Radha Kishori Maharani Enchants Audience with Krishna s Tales at Bhagwat Katha लखीसराय : भागवत कथा में पांचवें दिन गोवर्धन पूजा, पूतना वध व कालिया नाग वध प्रसंग, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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लखीसराय : भागवत कथा में पांचवें दिन गोवर्धन पूजा, पूतना वध व कालिया नाग वध प्रसंग

कजरा में भागवत कथा के पांचवे दिन वृंदावन से आई कथा वाचक राधा किशोरी महारानी ने गोवर्धन पूजा, माखन चोरी और कालिया नाग वध की कहानियाँ सुनाईं। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर बुराइयों का...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 10 March 2025 05:33 PM
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लखीसराय : भागवत कथा में पांचवें दिन गोवर्धन पूजा, पूतना वध व कालिया नाग वध प्रसंग

कजरा,एक संवाददाता। थाना क्षेत्र के बासुदेवपुर महावीर मंदिर मैदान में चल रही भागवत कथा के पांचवे दिन वृंदावन से आईं कथा वाचक राधा किशोरी महारानी ने गोवर्धन पूजा, माखन चोरी, पुतना वध व कालिया नाग वध की लीला की कथा सुनाई, जिसको सुनकर श्रोता मंत्र मुग्ध हो गए। उन्होंने कहा कि गोवर्धन का अर्थ है गो संवर्धन। भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत मात्र इसीलिए उठाया था कि पृथ्वी पर फैली बुराइयों का अंत केवल प्रकृति एवं गो संवर्धन से ही हो सकता है।अगर हम बिना कर्म किए फल की प्राप्ति चाहेंगे तो वह कभी नहीं मिलेगा, कर्म तो हमें करना ही होगा। गोवर्धन पर्वत की कथा सुनाते हुए राधा किशोरी महारानी ने कहा कि इंद्र के कुपित होने पर श्रीकृष्ण ने गोवर्धन उठा लिया था। इसमें ब्रजवासियों ने भी अपना-अपना सहयोग दिया। श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों की रक्षा के लिए राक्षसों का अंत किया व ब्रजवासियों को पुरानी चली रही सामाजिक कुरीतियों को मिटाने एवं निष्काम कर्म के जरिए अपना जीवन सफल बनाने का उपदेश दिया। श्रीकृष्ण की माखन चोरी की लीला का वर्णन करते हुए कहा कि जब श्रीकृष्ण भगवान पहली बार घर से बाहर निकले तो उनकी बृज से बाहर मित्र मंडली बन गई। सभी मित्र मिलकर रोजाना माखन चोरी करने जाते थे। सब बैठकर पहले योजना बनाते किस गोपी के घर माखन की चोरी करनी है। श्रीकृष्ण माखन लेकर बाहर आ जाते और सभी मित्रों के साथ बांटकर खाते थे। भगवान बोले जिसके यहां चोरी की हो उसके द्वार पर बैठकर माखन खाने में आनंद आता है। वहीं उन्होंने ने अपनी मधुर वाणी से कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान कृष्ण ने सबसे पहले पूतना का उद्धार किया था। कृष्ण जन्म पर नंदबाबा के घर खुशी में जब उत्सव मनाया जाने लगा और नंद बाबा को कंस राजा के पास कर देने जाने मे देरी हो गई। उन्होंने राजा के पास पहुंच कर निवेदन किया कि महाराज मेरे घर पुत्र ने जन्म लिया है इसलिए आने में देरी हो गई। राजा कंस ने पुत्र जन्म की खबर पर पुत्र को चिरंजीव होने का वचन दिया। उसे पता नहीं था जिसे तू चिरंजीव बोल रहा है वो ही तेरा काल है। उधर भगवान मन ही मन मुस्करा रहे है और सोच रहे है कि राम जन्म मे ताड़का कृष्ण जन्म मे पूतना से पाला पड़ा है। माता यशोदा का दुलारा अपनी बाल लीलाओं से भाव विभोर होते है।

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