कहा कि इसके जरिए न्याय अब निर्धन के द्वार तक पहुंच रहा है।

इसका फैसला चुनौती रहित है। विभिन्न न्यायालयों में लंबित मामलों का निष्पादन परस्पर सहयोग व सौहार्दपूर्ण ढंग से किया जाता है। यहां सुगम , सुलभ और सस्ता न्याय उपलब्ध है। प्रकरणों के फैसले के दरम्यान पक्षकारों की हार-जीत नहीं होती है। वादीगण अपने केसों का निस्तारण अपनी सुविधानुसार करा पाते हैं। उन्होंने बताया कि यदि किसी व्यक्ति का कोई सुल्हनीय प्रकरण न्यायालय में लंबित है तो वह इस राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से उसका निस्तारण करा सकता है। जिला जज ने विभाग और पक्षकारों को मेल-मिलाप से ज्यादा से ज्यादा प्रकरणों का निस्तारण किए जाने का संदेश दिया। पुलिस अधीक्षक मदन कुमार आनंद ने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत में मेल-मिलाप से वादों का निपटारा किया जाता है। उन्होंने पक्षकारों से आग्रह करते हुए कहा कि बिना व्यय , समय की बचत और शारिरिक एवं मानसिक परेशानी से बचने के लिए इस अदालत की शरण में आएं और अंतिम न्याय हासिल करें। डीएएसजे प्रथम सत्यनारायण शिवहरे ने कहा कि गुजरात में 1982 में राष्ट्रीय लोक अदालत अवतरित हुआ। चेन्नई में 1986 में इसकी स्थापना की गई। विधिक सेवा प्राधिकरण 1987 की धारा 22 बी एक या अधिक सार्वजनिक सेवाओं के संबंध में अधिकार क्षेत्र का प्रबंध करने के लिए लोक अदालतों की स्थापना का प्रावधान करती है। इस अदालत में दोनों पक्षों के मेल-मिलाप से विवादों सुलझाया जाता है। उन्होंने इसे अत्यंत लाभकारी अदालत की संज्ञा दी। डीडीसी सुभाष चंद्र मंडल ने कहा कि इस कोर्ट में शीघ्र व सुलभ न्याय , कोई अपील नहीं , अंतिम रूप से निपटारा , समय की बचत जैसे लाभ मिलते हैं। राष्ट्रीय लोक अदालत में बैंक लोन से संबंधित मामले , मोटर एक्सीडेंट , एनआईएक्ट , फौजदारी , रेवेन्यू , वैवाहिक विवाद , बीमा , बिजली , उत्पाद , वन , श्रम , नीलाम पत्र वाद , दूरभाष , माप तौल , खनन आदि वादों का आपसी राजीनामा से निपटारा किया जाता है। श्री मंडल ने भी पक्षकारों से इस न्यायालय का लाभ उठाने की गुजारिश की। सचिव राकेश रंजन ने आगत मेहमानों के प्रति आभार जताते हुए कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत में सुनाए गए फैसले की भी उतनी ही अहमियत है जितनी सामान्य अदालत में सुनाए गए फैसले की होती है। यहां लोगों को बिना समय व पैसा गवाए फैसला सुनाया जाता है। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा वादों के निस्तारण के लिए विभागीय अधिकारियों से लचीला रुख अपनाए जाने की अपील की। राज्य उद्घोषक डॉ. निरंजन कुमार ने राष्ट्रीय लोक अदालत के उद्घाटन सत्र का मंच संचालन किया और न्यायिक पदाधिकारियों , विद्वान अधिवक्ताओं , पक्षकारों एवं गणमान्य नागरिकों के प्रशंसा के पात्र बने। डीएएसजे महेश्वर दुबे , एसीजेएम चंद्रबोस कुमार सिंह , एसडीजेएम श्री सत्यम , जेएम भाविका सिंह , जेएम अनिमेष रंजन , जेएम एहसान राशिद , डीएसपी मुख्यालय आफताब अहमद , एलडीएम लक्ष्मी किस्कू समेत कई न्यायिक पदाधिकारी , विद्वान अभिभाषक एवं संबंधित जन इस अवसर पर उपस्थित थे।

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